रांची(RANCHI)-राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत गरीबों को नि:शुल्क डायलिसिस सेवा प्रदान करने के लिए केन्द्र सरकार के द्वारा शुरु किया गया प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (पीएमएनडीपी) बगैर किसी पूर्व सूचना के झारखंड के सभी 16 जिलों में बंद कर दिया गया. जिसके कारण जिला अस्पतालों से सैकड़ों रोगी निराश अपने घर लौट गये, किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रस्त इन रोगियों के सामने अब कोई दूसरा विकल्प दिख नहीं रहा है, उनके लिए एक दिन भारी पड़ता जा रहा है, इसमें से की रोगियों का आर्थिक हालत ऐसी नहीं है कि वह अपना सब कुछ बेचकर भी अपना डायलिसिस करवा सकें.
यहां बता दें कि इस फैसले से सिर्फ बीपीएल श्रेणी के मरीजों के सामने ही आफत नहीं आयी हैस बल्कि एपीएल श्रेणी के सामने भी मुसीबत खड़ी हो गयी है, क्योंकि इस केन्द्र में एपीएल श्रेणी के मरीजों को भी रियायती दर पर सेवा उपलब्ध करवाया जाता था.
झारखंड के 16 जिलों में संचालित थी यह सेवा
पीपीपी मोड के तहत झारखंड में इस सेवा को 16 जिलों के जिला अस्पताल में संचालित किया जा रहा था, लेकिन शुक्रवार को जैसे ही इस सेवा को बंद किये जाने की खबर मिली, किडनी रोगियों के सामने अंधेरा छा गया, उनके सारे रास्ते बंद हो चुके थें. उनकी जीवन की बागडोर अटक चुकी थी, सिर्फ सदर अस्पताल, रांची से ही करीबन 28 मरीजों को वापस लौटना पड़ा,
कंपनी का दावा
हालांकि पीपीपी मोड पर सेवा प्रदान कर रही एस्केग संजीवनी प्रा.लि. का दावा है कि कंपनी के द्वारा सात दिन पहले इसकी पूर्व सूचना स्वास्थ्य मंत्री को दे दी गयी थी, कंपनी का सरकार के उपर अबतक करीबन 3 करोड़, 68 लाख रुपये का बकाया हो गया है. लगातार बकाया बढ़ते जाने के कारण कंपनी के सामने कोई दूसरा विकल्प नहीं था. पूर्व सूचना के बावजूद विभागीय स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया, जिसके बाद हमारे सामने कोई विकल्प नहीं बचा. समान की आपूर्ति करने वाली कंपनी पहले ही आपूर्ति बंद कर चुकी थी. हालांकि अभियान निदेशक, एनएचएम आलोक त्रिवेदी का दावा है कि उन्हे इस मामले की जानकारी आज ही मिली है, और बहुत जल्द कंपनी को उसका भुगतान कर दिया जायेगा.
किस जिले में कितना बकाया
यहां बता दें कि कंपनी का देवघर में 33.90 लाख, कोडरमा में 20 लाख, लातेहार में 25.97 लाख, गिरिडीह में 36.91 लाख, गोड्डा में 22.60 लाख, रांची में 62.38 लाख, चतरा में 22.29 लाख, गढ़वा में 12.30 लाख, गुमला में 16.89 लाख, पाकुड़ में 20.83 लाख, रामगढ़ में 33.75 लाख, लोहरदगा में 26.94 लाख, साहेबगंज में 2.67 लाख रुपए बकाया है और कंपनी अब बगैर भुगतान के इस सेवा को संचालित करने के मूड में नहीं है.