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कर्नाटक की हार ब्रांड मोदी के क्षरण की शुरुआत! एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी फंस सकता है कांटा

कर्नाटक की हार ब्रांड मोदी के क्षरण की शुरुआत! एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी फंस सकता है कांटा

टीएनपी डेस्क (TNP DESK)-अब तक की रुझानों के अनुसार कर्नाटक में कांग्रेस अपने बूते सरकार बनाते दिख रही है. ताजा रुझानों के अनुसार कांग्रेस के खाते में 130, भाजपा को 66, जेडीएस के हिस्से में 22 सीटें जाती दिख रही है. यह स्थिति तब है जबकि कर्नाटक में भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा और लिंगायत समुदाय सबसे विश्वसनीय और प्रतिष्ठित नेता येदियुरप्पा को साइडलाइन कर खुद प्रधानमंत्री मोदी ने मोर्चा संभाला था, सीधे शब्दों में कहा जाये तो हिमाचल, बंगाल और बिहार की तरह यहां भी भाजपा के सबसे बड़े स्टार प्रचारक खुद मोदी थें.

एक ब्रांड के रुप में प्रधानमंत्री मोदी के दिन अब बीत चुके?

21-21 किलोमीटर का मेगा शो, दर्जनों रैलियां, एक धर्मनिरपेक्ष संविधान की शपथ लेने के बावजूद खुद प्रधानमंत्री के द्वारा जय बजरंगबली के नारे, बावजूद इसके यदि भाजपा मात्र 70 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है तो यह कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि एक ब्रांड के रुप में प्रधानमंत्री मोदी के दिन अब बीत चुके हैं, जनता अब प्रधानमंत्री के उकसाऊ नारों से निकल कर जमीनी मुद्दों की बात करना चाहती है, बजरंगबली उनके आस्था के प्रतीक हो सकते हैं और हैं, लेकिन बजरंगबली के नाम पर वह बजरंग दल की गतिविधियों को सहन करने को तैयार नहीं है. कर्नाटक जैसे विकसित और प्रगतिशील समाज में किसी भी गिरोह के द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर युवाओं और युवतियों की गतिविधियों पर पहरा उसे पसंद नहीं है.

धार्मिक धुर्वीकरण से आगे निकल कर रोजी-रोटी के सवालों को पसंद करती है जनता?

साथ ही अब उसकी चिंता धार्मिक धुर्वीकरण से आगे निकल कर रोजाना की रोजी रोटी से जुड़ रही है, वह इस बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी का उपचार खोज रही है, यही कारण है कि उसे अब राहुल गांधी की आंखों में अपना सपना दिख रहा है, उसे यह महसूस होने लगा है कि उसके मुद्दों की लड़ाई अब राहुल गांधी और कांग्रेस के द्वारा लड़ी जा रही है.

तेज होगी भाजपा के अन्दर के असंतुष्टों की आवाज

लेकिन कर्नाटका हाथ से निकलते ही भाजपा के अन्दर के असंतुष्टों की गतिविधियां भी बढ़ेगी, उसके अन्दर का सत्ता संघर्ष भी सामने आयेगा और आने वाले राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में उसकी चुनौतियां और भी गहरी होगी. हालांकि इन तीनों ही राज्यों में भाजपा पहले से ही परेशानी में घिरी दिख रही है, नंद कुमार साय का ट्रेलर पहले ही सामने आ चुका है, आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ जैसे राज्य से नंद कुमार साय का भाजपा का दामन छोड़ कर कांग्रेस के साथ जाना भाजपा के लिए गंभीर चुनौती है, ठीक उसी प्रकार मध्यप्रदेश में भाजपा डांवाडोल स्थिति में खड़ी है, कभी भी वहां दर्जनों नेताओं के द्वारा बगावत खड़ा किया जा सकता है, कर्नाटक में कांग्रेस का सत्तारोहण से भाजपा के अन्दर के बगावती सुरों को और भी ताकत मिलेगी. यदि राजस्थान की बात करें तो वहां सचिन पायलट और गहलोत के बीच घमासान को देखकर भाजपा खुश भले ही हो सकती हो, लेकिन बसुंधरा राजे और केन्द्रीय भाजपा के अंतरकलह भी कई मौके पर सामने आ चुके हैं.

Published at:13 May 2023 12:49 PM (IST)
Tags:कर्नाटक की हार defeat marks the beginning of erosion of Brand ModiMP Chhattisgarh and Rajasthan may also get stuckब्रांड मोदी के क्षरण की शुरुआत बजरंग बलि Pm modi Amit Shah karnatak Election Rahul gandhi
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