☰
✕
  • Jharkhand
  • Bihar
  • Politics
  • Business
  • Sports
  • National
  • Crime Post
  • Life Style
  • TNP Special Stories
  • Health Post
  • Foodly Post
  • Big Stories
  • Know your Neta ji
  • Entertainment
  • Art & Culture
  • Know Your MLA
  • Lok Sabha Chunav 2024
  • Local News
  • Tour & Travel
  • TNP Photo
  • Techno Post
  • Special Stories
  • LS Election 2024
  • covid -19
  • TNP Explainer
  • Blogs
  • Trending
  • Education & Job
  • News Update
  • Special Story
  • Religion
  • YouTube
  1. Home
  2. /
  3. Big Stories

LS POLL 2024- झारखंड कांग्रेस की तीन "दुर्गा" जिनकी नाराजगी में डूब सकती है 2024 की नैया! विधान सभा चुनाव में भी भारी पड़ सकती है यह भूल

LS POLL 2024- झारखंड कांग्रेस की तीन "दुर्गा" जिनकी नाराजगी में डूब सकती है 2024 की नैया! विधान सभा चुनाव में भी भारी पड़ सकती है यह भूल

Ranchi-जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव का रंग आसमान पर चढ़ता दिखने लगा है, झारखंड कांग्रेस के अंदर असंतोष के स्वर तेज होने लगे हैं. और नाराजगी की मुख्य वजह टिकट वितरण में स्थानीय विधायकों और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप है. सामाजिक समीकरणों की उपेक्षा कर उधार के चेहरों के सहारे जंग लड़ने की सियासी रणनीति है और यह नाराजगी किसी एक विधान सभा क्षेत्र तक सीमित नहीं है. हजारीबाग से धनबाद और गोड्डा तक इसका विस्तार होता दिख रहा है और आने वालों दिनों में यह कौन सी शक्ल अख्तियार करेगा, इसका आकलन फिलहाल बेहद मुश्किल नजर आता है.

गोड्डा से दीपिका सिंह की चाहत

एक तरफ अपने आप को हेमंत का हनुमान बताने वाले जामताड़ा  विधायक इरफान अंसारी गोड्डा संसदीय सीट पर अपने पिता फुरकान अंसारी के पक्ष में बैटिंग करते दिख रहे हैं. इरफान का दावा है कि गोड्डा से तीन बार के सांसद रहे निशिकांत को यदि कोई सियासी अखाड़े में शिकस्त दे सकता है, तो वह सिर्फ फुरकान अंसारी का चेहरा है, दूसरी ओर वर्ष 2002 में कमल की सवारी कर संसद पहुंचने वाले प्रदीप यादव की दावेदारी भी तेज है. ध्यान रहे कि 2002 के बाद प्रदीप यादव ने 2009 और 2014 में भी झाविमो मोर्चा के बनैर तले किस्मत आजमाने की कोशिश की थी, लेकिन निशिकांत के हाथों सियासी शिकस्त का सामना करना पड़ा. बावजूद इसके एक बार फिर से वह मैदान में उतरने का ताल ठोकते दिख रहे हैं. जबकि फुरकान अंसारी 2002 के बाद 2014 में भी मैदान में थें और उन्हे करीबन 50 हजार मतों से मात खानी पड़ी थी, हालांकि इसका एक कारण प्रदीप यादव के हाथों करीबन 2 लाख वोट कटना भी था. यदि तब प्रदीप यादव मैदान में नहीं होते तो निशिकांत दुबे को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता था. अब इस बदले सियासी हालत में महागामा विधायक दीपिका पांडे भी ताल ठोंकने की तैयारी में है. हालांकि दीपिका का कहना है कि पार्टी का आलाकमान जो भी निर्णय होगा, वह स्वीकार होगा. इस हालत में फैसला आलाकमान को लेना है, लेकिन दीपिका की हसरतें जरुर मैदान में कूदने की है. और सवाल यह भी है कि यदि बार बार बूझे तीरों को ही आगे कर मैदान फतह करने की कोशिश की जायेगी, तो युवाओं का नया नेतृत्व कैसे खड़ा होगा.

