रांची (TNP Desk)-मुम्बई के एक उद्योगपति हरिहर महापात्रा के द्वारा राज्यसभा के लिए नामांकन फार्म खरीदे जाने के बाद साथ ही झारखंड में एक बड़े खेल की आशंका गहराने लगी है. सियासी गलियारों में यह सवाल पूछा जाने लगा है कि जब झारखंड से दो ही व्यक्ति को राज्य सभा भेजा जाना है, भाजपा ने अपने कोटे से प्रदीप वर्मा तो महागठबंधन की ओर से गाडेंय के पूर्व विधायाक सरफराज अहमद की घोषणा की जा चुकी है. इस हालत में मुम्बई से झारखंड आकर हरिहर महापात्रा के द्वारा नामांकन पेपर की खरीद करना कहीं किसी बड़े खेल का इशारा तो नहीं है.
कैसे तय होता है विधायकों के वोट की कीमत
यहां याद दिला दें कि राज्यसभा चुनाव के लिए कुल विधायकों की संख्या को 100 से गुणा करके, जितनी सीटों के लिए चुनाव होने है, उसमें एक जोड़कर भाग दिया जाता है. इसके बाद कुल संख्या में एक जोड़ा जाता है. फिर अंत में जो संख्या निकलती है वही जीत के लिए मानक तय होता है. जबकि फिलहाल झारखंड विधान सभा में भाजपा के पास-25, झामुमो-29 आजसू-3 कांग्रेस-17, माले-1 और राजद-1 विधायक है, इस संख्या बल के आधार पर भाजपा सिर्फ एक व्यक्ति को राज्य सभा भेज सकती है. इस हालत में सवाल खड़ा होता है कि हरिहर महापात्रा का खेल क्या है? और यह खेल कौन खेल रहा है? और यहीं से शक की सुई भाजपा की ओर गहराती नजर आती है. क्योंकि जिस प्रकार से चंपाई सोरेन के शपथ ग्रहण के बाद कांग्रेस विधायकों के अंदर नाराजगी देखी गयी, नाराज विधायकों के अंदर मंत्री पद की चाहत देखी गयी, नाराज विधायकों को अपनी नाराजगी के इजहार के लिए दिल्ली की दौड़ लगानी पड़ी. उस हालत टूट की आशंका तो कांग्रेसी विधायकों में ही है. लेकिन सवाला यह भी है कि क्या सिर्फ दो चार विधायकों में टूट के साथ ही महापात्रा राज्यसभा पहुंच जायेगें, क्योंकि महापात्रा को राज्य सभा पहुंचने के लिए सारे नाराज विधायकों को अपने साथ खड़ा करना होगा, तो क्या यह माना जाय कि झारखंड में लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बाद एक बड़ा खाल होना है. क्योंकि माना जा रहा है कि 14 मार्च के बाद किसी भी वक्त लोकसभा का एलान हो सकता है, जबकि राज्यसभा का मतदान उसके बाद होगा. तो क्या कांग्रेसी विधायक लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजते ही कांग्रेस को बॉय बॉय करने वाले हैं. और बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सब कुछ इतना सहज सरल तरीके से होगा, आखिर महापात्रा ने किसके माध्यम से इन विधायकों से सम्पर्क साधा होगा, इस सवाल का जवाब के लिए फिलहाल हमें इंतजार करना होगा. लेकिन इस बीच झामुमो महासचिव सुप्रियो ने हरिहर महापात्रा पर तंज कसते हुए कहा है कि उनके पास 28 भूतपूर्व विधायकों का समर्थन प्राप्त है, वह तो हरिहर के साथ ही महापात्र भी है, कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन इतना तय है कि महागठबंधन में कोई टूट नहीं होने वाली है, और खांटी झारखंडी को ही राज्यसभा भेजा जायेगा, बाकि का हिसाब किताब महापात्रा जाने.
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