रांची(RANCHI)- 2024 के लोकसभा चुनाव में हजारीबाग लोकसभा सीट से उतरने का सपना देख रहे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की फायर ब्रांड नेता वृन्दा करात की उम्मीदवारी पर कांग्रेस ने कड़ा एतराज जताया है. इस मुहिम की शुरुआत करते हुए बरही विधायक उमाशंकर अकेला ने कहा है कि वृन्दा करात एक कदावर नेता हो सकती है, वह लगातार आदिवासी मूलवासियों के अधिकार की बात करती है, जल जंगल और जमीन और उनके हक हकूक से जुड़े मुद्दों की राजनीतिक करती है, लेकिन प्रतिनिधित्व प्रदान करना दूसरी बात है, इस बार हजारीबाग की जनता किसी भी बाहरी व्यक्ति को अपना वोट नहीं देगी, चाहे वह वर्तमान सांसद जंयत सिन्हा हो या वृन्दा करात, हजारीबाग का प्रतिनिधित्व वही करेगा जिसका हजारीबाग की मिट्टी से सरोकार होगा और यह सरोकार सिर्फ राजनीति का नहीं होगा. उसका जुड़ाव इस मिट्टी से होना चाहिए, उसकी खून में इस मिट्टी की खुशबू आनी चाहिए. इतना बड़े देश में वृन्दा करात कहीं से मैदान में उतर कर भाजपा की विभाजनकारी नीतियों को चुनौती दे सकती है, लेकिन हजारीबाग का प्रतिनिधित्व हजारीबाग का ही बेटा करेगा.
2024 के बाद झारखंड में दिखलाई भी नहीं देगी भाजपा
इसके साथ ही झारखंड प्रदेश कांग्रेस के समानान्तर 5-G गठित कर राजनीतिक गतिविधियों का संचालन और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के खिलाफ बिगुल फेंके जाने की खबरों को भाजपा का प्रोपगंडा बताते हुए उमाशंकर अकेला ने कहा कि इस दावे के पीछे कोई सच्चाई नहीं है, कांग्रेस का एक एक कार्यकर्ता भाजपा के खिलाफ जंगे-मैदान में उतरने को तैयार है. 2024 के बाद भाजपा नाम की कोई चिड़िया झारखंड में दिखलाई नहीं पड़ने वाली है. भाजपा को भी इस सच्चाई का भान हो चुका है, यही कारण है कि अब वह अपने संगठन पर ध्यान देने के बजाय कांग्रेस के अन्दर ग्रुप खोजती फिर रही है.
झारखंड कांग्रेस के समानान्तर 5-G चलाने का आरोप
यहां ध्यान रहे कि कोलकत्ता कैश कांड से आरोप मुक्ति के बाद जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी पर एक बार फिर से झारखंड कांग्रेस के समानान्तर 5-G चलाने का आरोप है, दावा किया जा रहा है कि जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी, कोलेबिरा विधायक नमन विक्सल,खिजरी विधायक राजेश कच्छप, बरही विधायक उमाशंकर अकेला यादव के साथ सिमडेगा के विधायक भूषण बाड़ा का यह ग्रुप झारखंड प्रदेश संगठन के समानान्तर कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है.
संगठन पर कब्जे की लड़ाई
हालांकि इस 5-जी ग्रुप का घोषित एजेंडा भाजपा के खिलाफ लड़ाई का है, कांग्रेस की जमीन को मजबूती प्रदान करने का है, मजूबत सांगठनिक ढांचा खड़ा करने का है. लेकिन विश्लेषकों का दावा है कि भले ही औपचारिक रुप से इस ग्रुप की सक्रियता भाजपा के खिलाफ दिखती हो, लेकिन इसके असली निशाने पर झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर हैं और यह कोई पहली लड़ाई नहीं है, पिछली बार भी यह तिकड़ी राजेश ठाकुर के खिलाफ ही मोर्चा खोलने की तैयारी में था, लेकिन जब तक विद्रोह का प्लान अंजाम तक पहुंचता, कोलकत्ता कैश में इनकी गर्दन फंस चुकी थी और इनकी गर्दन फंसते ही राजेश ठाकुर की ओर से इन तीनों को राजनीतिक रुप से सलटाने की तैयारी कर ली गयी, लेकिन एन वक्त पर दिल्ली का डंडा चला और किसी प्रकार से पार्टी में इनकी वापसी हो गयी, लेकिन कांग्रेस में वापसी के बाद भी अन्दरखाने खुन्नस बरकरार रही, दोनों ही खेमों के द्वारा संगठन पर कब्जे की लड़ाई चलती रहती है, माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस ग्रुप में और भी कई विधायकों का जुड़ाव हो सकता है.
अल्पसंख्यक या आदिवासी चेहरे को सामने लाने की लड़ाई
दरअसल दावा किया जा रहा है कि झारखंड कांग्रेस के अन्दर राजेश ठाकुर के खिलाफ बगावत की स्थिति है, पार्टी का यह खेमा अध्यक्ष के रुप में किसी आदिवासी या पिछड़ा चेहरा को देखना चाहता है, इनका दावा है कि जब तक पार्टी अध्यक्ष के रुप में किसी अल्पसंख्यक या पिछड़ा चेहरा को सामने नहीं लाया जायेगा, पार्टी की स्थिति में कोई सुधार नहीं आयेगा, उसका जनाधार में विस्तार नहीं होगा. जबकि पार्टी का दूसरा खेमा 2024 की लड़ाई के पहले चेहरा में बदलाव कर सवर्णों के बीच गलत संदेश देना नहीं चाहती, हालांकि दूसरे खेमे का तर्क है कि यदि संगठन में आदिवासी, दलित, पिछड़ा या अल्पसंख्यक का चेहरा को सामने नहीं लाया गया तो इसका नुकसान 2024 में झेलना पड़ सकता है.