रांची(RANCHI): - भले ही सरकार की ओर से लड़कियों के लिए शादी की निर्धारित उम्र 18 वर्ष की हो, लेकिन एक सामाजिक और शैक्षणिक जागरुकता के अभाव में हर वर्ष लाखों नाबालिगों की शादी की जाती है, और कई बार तो इस तरह के आयोजनों में कथित सामाजसेवियों और राजनेताओं की भी उपस्थिति भी दर्ज होती है, रजिस्ट्रार जनरल आफ इंडिया द्वारा जारी डेमोग्राफिक सैंपल सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, नाबालिग बालिकाओं की शादी के मामले में झारखंड पहले पायदान पर बना हुआ है. यहां प्रतिवर्ष 5.8 फीसदी बालिकाओं की शादी नाबालिग उम्र में कर दी जाती है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 1.9 है.
ठाकुरगांव की बेटी पायल ने दिखलायी राह
लेकिन जिस सामाजिक सोच के खिलाफ बड़े बड़े राजनेता और कथित समाजसेवी खड़े नहीं हो सके, उस सोच के खिलाफ ठाकुरगांव जैसे एक सुदूरवर्ती गांव की नाबालिग बेटी खड़ी हो गयी. बुढ़मू प्रखंड के ठाकुरगांव थाना क्षेत्र की पायल ( उम्र14 वर्ष) अपनी शादी को रुकवाने के लिए ठाकुरगांव थाना पहुंच गयी. शादी के खिलाफ एक नन्ही सी बची को थाने में फरियाद लगाता देख थानेदार कृष्ण कुमार की आंखे भी फटी रह गयी.
थानेदार कृष्ण कुमार की आंखे भी फटी रह गयी
आमतौर पर 14 वर्ष की उम्र में बच्चियां अपने गुड़ियों से खेलती पायी जाती है, लेकिन यहां पायल अपने मासूम आग्रह से पुलिसकर्मियों का दिल जीत रही थी. इस छोटी सी परी की व्यथा और हिम्मत को देखकर हर पुलिसकर्मी उसे सलाम कर रहा था. पायल की व्यथा सुनते ही थानेदार कृष्ण कुमार ने आनन-फानन में उसके परिजनों को थाने बुलाया, पायल का थाने पहुंचने की खबर मिलते ही परिजनों में बेचैनी बढ़ने लगी. किसी प्रकार हिम्मत जुटा कर वे थाने पहुंचे.
राजकीय उत्क्रमित उच्च विद्यालय उरुगुट्टू में नौवीं कक्षा की छात्र है पायल
परिजनों से पूछताछ के बाद यह जानकारी मिली कि ठाकुरगांव थाना क्षेत्र के भांट बोड़ेया ग्राम निवासी राजेश महतो ने राजकीय उत्क्रमित उच्च विद्यालय उरुगुट्टू में नौवीं कक्षा की छात्र पायल का विवाह रामगढ़ जिले के पतरातू थाना क्षेत्र में तय कर दिया है. पायल को जैसे ही अपने पिता के इस फैसले की जानकारी मिली, उसके द्वारा विरोध किया जाने लगा. लेकिन उसके परिजन कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे.
खेत के टूकड़े पर खेती कर गुजारा करते हैं पिता
पिता का तर्क था कि उनकी आर्थिक हैसियत इतनी नहीं है कि जवान बेटी को अपने घर में रखें, वह किसी प्रकार मेहनत-मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं, उनकी सोच अपनी जिंदगी में अपनी फूल सी बेटी का हाथ पीला करने की है. ताकि मौत के बाद भी बेटी का दर्द माथे पर नहीं रहे. परिवार के दूसरे सदस्य भी राजेश महतो के साथ ही खड़े थें, इस पूरी सोच के बीच पायल अकेली खड़ी थी, उसकी गुहार सुनने को कोई तैयार नहीं था. आखिरकार थकहार उसने अपने परिजनों के खिलाफ थाने में फरियाद करने का निर्णय लिया.
पूरे बुढ़मू प्रखंड में हो रही है पायल की प्रशंसा
आज पायल के इस साहसिक कदम की सराहना पूरे बुढ़मू प्रखंड में हो रही है. मुखिया दशरथ उरांव ने कहा कि पायल बेटी हमारे लिए प्रेरणास्रोत बन कर सामने आयी है. हम उसके फैसले के साथ खड़े हैं.