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सीएम नीतीश के निशाने पर लालू का पिछड़ावाद! अफसरों को आगे कर आलोक मेहता और प्रोफेसर चन्द्रशेखर को शंट करने की कवायद

सीएम नीतीश के निशाने पर लालू का पिछड़ावाद! अफसरों को आगे कर आलोक मेहता और प्रोफेसर चन्द्रशेखर को  शंट करने की कवायद

Patna- मीडिया के कुछ हिस्सों में महागठबंधन के अन्दर खींचतान की खबरें हैं, उनके द्वारा लालू परिवार के प्रति समर्पित सुशील सिंह और राजद कोटा से बनाये गये मंत्रियों के साथ आ रही परेशानियों को दिखलाया जा रहा है, इस बात का दावा किया जा रहा है कि नीतीश कुमार एक सुनियोजित रणनीति के साथ राजद के वैसे चेहरों को राजनीतिक रुप से शंट करने की शातीर रणनीति पर काम कर रहे हैं, जो राजद प्रमुख लालू यादव और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बेहद करीब हैं. सुधाकर सिंह, कार्तिकेय सिंह, आलोक मेहता और प्रोफेसर चन्देशखर इसके बेहतरीन उदाहरण बताये जा रहे हैं.

मानस विवाद से असहज थें सीएम नीतीश

दावा किया जा रहा है कि प्रोफेसर चन्द्रशेखर ने रामचरित मानस को लेकर जो बयान दिया था, वह नीतीश कुमार को काफी नागवार गुजरा था, और उसके बाद ही चन्द्रेशखर सीएम नीतीश के निशाने पर आ गयें. इसके साथ ही आलोक मेहता के द्वारा जिस बिंदास अंदाज में बहुजन मुद्दों की बात की जाती है, समाज को शोषक और शोषित जातियों में विभाजित बतलाया जाता है, और इस बात का दावा किया जाता है कि यदि बहुजनों में जागृति आ गयी तो समाज की वह जातियां जो आबादी में तो महज 20 फीसदी है, लेकिन पूरी राजनीति पर उनका वर्चस्व कायम है, बिखर जायेगा.

पिछड़ावाद की राजनीति में अपने को फिट नहीं मानने सीएम नीतीश

आलोक मेहता की पूरी कोशिश तेजस्वी के एटूजेड से आगे निकल बहुजन राजनीति को धार देने की दिखलायी पड़ती है. लेकिन सीएम नीतीश इस तरह की राजनीति में अपने को फिट नहीं पाते, जिस प्रकार से राजद साफ तौर पर पिछड़ों की राजनीति करती हुई दिखलायी देती है, बहुजनों की बात करती है, समाज के दबे कुचलों की आवाज को उठाने का दंभ भरती है. उनके मुद्दों को ही अपनी राजनीति का कोर एजेंडा मानती है, जदयू उस रास्ते पर चलने में अपने को असहज पाती है, जदयू की वैचारकी राजद से दूर भाजपा के करीब नजर आती है, वह सर्व समाज की बात की करती है, वह कोई भी ऐसा मुद्दा छेड़ना नहीं चाहती जो सवर्ण मतदाताओं को नागवार गुजरे, क्योंकि यह सवर्ण हैं, जिनकी वैशाखी तले सीएम नीतीश ने अपनी राजनीति को धार दिया है, और बिहार की जातिवादी राजनीति में अपनी पकड़ को मजबूत बनाये रखा है.

आनन्द मोहन और दलित राजनीति एक साथ नहीं चल सकती

हालांकि सीएम नीतीश पिछड़ों की जनगणना की बात करते हैं, लेकिन इसके साथ ही वह उस आनन्द मोहन को भी जेल से मुक्त करवाते हैं, जिसे एक दलित आईएस की हत्या के आरोप में सजा मिल चुकी है, यहां ध्यान रहे कि आनन्द मोहन आरोपी नहीं है, बाजाप्ते सजायाफ्ता है, नीतीश को जानने समझने वालों का दावा है कि नीतीश किसी भी कीमत पर सवर्ण मतदाताओं को अपने से दूर जाने नहीं दे सकतें. सवर्ण उनकी पहली पसंद हैं, उनके संकट के साथी है, लालू के खिलाफ जंगलराज का जुमला इसी सवर्ण मतदाताओं की ओर से निकला था. जिस पर सवार होकर नीतीश ने कथित सुशासन का मॉडल तैयार किया था. यही कारण है कि पिछड़वाद की राजनीति के अलंबदारों को चुन-चुन कर सलटाया जा रहा है, हालांकि इसके साथ ही सीएम नीतीश को उन चेहरों से विरक्ति है, जिनकी घोषित पसंद लालू यादव है, सुधाकर सिंह इसी की सजा भुगत रहे

Published at:30 Jul 2023 02:28 PM (IST)
Tags:Lalu's backwardness on the target of CM NitishAlok Mehta and Professor Chandeshkhar Nitish kumar lalau yadav lalu yadav patna biharधाकर सिंह कार्तिकेय सिंह आलोक मेहता और प्रोफेसर चन्देशखर
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