रांची(RANCHI):भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन के अवसर पर शिवाजी पार्क मुम्बई से कल्पना सोरेन ने जिस आत्मविश्वास के साथ “अब झारखंड में कभी कमल नहीं खिलेगा” की भविष्यवाणी की है. उसके बाद सियासी गलियारों में कल्पना सोरेन का तेवर और आत्मविश्वास सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. ध्यान रहे कि अभी चंद दिन पहले ही बोकारो के झंडा मैदान से कल्पना सोरेन की औपचारिक सियासी इंट्री हुई थी. इस प्रकार झारखंड से बाहर यह उनका पहला भाषण है. और यह भाषण भी उस मंच से दिया गया, जिस मंच पर सियासत के कई मंजे खिलाड़ियों की मौजूदगी थी. देश के एक कोने से दूसरे कोने की खाक छानने वाले राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, स्टालिन, शरद पवार, उद्भव ठाकरे, प्रियंका गांधी जैसे स्टार थें, उस मंच से कल्पना सोरेन की इस हुंकार के कई मायने हैं. इसी मंच से कल्पना सोरेन से यह साफ कर दिया कि झारखंड में सिर्फ सरकार का चेहरा बदला है, उसकी प्रतिबद्धता नहीं बदली है, हम जिस गति के साथ समाज के अंतिम पायदान पर बैठे सामाजिक समूहों के लिए अपनी नीतियों का निर्माण कर रहे थें, सरकार के काम काज को सरजमीन पर उतार रहे थें, आगे भी उसी दिशा और रफ्तार के साथ यह कारवां जारी रहेगा.
सरकार का चेहरा चंपाई सोरेन और पार्टी का चेहरा कल्पना
अब यदि इस मंच से कल्पना सोरेन का बयान और उनकी भाव भंगिमा को समग्रता में समझने की कोशिश करें तो एक संदेश साफ नजर आता है कि हेमंत की गिरफ्तारी के बाद जहां सीएम चंपाई सरकार का चेहरा हैं, वहीं कल्पना सोरेन अपने आप को पार्टी का सर्वमान्य चेहरा के रुप में स्थापित करने में सफल रही है. और शायद खुद कल्पना भी इसी अंदाज में अपना विस्तार भी चाहती है. जिस हिम्मत और हौसले के साथ कल्पना सोरेन ने इस बात की भविष्यवाणी की है, कि अब झारखंड में कभी कमल नहीं खिलेगा, उसका साफ है कि आने वाले दिनों में जैसे जैसे चुनावी समर की शुरुआत होगी, अब झारखंड में पूरा महागठबंधन कल्पना के चेहरे भरोसे खड़ा नजर आयेगा. यानि कल्पना ही वह चेहरा होगा. जिस छतरी के नीचे पूरा महागठबंधन खड़ा होगा.