Ranchi- झारखंड के 49 नगर निकायों का चुनाव एक बड़ा सियासी मुद्दा बन चुका है. नगर निकायों के लिए चुनाव नहीं होने के कारण इनकी गतिविधियां ठप्प पड़ी है, विपक्ष इसको लेकर लगातार हेमंत सरकार पर हमलावर है. ध्यान रहे कि नगर निकायों में चुनाव नहीं होने का एक बड़ा कारण पिछड़ों का आरक्षण है, नगर निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण तब तक नहीं दिया जा सकता, जब तक पिछड़ों की आबादी का ट्रिपल टेस्ट नहीं करवा लिया जाय, अब हेमंत सोरेन की सरकार इसी कानूनी बाधा को दूर करने जा रही है.
कल की बैठक में हो सकता है फैसला
प्राप्त जानकारी के अनुसार कल की कैबिनेट में इससे संबंधित निर्णय लिये जा सकते हैं. कैबिनेट की बैठक में राज्य पिछड़ा आयोग को ट्रिपल टेस्ट की जिम्मेवारी सौंपी जा सकती है. जिसके बाद आयोग पूरे राज्य में पिछड़ों की जनसंख्या का सर्वे करेगी और इसी सर्वे के आधार पर पिछड़ी जातियों को आरक्षण प्रदान किया जायेगा.
इसके पहले रोटेशन के आधार पर होता था आरक्षण
ध्यान रहे कि इसके पहले नगर निगमों, नगरपालिकाओं और अन्य नगर निकायों में एससी, एसटी, ओबीसी का आरक्षण रोटेशन के आधार पर किया जाता था, लेकिन इस पर विवाद की शुरुआत हो चुकी थी, क्योंकि कई स्थानों पर एसटी वर्ग के लिए आरक्षित सीट को दूसरे वर्ग के लिए आरक्षित करने पर विरोध शुरु हो गया था. इस विवाद तो और बल तब मिला जब राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय बिल 2021 के आलोक में नए नियमों के अनुसार चुनाव के लिए जो आरक्षण रोस्टर प्रकाशित किया उसमें अनुसूचित क्षेत्र के कई नगर निकायों में एकल पदों पर जनजातीय समुदाय (एसटी ) के लिए आरक्षण खत्म कर दिया.
नगरपालिका (संशोधन) विधेयक-2022
जिसके बाद राज्य सरकार ने नगरपालिका (संशोधन) विधेयक-2022 लाया, इस संशोधन के बाद जनसंख्या के आधार पर आरक्षण प्रदान करने का मार्ग तो प्रस्शत हो गया. लेकिन ओबीसी आरक्षण का मुद्दा फंस गया. क्योंकि ओबीसी जातियों को आरक्षण प्रदान करने के लिए ट्रिपल टेस्ट एक अनिवार्य शर्त है, कई मौकों पर कोर्ट ने पिछड़ों को आरक्षण प्रदान करने के पहले ट्रिपल टेस्ट को अनिवार्य शर्त बताया है. अब हेमंत सरकार इसी तकनीकी बाधा को दूर करने जा रही है, माना जा रहा है कि दो से तीन महीनों में राज्य पिछड़ा आयोग अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप देगा, उसके बाद चुनाव की घोषणा कर दी जायेगी.