रांची(RANCHI)- मणिपुर में आदिवासी महिलाओं का नग्न परेड अब झारखंड में बड़ा चुनावी मुद्दा बनता नजर आने लगा है, एक तरफ जहां भाजपा इस मामले की भर्त्सना कर निपापोती करती नजर आ रही है, प्रधानमंत्री मोदी इसे 123 करोड़ भारतीयों के लिए शर्मसार करने वाली घटना करार दे रहे हैं, वहीं आदिवासी संगठन इसे अपनी अस्मिता और पहचान पर हमला बता रहे हैं.
उनका दावा है कि मणिपुर की डबल इंजन सरकार आदिवासियों का आबरु और अस्मिता की रक्षा करने में विफल रही है और वहां जो कुछ भी हो रहा है, वह सब कुछ सत्ताधारी दल के इशारे पर किया जा रहा है. उनका दावा है कि मैतेई समुदाय के पास जो हथियार हैं, उसमें से अधिकांश हथियार वहां की पुलिस बल के छीना गया है, और इतनी बड़ी मात्रा में पुलिस बल से हथियारों का छीना जाना सामान्य घटना नहीं है, इसमें खुद वहां की सरकार की भूमिका है.
अब इसके विरोध में आदिवासी संगठनों की रणनीति बननी शुरु हो गयी है, आज झारखंड के विभिन्न आदिवासी संगठनों की ओर से सड़क मार्च और पुतला दहन करने की घोषणा की गयी है. आदिवासी संगठनों का यह विरोध मार्च जयपाल सिंह स्टेडियम से शुरु होकर अलबर्ट एक्का चौक तक जायेगा. जहां मणिपुर सरकार का पुतला दहन किया जायेगा, इसके साथ ही पुतला दहन के बाद आगे की रणनीति बनायी जायेगी.
प्रधानमंत्री की चुप्पी खतरनाक
आदिवासी जनपरिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि अब देश में लाश पर भी राजनीति की शुरुआत हो चुकी है. हमें लाशों पर अपनी राजनीति बंद कर पूरे मामले की जांच करनी चाहिए, प्रधान मंत्री मोदी इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को भी राजनीतिक चश्मे से देखने की कोशिश कर रहे हैं, यही कारण है कि वह मणिपुर प्रकरण पर कुछ भी बोलने से बचते फिर रहे हैं. आदिवासी बेटियों के इस नग्न परेड पर पीएम मोदी और अमित शाह की चुप्पी एक खतरनाक संकेत है.