Ranchi-2024 के लोकचुनाव के पहले जैसे-जैसे झारखंड में सियासी तपिश बढ़ रही है, वैसे-वैसे सियासी पार्टियों की उलझने भी बढ़ती नजर आ रही है. एक-एक सीट को लेकर गुणा भाग तेज हो चुका है. किस चेहरे के पालाबदल से कौन सीट निकल सकती है, इसका आकलन किया जा रहा है, और यही कारण है कि हर सियासी दल के द्वारा अपनी पार्टी और गठबंधन के बाहर की चेहरे की खोज जारी है. इस बीच भाषा आन्दोलन से झारखंड की राजनीति में एक धूमकेतु बन कर सामने आये जयराम महतो ने यह दावा कर सियासी सनसनी फैला दी है कि उन्हे एनडीए यानि भाजपा के लेकर इंडिया एलाइंस की ओर से दो दो लोकसभा सीट का ऑफर हुआ है, यदि वह चाहते तो इन दलों के साथ समझौता कर बेहद आसानी के साथ लोकसभा जा सकते थें, लेकिन उनका सपना महज लोकसभा पहुंचने का नहीं है, वह तो लोकसभा इसलिए पहुंचना चाहते हैं ताकि झारखंड के जल जंगल और जमीन के मुद्दे संसद में गूंज सकें. झारखंड में खनन से लेकर जमीन को जो लूट मची है, उसे संसद के पटल पर रख कर आम झारखंडियों की आवाज बन सकें, नहीं तो झारखंड की समस्याओं, उसकी फटेहाली, गरीबी और बेबसी पर चुप्पी साधने वालों सांसदों की कोई कमी थोड़ी ही है.
झारखंड का दुर्भाग्य- यूपी बिहार वाले हमारे सांसद
टाईगर जयराम ने यह भी कहा कि यह झारखंड का दुर्भाग्य है कि बिहार-यूपी से आने वाले हमारे सांसद बन रहे हैं, वह हमारे वोटों से संसद तक पहुंच बिहार और यूपी की समस्याओं के समाधान पर गरजते हैं, लेकिन झारखंड की गरीबी और फेटहारी उन्हे नजर नहीं आती, हमारी जमीन की लूट उन्हे दिखलायी नहीं देती, और यही कारण है कि खनन का क्षेत्र हो या पर्यटन का, निर्माण कार्य हो या फिर सेवा के दूसरे क्षेत्र हर जगह बाहरियों का कब्जा है, इस हालत में आम झारखंडी कहां जायेगा, एक बड़ा सवाल है.
संजय मेहता होंगे हजारीबाग से जेबीकेएसएस का चेहरा
यहां याद रहे कि कोडरमा, गिरिडीह और धनबाद के बाद टाईगर जयराम महतो ने हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी देने का एलान कर दिया है, और यही कारण है कि हजारीबाग में अपनी गर्जना करते हुए उन्होंने कहा कि अब चुनाव नजदीक आ रहा है, अब जयंत सिन्हा फूल माला के साथ अपनी कार पर सवार होकर लोगों के बीच नजर आयेंगे, लेकिन हमें इस साजिश में नहीं फंसना है, और यहां से अपनी आवाज को संसद में भेजना है, उनका इशारा संजय मेहता की ओर था. ध्यान रहे कि संजय मेहता भाषा आन्दोलन के समय से ही जयराम के साथ कंधा से कंधा मिलाकर जमीन पर सक्रिय हैं, कई लोग तो उन्हे जयराम के कमांडर इन चीफ की भी संज्ञा देते हैं, भाषा आन्दोलन के बाद संजय मेहता लगातार हजारीबाग संसदीय सीट पर अपनी सक्रियता को बनाये हुए थें, और यह माना जा रहा था कि यदि जेबीकेएसएस अपना उम्मीदवार देने की घोषणा करती है, तो वह चेहरा संजय मेहता ही होंगे, और अब जयराम ने लगभग इसकी पुष्टि कर दी है, देखना होगा कि संजय मेहता की इस इंट्री से हजारीबाग के सियासी समीकरण में क्या बदलाव आता है, और वह किस सीमा तक स्थापित सियासी दलों के सामने चुनौती बन कर खड़े होते हैं, हालांकि जिस प्रकार चुनावी दंगल की औपचारिक शुरुआत से पहले ही संजय मेहता ने मोर्चा खोला रखा था, और युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता दिन पर दिन बढ़ती दिख रही है, निश्चित रुप से यह स्थापित सियासी दलों को वह एक बड़ी परेशानी का सबब बन सकते हैं.