Patna- लालू यादव किसी सार्वजनिक सभा का हिस्सा हों और उसकी चर्चा नहीं हो, यह असंभव है, उनका मसखरापन, देसी अंदाज और द्विअर्थी संवाद सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश की राजनीति में मशहूर है. अपने इसी मसखरेपन और देसी वाक्य विन्यास को औजार बना वह विरोधियों को चित करते रहे हैं. कई बार वह अपने हल्के-फुल्के अंदाज में भी भविष्य की राजनीति के कई संकेत छोड़ जाते हैं.
विपक्षी दलों की पटना में आयोजित बैठक में लालू यादव अपने उसी अंदाज और तेवर में दिखें, किडनी प्रत्यारोपण के बाद किसी सार्वजनिक सभा में यह उनकी पहली उपस्थिति थी, स्वास्थ्य काफी कुछ ठीक ठाक दिख रहा था, चेहरे पर एक आत्मविश्वास भी झलक रहा था, आव-भाव से यह अंदाज लग रहा है कि स्वास्थ्य में तेजी से सुधार आ रहा है, लालू यादव का यह आत्मविश्वास उनके लाखों समर्थकों को आश्वस्त कर रहा था.
राजनीति के धुरंधरों की उपस्थिति में लालू का मसखरापन
लेकिन इसी विपक्षी दलों की बैठक में राजनीति के धुरंधरों की उपस्थिति में लालू यादव ने राहुल गांधी को दुल्हा बनने की सलाह दे डाली, उन्होंने कहा कि समय बितता जा रहा है, आपकी मम्मी सोनिया गांधी भी कई बार कह चुकी हैं कि राहुल मेरी बात नहीं मानता, आप सब उसे शादी के लिये मनाईयें. आप अपनी इस बेतरतीब दाढ़ी को ट्रीम करवाईये, दुल्हा बनिये, हम सब आपकी बारात बनने को तैयार हैं.
द्विअर्थी संवाद के उस्ताद माने जाते हैं लालू
राजनीति के धुरंधरों के बीच हंसी-मजाक के बीच लालू के इस बयान सियासी चश्में देखा जाने लगा है और इसके वाजिब कारण भी हैं, क्योंकि लालू यादव अपने द्विअर्थी संवादों के लिए ही जाने जाते हैं, दावा किया जा रहा है कि लालू यादव का यह बयान राहुल गांधी से ज्यादा सीएम नीतीश कुमार के लिए था, क्योंकि दुल्हे बनने की सलाह देकर लालू ने यह संकेत दे दिया है कि विपक्षी एकता की जिस मुहिम को नीतीश कुमार अंजाम देते नजर आ रहे हैं, उसकी अंतिम ताजपोशी राहुल गांधी के सिर पर होनी है, यदि परिस्थितियों का साथ मिला, राहुल गांधी की सदस्यता संबंधी जो विवाद अभी कोर्ट में चल रहा है, उसका निपटारा हो जाता है. और फैसला राहुल गांधी के पक्ष में आता है, छह वर्षों तक चुनाव लड़ने पर लगी रोक हटा ली जाती है, तो नीतीश कुमार के बजाय लालू यादव राहुल गांधी के सिर पर ही विपक्षी एकता का मुकुट पहनाना पंसद करेंगे. साफ शब्दों में कहें तो पीएम फेस के लालू की पसंद नीतीश कुमार के बजाय राहुल गांधी होंगे.
यों ही नहीं माना जाता लालू यादव को राजनीति का उस्ताद
इसके बाद बिहार और देश में लालू यादव का यह बयान सुर्खियों में हैं. इसे नीतीश कुमार के लिए खतरे की घंटी बताया जा रहा है, दावा किया जा रहा है कि लालू यादव को यों ही राजनीति का उस्ताद नहीं माना जाता, भले ही सामने खड़ा शख्स खुद ही उस्तादों का उस्ताद हो, लेकिन लालू तो फिर भी लालू है, जिसका कोई तोड़ नहीं. जब तक यह बड़ा भाई पॉलिटिकली एक्टिव है, अपने छोटे भाई को राजनीति की कलाबाजियां सिखाता रहेगा.