Patna-भाजपा के भीष्म पितामह माने जाने कैलाशपति मिश्रा की 100वीं जंयती समारोह में शामिल होने के लिए पटना पहुंचे जेपी नड्डा के सामने तब अजीब सी स्थिति पैदा हो गयी, जब उनकी ही पार्टी के सांसद राजीव प्रताप रूडी ने सार्वजनिक तौर पर भाजपा पर सिन्धातों से भटकने का आरोप मढ़ दिया, उन्होंने कहा कि आज की भाजपा राष्ट्रवाद के रास्ते से विमुख होकर जातिवाद के रास्ते चल पड़ी है और पार्टी के सारे फैसले जाति समीकरणों को देख कर लिया जा रहा है.
बापू सभागार में पार्टी की नीतियों पर खड़ा किया सवाल
बापू सभागार में जेपी नड्डा की उपस्थिति में सांसद राजीव प्रताप रूडी ने पार्टी को कटघरे में खड़ा करते पूछा कि क्या इसी जातपात की राजनीति का सपना हमारे भीष्म पितामह कैलाशपति मिश्रा ने देखा था, आखिर हम राष्ट्रवाद और विकास के रास्ते से विमुख होकर जातिवाद के रास्ते क्यों चल पड़े हैं. पार्टी अपने सिन्धातों से भटक क्यों रही है?
अटल सरकार में भी मंत्री पद का दायित्व संभाल चुके हैं रुडी
ध्यान रहे कि सारण संसदीय सीट से भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी मोदी सरकार में कौशल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थें, जबकि अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हे अपनी सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री की जिम्मेवारी प्रदान किया था, हालांकि बाद में उन्हें स्वतंत्र प्रभार प्रदान करते हुए नागरिक उड्डयन की जिम्मेवारी सौंप दी गयी थी. कुल मिलाकर रुडी एक लम्बी राजनीतिक पारी खेल चुके हैं, और सारण की राजनीति में अच्छा खासा दखल माना जाता है. लेकिन मोदी मंत्रिमंडल से विदाई के बाद वह लगातार पार्टी की गतिविधियों से दूरी बनाये नजर आते हैं, बीच बीच में अपनी ही पार्टी की नीतियों पर सवाल भी खड़ा करते रहते हैं.
पाला बदलने की अटकल
कई बार उनकी सीट को लेकर भी चर्चा चलती रहती है, और यह दावा किया जाता है कि भाजपा इस बार उन्हे लोकसभा भेजने को उत्सुक नहीं है, 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी उन्हे पैदल कर सकती है. माना जाता है कि इस बयान के माध्यम से वह अपनी उसी खीज को उतार रहे थें. हालांकि वह बार-बार इस बात का भी संदेश देने की कोशिश करते रहते हैं कि उनका इरादा भाजपा छोड़ने का नहीं है, लेकिन राजनीति में कोई भी दावा अंतिम नहीं होता. यह बहुत कुछ सियासी हालात पर निर्भर करता है.
पांच राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद बदल सकती है सूबे की राजनीति
ध्यान रहे कि लोकसभा चुनाव की औपचारिक रणभेरी बजने में अभी देरी है, इंडिया गठबंधन से लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं की नजर इसके पहले होने वाले पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव परिणामों पर टिकी है. इन पांच राज्यों का चुनाव परिणाम यह तय कर देगा कि भगदड़ किस खेमे में मचेगी, यदि इन पांच राज्यों में भाजपा बेहतर प्रर्दशन करती है, मध्यप्रदेश में उसकी वापसी हो जाती है, और राजस्थान में जीत का परचम फहरा देता है, तब तो भाजपा के अंदर की नाराजगी दब जायेगी, और असंतुष्ट खेमा बूझे मन से ही सही आलाकमान के हर आदेश को शिरोधार्य करेगा, लेकिन यदि कांग्रेस एमपी का किला छीनने में सफल हो जाता है तो निश्चित रुप से आज के विरोध के मंद स्वर तेज होंगे और बिहार भाजपा में भी उलट पुलट का दौर शुरु हो सकता है.