पटना(PATNA) आखिरकार लालू यादव की भविष्यवाणी सत्य साबित हुई, पटना हाईकोर्ट से नीतीश कुमार का मास्टर स्ट्रोक माना जाने वाला जातीय जनगणना को जारी रखने की अनुमति प्रदान कर दी गयी. पटना हाईकोर्ट के जस्टिस के. विनोद चंद्रन ने इसके विरोध में डाली गयी याचिका को खारिज कर दिया.
आर्थिक न्याय की दिशा में क्रांतिकारी कदम
यहां ध्यान रहे कि जब पटना हाईकोर्ट के द्वारा जातीय जनगणना पर रोक लगायी गयी थी तब लालू यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा था कि जातीय गणना बहुसंख्यक जनता की मांग है और यह हो कर रहेगी, भाजपा बहुसंख्यक पिछड़ों की गणना से डरती क्यों है? जो जातीय गणना का विरोधी है वह समता, मानवता, समानता का विरोधी और ऊंच-नीच, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ेपन, सामाजिक और आर्थिक भेदभाव का समर्थक है. देश की जनता जातिगत गणना पर भाजपा की कुटिल चाल और चालाकी को समझ चुकी. हालांकि आज हाईकोर्ट के फैसले के बाद भाजपा की ओर से विजय सिन्हा ने इसका समर्थन किया है, उन्होंने लिखा है कि भाजपा हमेशा से जातीय जनगणना की समर्थक रही है, लेकिन यह नीतीश कुमार थें जिनके द्वारा इसका उद्देश्य नहीं बताया जा रहा था, खोट नीतीश कुमार की नीयत में था. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इसे आर्थिक न्याय की दिशा में क्रांतिकारी कदम बताते हुए केन्द्र सरकार से भी जातीय जनगणना करवाने की मांग की है.
खटखटाया जा सकता है सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
हालांकि इस बीच याचिका कर्ता के वकील ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का दावा किया है, उनका कहना है कि कोर्ट ने महज एक लाइन में उनकी अपील को खारीज कर दिया. और इस प्रकार से जनगणना जारी रखने की अनुमति प्रदान कर दिया.
4 मई को लगायी गयी थी रोक
यहां याद दिला दें कि मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 4 मई को जनगणना जारी रखने पर रोक लगा दिया था. जबकि सरकार का दावा था कि जातीय जनगणना का 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है, इस स्थिति में इसे रोका जाना न्याय संगत नहीं है. जिसके बाद महागठबंधन के द्वारा भाजपा पर जातीय जनगणना को रोके जाने की साजिश करने का आरोप लगाया जा रहा था, उनका दावा था कि याचिकाकर्ता भाजपा का कार्यकर्ता है, और भाजपा की सह पर ही उसने इसके खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. लेकिन जैसे ही हाईकोर्ट के द्वारा इसकी अनुमति प्रदान कर दी गयी, भाजपा ने इसका स्वागत कर साफ कर दिया कि वह पिछड़ों के खिलाफ जाने का जोखिम नहीं लेगी.