टीएनपी डेस्क (TNP DESK)-जिस सृजन घोटाले में हजारों करोड़ रुपये का वारा-न्यारा हुआ जिस सृजन महिला विकास सहयोग समिति की संचालिका मनोरमा देवी का सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के नेताओं से अति मधुर संबंध रहें, निशिकांत दुबे, सुशील मोदी, नित्यानंद राय से लेकर शहनवाज हुसैन के साथ जिसका उठना-बैठना रहा. जिसके पैसे से अधिकारियों से लेकर सफेदपोश देश-विदेश की सैर करते रहें, अधिकारियों की बीबियों और उनकी मैडमों को जिस सृजन के खाते से जेवरों की खरीद होती रही. जिस मनोरमा देवी के राजनीतिक हनक के सामने अधिकारी मेमने की तरह मिमियाते रहते थें, अब उसी मनोरमा देवी की बहु रजनी प्रिया को सीबीआई ने गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है.
छह वर्षों से फरार थी रजनी प्रिया
ध्यान रहे कि रजनी प्रिया पिछले छह वर्षों से फरार थी, सीबीआई उसका पत्ता नहीं खोज पा रही थी, उसको ढूंढ़ने के लिए इश्तेहार चिपकाये जा रहे थें, ढोलक पीट कर मुनादी लगायी जा रही थी, लोगों से उसकी सूचना देने की गुहार लगायी जा रही थी, जानकारी देने वालों के लिए इनाम की राशि घोषित की जा रही थी, वह रजनी प्रिया और कहीं और नहीं सीबीआई मुख्यालय से चंद किलोमीटर की दूरी पर गाजियाबाद में आराम फरमा रही थी.
अब इसे संयोग कहा जाये या सुनियोजित राजनीतिक प्रयोग, यहां याद रहे कि 2024 की डुगडुगी पीटी जाने वाली है, और बिहार में मोदी रथ के सामने सुशासन बाबू खड़े हैं, वही सुशासन बाबू जिसे कभी खुद मोदी ने समाजवाद का सच्चा सिपाही कहा था, जिसके दामन पर तीन दशकों की राजनीति के बाद भी कोई दाग नहीं है, जिसके पीछे कॉरपोरेट की ताकत नहीं है, जो अपने देसी बोली और वाक्य विन्यास से मोदी को गंभीर राजनीतिक चुनौती पेश कर रहा है, जिसने उस विपक्ष को एकजुट करने का कारनामा कर दिखाया है, जिसे कल तक मेढ़कों की बारात मानी जाती थी, और उस विपक्ष की ताकत यह है खुद मोदी को अब उसे घमंडिया कहने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
बड़े शिकार की तैयारी में भाजपा
तब क्या यह माना जाय कि रजनी प्रिया की गिरफ्तारी महज एक संयोग नहीं है, रजनी प्रिया फरार नहीं थी, बल्कि फऱार करवायी गयी थी, और रजनी प्रिया को सामने लाकर भाजपा एक बड़े शिकार की ओर निकल पड़ी है
यहां यह याद रहे कि नीतीश को बेधने के लिए भाजपा अब तक सारे मोहरों को आजमा चुकी है. अब कोई मोहरा बाकी नहीं रहा, आरसीपी सिंह से लेकर उपेन्द्र कुशवाहा तक सारे हथियार भोथरा साबित हुएं, इसमें कोई भी नीतीश के सामने गंभीर चुनौती पेश नहीं कर सका, जिस हरिवंश को आगे कर अंतिम कोशिश की गयी, वह भी बेकार गया.
भाजपा के लिए रजनी प्रिया ही अंतिम सहारा
तब क्या माना जाये कि अब भाजपा के लिए रजनी प्रिया ही अंतिम सहारा है, जिसके सहारे वह नीतीश को घेर सकती है, सुशासन बाबू के बेदाग चेहरे को दागदार घोषित कर सकती है.
क्योंकि जैसे जैसे 2024 नजदीक आता जा रहा है, वैसे वैसे नीतीश कुमार विपक्षी दलों की ओर से पीएम पद के उम्मीवार के सबकी पसंद बनते जा रहे हैं. और माना जा रहा है कि मुम्बई बैठक में उन्हे इंडिया का संयोजक बनाने की घोषणा की जा सकती है. तब क्या रजनी प्रिया इसी इंडिया की काट है, क्या अब भाजपा रजनी प्रिया को आगे कर नीतीश को डराने का काम करेगी, यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि यदि आप मोदी के सामने चुनौती बनने की सोच रहे हैं तो अब तक का आपका बेदाग चेहरा भी दागदार होने वाला है, भले ही पीएम मोदी आपको समाजवाद का सच्चा सिपाही घोषित कर चुके हों, लेकिन मोदी के दूसरे जुमले की तरह उसे भी राजनीतिक जुमला घोषित किया जा सकता है.
लेकिन बड़ी मुसीबत यह है कि सीएम नीतीश तक पहुंचने के पहले भाजपा को कम से कम एक दर्जन अपने सांसदों और विधायकों की बलि चढ़ानी होगी. निशिकांत दुबे, सुशील मोदी से लेकर शहनवाज हुसैन भी इसकी चपेट में आयेंगे, तब क्या भाजपा यह जोखिम लेगी, जानकारों का मानना है कि यदि मोदी अमित शाह की जोड़ी को यह लग गया कि अब इसके सिवा कोई विकल्प नहीं है, इन प्यादों की बलि चढ़ाई जा सकती है.