धनबाद में पूर्णिमा नीरज सिंह की चाहत

ठीक यही कहानी धनबाद संसदीय सीट पर भी देखी जा रही है. धनबाद में भाजपा पहले ही बाधमारा विधायक ढुल्लू महतो को मैदान में उतार कर पिछड़ा कार्ड का मास्टर स्ट्रोक खेल चुकी है. हालांकि भाजपा के इस पिछड़ा कार्ड के बाद धनबाद के सियासी गलियारों में विरोध के स्वर भी देखने को मिल रहे हैं. खास कर अगड़ी जातियों में नाराजगी की कुछ ज्यादा ही पसरती दिख रही है और अब इसी नाराजगी का सियासी फसल काटने की जुगत में पूर्व सीएम रधुवर दास को उनके ही अखाड़े में चुनावी शिकस्त देने वाले सरयू की इंट्री की चर्चा भी तेज है. लेकिन ढुल्लू महतो के सामने इंडिया गठबंधन का चेहरा कौन होगा, इसको लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. कई नाम एक साथ सामने आ रहे हैं, बेरमो विधायक अनुप सिंह अपनी पत्नी अराधाना सिंह की बैटिंग तेज करते नजर आ रहे हैं. उधर उनके भी भाई गौरव सिंह के द्वारा ताल ठोके जाने की खबर है. लेकिन इस बीच झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह का दिल्ली पहुंचने की खबर है. ध्यान रहे कि पूर्णिमा नीरज सिंह को लेकर सियासी गलियारों में कई दावे किये जाते रहे हैं. लेकिन ढुल्लू महतो के नाम का एलान होने के बाद उन सारे कयासों पर विराम लग गया है, और बदले हालत में पूर्णिमा नीरज सिंह का दिल्ली जाना, बदलते घटनाक्रम का गंभीर संकेत है. स्थानीय विधायक होने के कारण अनुप सिंह की तुलना में पूर्णिमा नीरज सिंह की दावेदारी भी मजबूत है. अब इसका फैसला भी पार्टी आलकमान को करना है. फैसला इस बात का करना है कि अगड़ी जातियों में पसरती इस नाराजगी को कैश करने के लिए सियासी पांसा फेंका जाय या भाजपा का पिछड़ा कार्ड को ध्वस्त करने के लिए किसी पिछड़े चेहरे को सामने लाया जाय, स्वाभाविक रुप से कांग्रेस के अंदर इस पर मंथन जारी होगा, हालांकि दोनों के अपने-अपने फायदे और नुकसान है, लेकिन कौन सा दांव बेहतर होगा, इसका आकलन करना महत्वपूर्ण होगा. और इन सारे फैसलों के बीच पूर्णिमा नीरज सिंह की चाहत और मंशा को भी समझना होगा, वैसे भी धनबाद कांग्रेस की सबसे कमजोर कड़ी है, यदि एक मात्र विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह के अंदर भी नाराजगी पनपती है, तो इसका नुकसान सिर्फ लोकसभा चुनाव में ही नहीं विधान सभा चुनाव में देखने को मिल सकता है.

