रांची(RANCHI)- शीताकालीन सत्र के ठीक पहले राज्यपाल सीपी राधाकृष्नन के द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर दिये बयान पर झाममो मोर्चा खोल दिया है. झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने राज्यपाल की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि राज्यपाल किसी भी राज्य का संवैधानिक अभिभावक होते हैं, लेकिन यहां तो राज्यपाल भाजपा के एजेंडा तय करने में लगे हैं, शीतकालीन सत्र के ठीक पहले उनके द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठ का हौवा खड़ा किया जा रहा है, आम भाजपा कार्यकर्ता की तरह झारखंड बांग्लादेश के बार्डर वाले क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय बदलाव का दावा किया जा रहा है. बगैर किसी साक्ष्य के इस बात का दावा किया जा रहा है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के द्वारा आदिवासी महिलाओं से शादी कर धर्मान्तरण करवाया जा रहा है. लेकिन इस बात का कोई आंकड़ा नहीं दिया जा रहा है.
बगैर कोई साक्ष्य और आंकड़ों के भाजपा की भाषा बोल रहें हैं महामहिम
सुप्रियो भट्टाचार्य ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि क्या राज्यपाल के पास बांग्लादेशियों घुसपैठियों का कोई आंकड़ा है, क्या उनके पास इस बात एक सबूत भी है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के द्वारा आदिवासी महिलाओं के साथ शादी किया गया है. लेकिन वह बाबूलाल मरांडी और रघुवर दास की तरह सिर्फ गॉसिप के आधार एक राजनीतिक उद्देश्य से दावे किये जा रहे हैं. सुप्रियो भट्टाचार्य ने इस बात की आशंका भी जाहिर की राज्यपाल के इस दावे पर विधान सभा के अन्दर प्रश्न खड़े किये जा सकते हैं, उनकी भूमिका लेकर हंगामा खड़ा हो सकता है.
हमारे सैनिकों की कर्तव्यनिष्ठा सवाल नहीं खड़ा करे महामहिम
क्योंकि यह समझ हर एक शख्स में है कि हमारे बॉर्डर की सुरक्षा की जिम्मेवारी केन्द्रीय गृह मंत्रालय की है, हमारे लाखों जवान बार्डर पर तैनात खड़े हैं, निश्चित रुप से राज्यपाल के दावे हमारे जवानों की कर्तव्यनिष्ठा पर सवाल खड़े कर रहे हैं, महामहिम को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि हमारे वीर जवान सीमाओं पर चिनिया बादाम खाने के लिए नहीं खड़े हैं. उनक एक-एक पल राष्ट्र की सुरक्षा को समर्पित है, उनकी आंखों को परिंदा भी धोखा नहीं दे सकता. किसी इंसान का पार होना तो दूर की बात है, बावजूद इसके यदि राज्यपाल को लगता है कि बांग्लादेशियों को घुसपैठ हो रहा है तो उन्हें इसका जवाब तो केन्द्रीय गृह मंत्रालय से पूछना चाहिए था.
साफ है कि बांग्लादेशी घूसपैठियों का हौवा खड़ा कर राज्यपाल भाजपा का एजेंडा तय करने में लगे हैं. उनकी भाषा भाजपा की भाषा है, लेकिन किसी भी राजभवन का भाजपा का इक्स्टेंडेड ऑफिस बनना चिंता का विषय है.