Ranchi-डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान में आर्थिक-सामाजिक रुप से कमजोर सामाजिक समूहों के लिए निशुल्क आवासीय कोचिंग योजना की शुरुआत करते हुए सीएम हेमंत ने प्रकारान्तर से केन्द्र सरकार की बहुचर्चित राशन योजना पर गहरा तंज कसा है, उन्होंने कहा है कि पांच किलो राशन उपलब्ध करवा कर उनके पेट की आग को बुझायी तो जा सकती है, लेकिन उन्हे सम्मान जनक जीवन प्रदान नहीं किया जा सकता, हमें इस राशन योजना से बाहर जाकर सोचना होगा, ताकि उनके जीवन में बदलवा आ सकें और इसके साथ ही वह समाज के मुख्यधारा का हिस्सा बन सकें, ना कि सिर्फ राशन के चक्कर में दौड़ लगाते रहें.
कितने बच्चों से की गयी निशुल्क आवासीय कोचिंग की शुरुआत
कमजोर आर्थिक-सामाजिक वर्गों के लिए निशुल्क आवासीय कोचिंग योजना इसी सोच का हिस्सा है, योजना के प्रारम्भिक चरण में असुर: 33, बिरहोर: 03, बिरजिया : 27, कोरवा: 22, परहैया: 09, सबर: 01, माल पहाड़िया: 38, सौरिया पहाड़िया: 23 कुल मिलाकर 156 आदिम जनजाति समूह के बच्चों को निशुल्क आवासीय योजना के लिए चयन किया गया है.
शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य के मोर्चे पर किया जा रहा है काम
सीएम हेमंत ने कहा कि राशन देकर आदिम जनजाति तो क्या हम दूसरे जनजाति समाज के अस्तित्व को नहीं बचा सकते. हमें उनके लिए शिक्षा स्वास्थ्य से लेकर रोजगार के मोर्चे पर काम करना होगा. और हम उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, हमारी सरकार ने राशन से उपर उठ कर दलित पिछड़ा, अल्पसंख्यक और जनजातीय समाज के बच्चों को वैश्विक स्तर की शिक्षा प्रदान करन के लिए विदेश भेजने का काम किया है. आज इस समाज के बच्चे दुनिया के बेहतरीन विश्वविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, आज के पहले किसी ने इसकी कल्पना भी नहीं की थी.
कमजोर आर्थिक-सामाजिक समूह के छात्रों को मदद प्रदान करने की कोशिश
इस योजना के तहत समाज के सबसे कमजोर और वंचित वर्गों के अभ्यर्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए निशुल्क आवासीय कोचिंग प्रदान किया जायेगा, इसकी शुरुआत 156 पीवीटी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) विद्य़ार्थियों के साथ की जायेगी. प्रतियोगियों का चयन दसवीं और बारहवीं के प्राप्तांक के आधार पर होगा. 21 वर्ष से 40 वर्ष के अभ्यर्थी इसका लाभ ले सकेंगे. जिन छात्रों के द्वारा झारखंड कर्मचारी चयन आयोग और दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आवदेन दिया जा चुका है, वैसे छात्रों को विशेष प्राथमिकता दी जायेगी. ताकि उनकी तैयारियों को पूरा किया जा सके और वह परीक्षा में सफलता का परचम लहरा सकें.
चयनित छात्रों को निशुल्क आवासीय कोचिंग
दरअसल सरकार की कोशिश वैसे मेधावी छात्रों को मदद करने की है, जो कमजोर आर्थिक- सामाजिक समूह से आते हैं, जिनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि ऐसी नहीं है कि वह महंगें कोचिंग संस्थानों का फीस चुका सकें, चयनित छात्रों को सरकार की ओर से आवासीय कोचिंग उपलब्ध करवाया जायेगा, यह पूरी तरह से निशुल्क रहेगा ताकि छात्र बगैर किसी चिंता फिक्र के अपनी पढ़ाई पर ध्यान को केन्द्रीत कर सकें. और सफलता हासिल कर अपने परिवार के साथ ही उक्त समाज के दूसरे विद्यार्थियों के लिए एक मिसाल कायम कर सकें, उनकी सफलता से दूसरे छात्रों को भी प्रेरणा मिले और वह समाज आर्थिक सामाजिक पिछड़ेपन से अपने को बाहर निकाल सके.