रांची (RANCHI): विपक्षी दलों की शिमला की हसीन वादियों में बैठक के पहले झारखंड कांग्रेस में नया उफान नजर आ रहा है. कांग्रेसी नेताओं का दिल्ली दौरा अचानक से तेज हो गया है, प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के साथ ही कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार बलमुचू, पूर्व राज्य सभा सांसद धीरज प्रसाद साहू की गतिविधियां भी तेज हो चुकी है, सबकी दौड़ दिल्ली की ओर है.
अटकलों का बाजार गर्म
इन नेताओं की इस अति सक्रियता से अटकलों का बाजार गर्म है. कई कयास लगाये जा रहे हैं, सबसे अधिक चर्चा झारखंड प्रदेश में चेहरे के बदलाव को लेकर है, दावा किया जा रहा है कि पटना बैठक के बाद वहां मौजूद नेताओं को मल्लिकार्जून खड़गे ने झारखंड संगठन में बड़े बदलाव का संकेत दे दिया था. मल्लिकार्जून की मंशा झारखंड में वैसे चेहरे पर दांव लगाने की है, जिसका अपना जनाधार हो और झामुमो को अपनी शर्तों के साथ चलने के लिए मजबूर कर सके, दावा किया जा रहा है कि वर्तमान झारखंड नेतृत्व के द्वारा झामुमो के सामने जिस प्रकार की चिरोरी और आरजू की राजनीतिक की जा रही है, उसको लेकर मल्लिकार्जून खड़गे में गंभीर नाराजगी है. उनका आकलन है कि इस राह पर चल कर कभी भी कांग्रेस झारखंड में अपना खोया जनाधार वापस नहीं पा सकती है, नेताओं की कार्यशैली और बयानों में उग्रता लानी होगी. उसे सरकार की कमियों की ओर भी इशारा करना होगा. लेकिन इसके साथ सरकार के साथ तादात्म्य भी बनाना होगा.
राजेश ठाकुर के साथ बंधु तिर्की का दिल्ली दौरा अहम
यही कारण है कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और बंधु तिर्की का एक साथ दिल्ली दौरा को काफी महत्व दिया जा रहा है, माना जा रहा है कि यह उसी बदलाव की दिशा में एक संकेत है, और यही कारण है कि इन दोनों के साथ ही करीब आधा दर्जन नेताओं को भी दिल्ली बुलाया गया था, बंधु तिर्की की चर्चा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अभी कुछ ही दिन पहले बंधु तिर्की ने दिल्ली दौरा किया था और वापस लौटते ही हेमंत सरकार के खिलाफ आक्रमक रुख अपनाते हुए 2024 लोकसभा चुनाव में झारखंड के 14 में नौ सीटों पर कांग्रेस का दावा भी ठोंक दिया था, बंधु तिर्की ने कहा था कि हालिया दिनों में झारखंड में कांग्रेस का जनाधार काफी तेजी से बढ़ा है, अब हम अधिक से अधिक सीटों पर कांग्रेस का प्रत्याशी उतारने की रणनीति पर काम कर रहे है.
बंधु तिर्की के इस बयान पीछे मल्लिकार्जून की रणनीति
दावा किया जाता है कि बंधु तिर्की कांग्रेस आलाकमान और दिल्ली के वरीय नेताओं के संकेत के बाद ही इस तरह के बयान दे रहे थें, अपने कार्यकारी अध्यक्ष के द्वारा इस प्रकार का बयान दिलवाकर कांग्रेस झामुमो के नब्ज को समझने की कोशिश कर रहा था, ताकी सीटों के बंटवारे के लिए आपने-सामने की बैठक के पहले उसे जमीनी हकीकत का ज्ञान हो.
पीएम मोदी का पिछड़ा कार्ड को धवस्त करने की रणनीति
हालांकि इतनी बड़ी फौज के साथ दिल्ली दौरे का परिणाम क्या निकला, इसकी जानकारी झारखंड कांग्रेस का कोई भी नेता देने को तैयार नहीं है, लेकिन सूत्रों का दावा है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भार ग्रहण करते ही मल्लिकार्जून ने यह संकेत दे दिया था कि आने वाले दिनों में कई राज्यों में चेहरे को बदले जा सकते हैं, मल्लिकार्जून की योजना पीएम मोदी का पिछड़ा कार्ड को धवस्त करने के लिए संगठन और सरकार के स्तर पर दलित पिछड़ों और नौजवानों की भागीदारी को बढ़ाना है, मल्लिकार्जून का यह प्रयोग कर्नाटक में सफल हो चुका है.
मल्लिकार्जून की इस राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बंधु तिर्की
दावा किया जा रहा है कि मल्लिकार्जून की इस राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बंधु तिर्की हैं, निकट भविष्य में कांग्रेस या तो उनके चेहरे को झारखंड में आगे करेगी या उन्हे राष्ट्रीय राजनीति में कोई अहम जिम्मेदारी सौंपी जायेगी.