Patna- महागठबंधन से अलग होते ही जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ और जदयू के बीच जुबानी जंग तेज होती नजर आ रही है. हम की ओर से जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को किराया वसुलने वाला बताया गया है. हम प्रवक्ता ने दावा किया है कि ललन सिंह का कोई राजनीति वजूद नहीं है, वह तो बस छोटी-छोटी पार्टियों को तोड़ने का काम किया करते हैं.
यहां बता दें कि नीतीश सरकार से अलग होने की घोषणा के बाद पूर्व मंत्री संतोष सुमन ने यह दावा किया था कि उन पर अपनी पार्टी को जदयू में विलय करवाने का दवाब था, लेकिन हम अपनी पार्टी के अस्तित्व को समाप्त करने के पक्षधर नहीं थें, यही कारण है कि हमने नीतीश सरकार से अलग होने का फैसला कर लिया.
महागठबंधन के अन्दर भाजपा के जासूस थें जीतन राम मांझी
पूर्व मंत्री संतोष सुमन के इस दावे की पुष्टि खुद सीएम नीतीश कुमार ने एक खुलासे का साथ कर दिया. उन्होंने दावा किया कि जीतन राम मांझी महागठबंधन के साथ रहकर भाजपा के लिए जासूसी कर रहे थें. जीतन राम मांझी के सहारे महागठबंधन के अन्दर के सारे फैसले और तैयारियों की खबर भाजपा को मिल रही थी. इसीलिए जीतन राम मांझी से उनकी पार्टी हम को जदयू में विलय करने को कहा गया था.
लम्बी लड़ाई में हम जैसी छोटी दुकान का कोई मतलब नहीं
मंत्री संतोष सुमन के इस दावे की पुष्टि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी किया, मंत्री संतोष सुमन के दावे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि जब लड़ाई लम्बी है, सामने भाजपा खड़ी है, तब उस स्थिति में हम जैसी छोटी-छोटी दुकानों को चलाते रहने का कोई मतलब नहीं था, यही कारण है कि उन्हे पार्टी का विलय करने की सलाह दी गयी थी.
सुधा श्रीवास्तव के दुकानों पर भाड़ा वसुलते थें ललन सिंह
ललन सिंह के द्वारा ‘हम’ को छोटी दुकान बताते ही जदयू और हम के बीच जुबानी जंग की शुरुआत हो गयी. ललन सिंह को निशाने पर लेते हुए हम प्रवक्ता श्यामसुंदर शरण ने उन्हे किराया वसुलने वाला बता दिया. श्यामसुंदर शरण ने कहा कि ललन सिंह को यह नहीं भूलनी चाहिए कि वह कभी दिवंगत नेत्री सुधा श्रीवास्तव के दुकानों पर भाड़ा वसुला का काम किया करते थें, यदि सीएम नीतीश कुमार की मदद उन्हे नहीं मिले तो वह एक मुखिया का चुनाव जीतने की क्षमता भी नहीं रखते हैं.
‘हम’ कोई छोटी दुकान नहीं होकर दलित पिछड़ों की आवाज
श्यामसुंदर शरण ने कहा कि हम कोई छोटी दुकान नहीं है, यह दलित, अति पिछड़े और पिछड़ों की आवाज है, हम इस आवाज को बंद नहीं होने देंगे. ललन सिंह किसी भी दलित पिछड़े नेता को आगे बढ़ने देना नहीं चाहते, उनका चरित्र दोहरा है.
ललन सिंह का सिर्फ एक ही काम
श्यामसुंदर शरण ने कहा कि आप ललन सिंह की पूरी राजनीति पर गौर करें, तब पायेंगे कि उनकी जदयू में सिर्फ एक ही भूमिका है, वह कैसे दूसरी सहयोगी पार्टियों को अस्थिर किया जाय. ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे ललन ने ठगा नहीं. उनकी इसी राजनीति का शिकार उपेन्द्र कुशवाहा हो गयें. आज वे तेज प्रसाद यादव के साथ गलबहियां कर घूम रहे हैं. लेकिन इस सच्चाई से कौन इंकार कर सकता है कि लालू परिवार को पूरी तरह से राजनीतिक अस्थिरता में धकेलने का काम ललन सिंह ही ने किया था. और उनके षडयंत्रों के कारण ही लालू प्रसाद की चुनावी राजनीति की अंत हुई थी.
सीएम नीतीश को जॉर्ज फर्नांडिस बनाने की डील
राबड़ी देवी के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस क्यों लिया, ललन सिंह को इसका जवाब देना चाहिए. राबड़ी देवी के खिलाफ दर्ज मकदमें की याद दिलाते हुए श्यामसुंदर शरण ने पूछा कि आखिर मुकदमा वापस क्यों लिया गया? क्या सौदेबाजी हुई थी ललन सिंह को यह सामने लाना चाहिए. आखिर क्या कारण है कि आरोप वापस लेते ही वह उसी लालू दरबार में दंडवत हो गयें. यह वही ललन सिंह हो जो 2010 में नीतीश कुमार के पेट से दांत निकाल रहे थें. कहीं ललन सिंह ने इस बार लालू प्रसाद से नीतीश कुमार को जॉर्ज फर्नांडिस बनाने की कोई डील तो नहीं कर ली है.