रांची(RANCHI)- मांडू विधायक जेपी पटेल ने राज्य की कुड़मी आबादी को जनजाति घोषित करने की मांग की है, उन्होंने इस बात का दावा किया है कि कुड़मी पहले भी आदिम जनजाति का हिस्सा थें, यह कोई नयी बात नहीं है, यदि कुड़मी जाति को एक बार फिर से जनजाति का हिस्सा बनाया जाता है तो इससे झारखंड के विकास को गति मिलेगी, क्योंकि कुड़मियों को जनजाति में शामिल करते ही यह राज्य पांचवीं अनुसूची के बजाय छठी अनुसूची के तहत आ जायेगा और इसके बाद केन्द्र सरकार की ओर से स्पेशल फंड मिलने की शुरुआत होगी, जिसका लाभ दूसरे आदिवासी जातियों को भी मिलेगा. लेकिन इस लाभ को बताने के बजाय आदिवासियों को यह बात समझाने की कोशिश की जा रही है कि कुड़मियों को जनजाति घोषित करने से उनके हक की हकमारी होगी.
जेपी पटेल को विधायक दल का नेता बनाने की हो रही है चर्चा
ध्यान रहे कि कई दिनों से जेपी पटेल को भाजपा विधायक दल का नेता बनाने की खबरें आ रही है, लेकिन दावा किया जा रहा है कि सामान्य वर्ग से आने वाले भाजपा विधायकों के द्वारा जेपी पटेल के नाम का विरोध हो रहा है, इसी विरोध को देखते हुए उनके नाम की अब तक घोषणा नहीं की जा सकी है. विरोधियों का तर्क है कि पहले ही एक आदिवासी बाबूलाल को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी सौंप दी गयी है, अब यदि विधायक दल भी किसी पिछड़ा को बनाया जाता है तो सामान्य जाति के विधायकों का क्या होगा? उनकी राजनीतिक अभिलाषाओं का क्या होगा? वह क्यों पार्टी के प्रति समर्पित होकर अपना काम करेंगे? दूसरी बात यह कि बाबूलाल की तरह ही जेपी पटेल भी भाजपा के पुराने कार्यकर्ता नहीं है, उन्होंने झामुमो से पाला बदल कर भाजपा ज्वाइन किया है. यदि सारे पद बाहरी नेताओं से भी भरा जायेगा तो भाजपा के कार्यकर्ताओं के राजनीतिक भविष्य का क्या होगा?
कुड़मी कार्ड निशाने पर भाजपा
अब पार्टी में इस बगावत के बीच जेपी पटेल ने कुड़मी कार्ड खेल कर अपना इरादा साफ कर दिया है, वह बात भले ही कुड़मियों को जनजाति बनाने की कर रहे हों, लेकिन उनके निशाने पर भाजपा के वैसे विधायक हैं, जिनके द्वारा उनके नाम पर आपत्ति जतायी जा रही है, वह इस बात का संकेत देने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं कि उनके सामाजिक आधार के बराबरी भाजपा का कोई दूसरा विधायक कहीं नहीं टिकता है. साथ ही इस कार्ड को खेलकर वह दूसरे कुड़मी विधायकों को भी अपने पाले में खड़ा करने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं.
खुल सकता है राजनीतिक पिटारा
ध्यान रहे कि भाजपा कभी भी आधिकारिक रुप से कुड़मियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की समर्थक नहीं रही है, क्योंकि जैसे ही यह पिटारा खुलता है, कई दूसरी जातियों के द्वारा इसका दावा किया जाने लगेगा, लेकिन भाजपा की यही मुसीबत जेपी पटेल की ताकत बनने जा रही है, विधायक दल का नेता का दांव फंसता देख जेपी पटेल ने अपना कुड़मी कार्ड खेल दिया है, अब बारी उनके विरोधियों की हैं. जो कहीं बाहर नहीं, खुद उनकी पार्टी के अन्दर हैं.