टीएनपी डेस्क(TNP DESK)- जैसे जैसे दिन चढ़ता रहा है, वैसे वैसे बेंगलुरु का मौसम बेहद खुशनुमा और आसमान साफ नजर आने लगा है, साथ ही कर्नाटक की राजनीतिक तस्वीर भी साफ होती नजर आ रही है. अब तक के आंकड़ों के अनुसार कांग्रेस के खाते में 125 सीटें तक जाती दिख रही है, जबकि भाजपा का खाता महज 66 सीटों पर सिमटता नजर आने लगा है. इस बीच किंगमेकर बनने का ख्वाब पाल रहे जेडीएस की राजनीतिक महात्वाकांक्षा को भी गहरा धक्का लगा है, और राज्य की जनता ने बेहद साफ शब्दों में कह दिया है कि उन्हे सिर्फ किंग चुनना था, किंगमेकर नहीं और हमारा किंग कांग्रेस के हाथ में होगा.
हार की जायेगी गहन समीक्षा
इस बीच आंकड़ों को अपने खिलाफ जाता देख कर सीएम बसवराज बोम्मई ने भी अपनी हार को स्वीकार कर लिया है, उन्होंने कहा है कि जनता का यह फैसला उन्हे स्वीकार है, और इस हार की गहन समीक्षा करेंगे, उन कारणों की भी विवेचना करेंगे, जिसके चलते राज्य की जनता ने भाजपा को नकारने का बड़ा फैसला कर लिया.
प्रधानमंत्री के कंधों पर ही भाजपा को विजयश्री दिलवाने की जिम्मेवारी थी
याद रहे कि कर्नाटक के इस चुनावी मैदान के सबसे बड़े सियासी खिलाड़ी पीएम मोदी थें, प्रधानमंत्री के कंधों पर ही भाजपा को विजयश्री दिलवाने की जिम्मेवारी थी, लेकिन चुनावी आंकड़ों से साफ होता है कि राज्य की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा उठाये गये उन तमाम नारों को नजरअंदाज कर कांग्रेस के द्वारा उठाये जा रहे रोजी-रोटी और रोजगार के मुद्दे को अहम माना और राज्य की बागडोर कांग्रेस के हाथ में ही देना श्रेयस्कर समझा.
भाजपा का दक्षिण फतह की कोशिश को गहरा धक्का
कहा जा सकता है कि इसके साथ ही भाजपा का दक्षिण फतह के अभियान को गहरा धक्का लगा है, क्योंकि कर्नाटक को दक्षिण का प्रवेश द्वारा माना जाता है, और यहीं से उसे निराशा मिली है. हालांकि उसकी कोशिश तेलांगना में कुछ करिश्मा दिखलाने की होगी, लेकिन अब वह अपनी जीत का दामोदार प्रधानमंत्री के चेहरे पर नहीं लगा सकता, प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के साथ ही उसे अब धार्मिक धुर्वीकरण से हट कर जनमुद्दों की बात करनी होगी, उसके बाद ही कुछ आशा की जा सकती है