Ranchi- मतैई और कुकी समुदाय के बीच जारी हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है, गांव के-गांव जलाये जाने की खबरें आ रही, अब तक करीबन सौ लोगों की मौत के दावे किये जा रहे हैं, इस बीच भाजपा सांसद और केन्द्रीय विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह के आवास को आग के हवाले किये जाने की खबर आयी है. हालांकि उस वक्त राजकुमार रंजन सिंह अपने आवास पर नहीं थें. वह केरल के अपने दौरे पर थें. यहां याद दिला दें कि राजकुमार रंजन सिंह उसी मैतेई समुदाय से आते है, जिसको आरक्षण दिये जाने का विरोध नागा और कुकी समुदाय के द्वारा किया जा रहा है.
मणिपुर में कानून व्यवस्था हुआ फेल
घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राजकुमार रंजन सिंह ने कहा है कि मणिपुर में कानून व्यवस्था बूरी तरह से फेल हो चुका है. कल रात जो हुआ उसका मुझे बेहद दुख है, करीबन पचास लोगों की भीड़ ने रात के करीबन 10 बजे हमारे आवास पर हमला कर उसे आग के हवाल कर दिया.
पिछले 20 दिनों में मंत्रियों और विधायकों के आवास पर चौथा हमला
यहां बता दें कि पिछले 20 दिनों में मंत्रियों और विधायकों के आवास पर यह चौथा हमला है. इसके पहले 14 जून क इंफाल के लाम्भेल इलाके में उपद्रवियों ने उद्योग मंत्री नेमचा किपजेन के सरकारी आवास को आग के हवाले कर दिया था. यह महज संयोग ही था कि किपजेन उस वक्त अपने घर पर नहीं थी.
'नफरत के बाजार' को बंद करें और मणिपुरियों के दिल में खोलें 'मोहब्बत की दुकान'
इस बीच मणिपुर हिंसा को लेकर राहुल गांधी ने बड़ा बयान दिया है, उन्होंने कहा है कि भाजपा की नफरत की राजनीति की वजह से मणिपुर जल रहा है. मणिपुर जलता रहा और पीएम मोदी खामोश रहे. बात बात पर अपनी प्रतिक्रिया देने वाले पीएम मोदी ने मणिपुर हिंसा अपनी चुपी नहीं तोड़ी, जबकि इस हिंसा को खत्म करने की जिम्मेवारी उनके कंधों पर ही थी. सरकार को तत्काल मणिपुर में एक सर्वदलीय टीम भेजनी चाहिए. आज मणिपुर में नफरत का बाजार का बंद कर हर मणिपुरी के दिल में मोहब्बत की दुकान खोलने की जरुरत है.
सिविल सोसाइटी ने पीएम मोदी से की जिम्मेवारी लेने की मांग
यहां याद दिला दें कि मणिपुर हिंसा पर देश भर के पांच सौ से ज्यादा सिविल सोसाइटी ने एक बयान जारी कर प्रधानमंत्री से इसकी जिम्मेवारी लेने की मांग की है. सिविल सोसाइटी ने कोर्ट की निगरानी में एक ट्रिब्यूनल बनाकर मणिपुर हिंसा के लिए जिम्मेवारी तय करने की मांग की है. इस बयान पर देश भऱ के 500 से ज्यादा संस्थाओं, संगठनों, सांसदों, पूर्व नौकरशाहों का हस्ताक्षर है.