हजारीबाग से अम्बा प्रसाद का पत्ता साफ

एक तीसरा नाम अम्बा प्रसाद का है. अम्बा के बारे में पहले हजारीबाग के मैदान से उतारने जाने की चर्चा थी. लेकिन अचानक से भाजपा से जेपी पटेल को लाकर पत्ता साफ कर दिया गया. अब जेपी पटेल मनीष जायसवाल की राह रोकेंगे या अम्बा और उनके पिता योगेन्द्र साव कोई और सियासी गुल खिलायेंगे, कांग्रेस के रणनीतिकारों को यह सवाल उलझाने लगा है. सियासी जानकारों का दावा है कि जेपी पटेल के पास भले ही एक मजबूत सामाजिक समीकरण है. लेकिन उनकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हजारीबाग के इस दंगल में अम्बा और योगेन्द्र साव की रणनीति क्या होती है. यदि नाराजगी और गुटबाजी इसी प्रकार बनी रही तो मनीष जायसवाल की राह आसान हो सकती है और इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा कि युवाओं के बीच अम्बा का जो क्रेज है, जेपी पटेल में उसकी झलक दिखलायी नहीं पड़ती. अब कांग्रेस के रणनीतिकरों को अम्बा के साथ यह खेल क्यों किया, इसका जवाब तो कांग्रेस के पास ही होगा, लेकिन यदि अम्बा में नाराजगी है, तो इसका नुकसान भी इस बार हजारीबाग लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा, वैसे भी बड़कागांव जहां से अम्बा प्रसाद जीत कर आती है, दावा किया जाता है कि उस सीट पर फतह के लिए योगेन्द्र साव का चेहरा ही काफी है. अब यदि हम इन तीनों कड़ियो को जोड़कर देखने समझने की कोशिश करें तो झारखंड कांग्रेस के इन तीन महिला विधायकों के बीच पार्टी आलाकमान के प्रति नाराजगी की कई वजहें है, और यदि समय रहते इसका समाधान नहीं किया गया तो लोकसभा चुनाव के साथ ही विधान सभा चुनाव में ही इसका दुष्परिणाम देखने को मिल सकता है.

आप इसे भी पढ़ सकते हैं

Big Breaking- कोडरमा संसदीय सीट से बागोदर विधायक विनोद सिंह होंगे महागठबंधन का चेहरा, माले ने की उम्मीदवारी की घोषणा

LS POLL 2024: सिंहभूम के जंग में भाजपा की गीता के सामने झामुमो का चेहरा कौन! दशरथ गागराई की खुलेगी किस्मत या सुखराम उरांव की लॉटरी

LS Poll 2024: “केला ही कमल है” का जोर या टाईगर जयराम का शोर! या फिर मथुरा महतो की इंट्री से बदलेगा खेल? जानिये कितना दिलचस्प है गिरीडीह का मुकाबला 

Big Breaking- गिरिडीह का सस्पेंस खत्म, टाईगर जयराम के सामने एनडीए का चेहरा होंगे चन्द्र प्रकाश चौधरी, आजसू ने किया एलान

LS Poll 2024: जमशेदपुर में इंडिया गठबंधन का चेहरा कौन! कुणाल षड़ंगी और पूर्व क्रिकेटर सौरभ तिवारी की इंट्री या फिर इस कुर्मी चेहरे पर झामुमो लगाने जा रही है दांव

LS Poll 2024: धनबाद के अखाड़े से कूदने की तैयारी में सरयू राय! सवर्ण मतदाताओं में सेंधमारी का मास्टर प्लान या जीत की हुंकार

 

Published at:30 Mar 2024 03:40 PM (IST)
Tags:Three "Durgas" of Jharkhandassembly elections LS POLL 2024-amba prasadmla amba prasadcongress mla amba prasaded raid amba prasadcongress amba prasadamba prasad ed raidvidhayak amba prasadamba prasad latest newsamba prasad newsविधायक amba prasadamba prasad jharkhandbarkagaon congress mla amba prasadamba prasad vidhayakपूर्णिमा नीरज सिंह कीPurnima Neeraj Singhpurnima neeraj singhpurnima niraj singhneeraj singhpurnima singhcong mla poornima neeraj singhmla purnima neeraj singhjharia mla purnima niraj singh incpurnima niraj singh jhariacongress leader purnima neeraj singhpoornima neeraj singhpurnima singh jeetipoornima niraj singhmla purnima singhजामताड़ा  विधायक इरफान अंसारीगोड्डा से दीपिका सिंह की चाहतcongress mla deepika pandey singhcongress mla deepika pandeycongress mla dipika pandey singhdeepika pandey singhcongress mlacongresscongress mla dipika pandeyjharkhand congress mla dipika pandey singhmla deepika pandeydeepika pandeycongress's mahgama mla deepika pandey singh
  • YouTube

© Copyrights 2023 CH9 Internet Media Pvt. Ltd. All rights reserved.