रांची(RANCHI): झारखंड में नियोजन नीति और स्थानीय के मुद्दे पर हेमंत सरकार साफ साफ दो गुटों में बंटती नजर आ रही है. एक तरफ हेमंत सरकार 60:40 की नियोजन नीति पर चुपी साथ यह दावा कर रही है कि वह तमाम कानूनी और संवैधानिक सीमाओं में रहकर नियोजन की प्रक्रिया को तेज करना चाहती है, यही कारण है कि सरकार हर दिन नयी नियुक्तियां निकाल रही है. वहीं दूसरी ओर झामुमो विधायक खुलेआम आन्दोलनरत छात्रों को समर्थन दे रहे हैं.
छात्रों के आन्दोलन में घी डालने का काम कर रहे हैं लोबिन हेम्ब्रम
छात्रों को आन्दोलन का रास्ता त्याग कर अपनी पढ़ाई और आने वाली नियुक्तियों में भाग लेने की सलाह देने के बजाय वह छात्रों को आन्दोलन उग्र करना का सलाह दे रहे हैं. छात्रों के आन्दोलन के आग में घी डालने का काम करते हुए लोबिन ने कहा है कि लोगों की उम्मीद थी हेमंत सरकार उनके सपनों को पूरा करेगी, उनके दुख दर्द दूर होंगे, उनकी समस्य़ाओं का निराकरण किया जायेगा, लेकिन यहां तो सब कुछ उल्टा हो रहा है, हेमंत सरकार के चार साल पूरे गये, लेकिन अब तक स्थानीय नीति नहीं बनी.
60:40 क्या है हेमंत के सिवा कोई नहीं जानता
यह 60:40 क्या है कोई नहीं जानता सिवाय सीएम हेमंत सोरेन के. रोजगार के मुद्दे पर सत्ता में आने वाली हेमंत सरकार ने आज तक कोई कोई रोजगार नहीं दिया, हर बार सिर्फ बहाली की बात की जाती है, और मामला कोर्ट में फंस जाता है. सीएम हेमंत सिर्फ स्थानीय की बात करते हैं, लेकिन स्थानीय को चिह्नित करने का पैमाना क्या होगा, यह हेमंत सोरेन के सिवा कोई नहीं जानता. लोबिन ने साफ शब्दों में हेमंत सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि सत्य कहना ही बगावत है तो उन्हे भी बागी ही समझा जाय. चाहे जो कुछ भी हो जाय लेकिन हेम्ब्रम छात्रों के साथ खड़ा था और रहेगा.