रांची(RANCHI) पूर्व सांसद और झारखंड कांग्रेस के वरीय नेता फुरकान अंसारी ने धर्म परिवर्तन को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, फुरकान अंसारी ने कहा है कि कथित रुप से निची मानी जाने वाली जातियों का धर्म परिवर्तन किसी तलवार की नोक नहीं हुआ था, तलवार की इसमें कोई भूमिका नहीं थी. हमारे पुरखों के धर्म परिवर्तन के लिए कोई मुगल और कोई औरगंजेब जिम्मेवार नहीं था. बल्कि इसका कारण उच्च वर्णीय हिन्दूओं का सामंती सोच और निम्न जातियों पर उनका अत्याचार था. हिन्दू धार्मिक व्यवस्था में मौजूद छुआछूत और उच्च वर्णीय हिन्दूओं से अत्याचार से मुक्ति के लिए हमारे पूर्वजों ने पूरे होश हवाश में सौहार्दपूर्ण वातावरण में धर्म परिवर्तन का रास्ता चुना था. हमारे पूर्वजों की कोशिश उच्च वर्णीय हिन्दुओं से मुक्ति पाने की थी.
हमारे पूर्वज यादव थें
फुरकान अंसारी ने कहा कि हमारे पूर्वज यादव थें. लेकिन उच्च वर्णीय हिन्दूओं के सामाजिक दबदबे और हमारे प्रति दोयम व्यवहार के कारण कई पीढ़ी पहले हमारे पूर्वजों को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर होना पड़ा, और यह सब कुछ किसी तलवार की नोक पर नहीं हुआ. बल्कि धर्म परिवर्तन का यह फैसला हमारे पुरखों ने पूरे होश हवाश में किया था और यह सब कुछ सौहार्दपूर्ण तरीके से सम्पन्न किया गया था.
आज भी इस सामंती सोच में नहीं हुआ है कोई बदलाव
फुरकान अंसारी ने कहा कि सच्चाई यह भी है कि आज भी इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ, आज भी उच्च वर्णीय हिन्दुओं के व्यवहार और चिंतन में यही सामंती चिंतन मौजूद है. सच्चाई है कि मुस्लिमों में जो मंडरिया समाज है, वह कुछ दिन पहले तक मंडल सरनेम लिखता था, लेकिन जब सामंतों ने यादव, महतो और दूसरी कमजोर जातियों पर अत्याचार शुरु किया तो उन्हे धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य होना पड़ा. हमें तो मंदिरों में घुसने भी नहीं दिया जाता था, यही थी हिन्दू धर्म में हमारी सामाजिक स्थिति. मोदी सरकार में एक दलित राष्ट्रपति को मंदिर जाने पर 5 टैंकर गंगाजल से धोया जाता है, इसी को कहते हैं सामंती सोच.