Ranchi: वैसे तो पलामू के पूर्व उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे की छवि आम लोगों के बीच एक मिलनसार और बेहद ईमानदार अधिकारी की रही, जो जिनके दरबार से कभी कोई निराश नहीं गया, उन्होंने सबकी बात सुनी और नियमों के तहत परेशानियों को दूर करने का उपाय किया. आंजनेयुलु दोड्डे रहते पलामू में अवैध खनन करने वाले पत्थर कारोबारियों में हड़कंप की स्थिति थी, लेकिन इस कर्त्वयनिष्ठ अधिकारी की विदाई के बाद अब उन पर बड़े पैमाने पर हथियारों का लाइसेंस निर्गत करने का आरोप लग रहा है. दावा किया जा रहा है कि स्थानातंरण का आदेश होने के बाद थोक भाव में उनके द्वारा हथियारों का लाईसेंस निर्गत किया गया, और वह भी बैक डेट में.
दरअसल यह आरोप सबसे पहले झारखंड के पूर्व सीएम बाबूलाल की ओर से आया था, तब उन्होंने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर लिखा था कि जिले उपायुक्तों के तबादलों के बीच बड़े पैमाने पर रिश्वत लेकर हथियारों का लाइसेंस निर्गत करने की खबरें आ रही है. तब बाबूलाल मरांडी ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव से इसकी जांच की मांग की थी, उन्होंने मुख्य सचिव से पिछले महीने निर्गत हुए सभी लाइसेंसों का समीक्षा करने की मांग की थी.
बाबूलाल ने प्रकट की थी चिंता
पूर्व सीएम बाबूलाल की इस चिंता के बाद एक सोशल एक्टिविस्ट पंकज यादव ने आरटीआई से माध्यम से पलामू प्रशासन से पिछले तीन वर्षों में निर्गत किये गये लाइसेंस की सूची की मांग कर दी, लेकिन पलामू प्रशासन ने इस तर्क के साथ इसका जवाब नहीं दिया कि इससे संबंधित व्यक्ति की सुरक्षा जुड़ी हुई है. उपायुक्त ने अपने जवाब में लिखा है कि चूंकी यह सूचना सुरक्षा से संबंधित है, इसलिए सूचना अधिकार अधिनियम 2005 में निहित धारा 8 (2) के तहत इसकी सूचना सार्वजनिक नहीं की जा सकती है.
हालांकि पंकज यादव ने अभी हौसला नहीं छोड़ा है, उसका दावा है कि पिछले तीन महीने में दर्जनों खनन माफियाओं को नियमों को ताक पर रख कर गन लाइसेंस निर्गत किया गया है, लेकिन नियमों का हवाला देकर उसकी जानकारी छुपायी जा रही है, अब अपील में जाकर इसकी मांग करुंगा और जरुरत पड़ने पर हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाऊँगा