टीएनपी डेस्क (TNP DESK)– झारखंड में शराब व्यवसाय का किंग पिन माना जाने वाला योगेन्द्र तिवारी के रिमांड का आज आठवां दिन है. इन आठ दिनों में एक दिन भी ऐसा नहीं गया जब ईडी के अधिकारियों के द्वारा उसके सामने सवालों की एक लम्बी फेहरिस्त नहीं थमाई गयी हो. दावा किया जा रहा है कि अब तो उसे इन सवालों की फेहरिस्त देख कर ही पसीने छुट्ट रहे हैं. वह बूरी तरह से टूट चुका है. इस हालत में उसके द्वारा कई ऐसे राज खोल दिये गए हैं, जिसके बाद दर्जनों अधिकारियों और सफेदपोशों पर शामत टूटने वाली है, लेकिन योगेन्द्र तिवारी के कबूलनामे का पहला शिकार प्रेम प्रकाश होता नजर आ रहा है. ईडी झारखंड शराब घोटाले में प्रेम प्रकाश को आरोपी बनाने की तैयारी में जुट गई है.
कौन है यह प्रेम प्रकाश
ध्यान रहे कि यही वही प्रेम प्रकाश है, जिसका नाम अब तक खनन घोटाला और जमीन घोटालों में उछलता रहा है. जिसे पूर्व सीएम रघुवर दास का बेहद करीबी माना जाता था, और यह दावा किया जाता था कि उस वक्त इसकी मर्जी के बगैर एक पत्ता नहीं हिलता था. अधिकारियों के तबादले का फाइल इसके सामने से गुजरता था और इसके बदले में उगाही का खेल चलता था, जिसकी रकम उपर तक पहुंचती थी. फिलहाल सेना जमीन घोटला और अवैध खनन के आरोप में बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारा में बंद है. लेकिन उसकी गर्दन अब झारखंड शराब में घोटला में भी फंसती नजर आने लगी है. इस खबर को सामने आने के बाद सत्ता के गलियारों में एक अजीब सी बेचैनी देखी जा रही है, दावा किया जा रहा है कि प्रेम प्रकाश तो महज एक बानगी है, आगे और भी कई चेहरे बेनकाब होने वाले हैं.
19 अक्टूबर को हुई थी योगेन्द्र तिवारी की गिरफ्तारी
ध्यान रहे कि योगेन्द्र तिवारी की गिरफ्तारी 19 अक्टूबर की देर शाम हुई थी, जिसके बाद बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार भेज दिया गया था, यहां यह भी बता दें कि ईडी ने 23 अगस्त को योगेन्द्र तिवारी के देवघर सहित 34 ठिकानों पर छापेमारी की थी. उन ठिकानों में एक ठिकाना राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के पुत्र रोहित उरांव का भी था. दावा किया जाता है कि रोहित उरांव के आवास से ईडी को करीबन 30 लाख रुपये कैश बरामद हुआ था. जिसके बाद ईडी योगेन्द्र तिवारी, उसका भाई अमरेन्द्र तिवारी और कांग्रेस नेता मुन्नम संजय से लगातार पूछताछ कर रही थी, और आखिरकार 19 अक्टूबर को योगेन्द्र तिवारी को गिरफ्तार करने का फैसला ले लिया गया.
प्रेम प्रकाश के आवास पर छापेमारी के दौरान ईडी को मिला था शराब घोटला का पहला साक्ष्य
यहां यह भी बता दें कि जब ईडी अवैध खनन मामले की जांच के क्रम में प्रेम प्रकाश के ठिकानों पर छापेमारी की थी, दावा किया जाता है कि उसी छापेमारी में ईडी को झारखंड में शराब सिडिंकेट से जुड़े कुछ पेपर हाथ लगें थें. उन दस्तावजों के इस बात के साक्ष्य मिल रहे थें कि झारखंड एक बड़ा शराब घोटला को अमलीजामा पहनाया गया है, और उसका किंगपिन यही योगेन्द्र तिवारी है. जिसके बाद योगेन्द्र तिवारी ईडी की निगाह पर चढ़ गया. और अब ईडी की कोशिश योगेन्द्र तिवारी से झारखंड शराब घोटाले दूसरे सभी किरदारों को सामने लाने की है. माना जाता है कि यह पूरी कवायद महज योगेन्द्र तिवारी तक सीमित नहीं रहने वाली है, इसके विपरीत ईडी के लिए योगेन्द्र तिवारी महज एक मोहरा है, उसकी नजर राज के सियासतदानों पर लगी हुई है, लेकिन इन सियासतदानों और नौकरशाहों पर हाथ डालने के पहले ईडी अपने पास पुख्ता सबूत रखना चाहता है, और यह गिरफ्तारी और पूछताछ उसी का हिस्सा है.
2020 में स्टॉक में मिली थी गड़बड़ी की शिकायत
वैसे 2020 में भी योगेंद्र तिवारी के करीबियों के द्वारा संचालित शराब की दुकानों में स्टॉक में गड़बड़ी की शिकायत मिली थी. जिसके आधार पर तिवारी पर प्राथमिकी भी दर्ज हुई थी. अब उसी प्राथमिकी को आधार बना कर ईडी ईसीआईआर दर्ज मामले की जांच को आगे बढ़ा रही है.
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झामुमो ने खोला सियासी मोर्चा
इस बीच योगेन्द्र तिवारी की गिरफ्तारी के बाद सियासी दांव खेले जाने की भी शुरुआत हो चुकी है, झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने मोर्चा खोलते हुए कहा कि महज एक मोहरे को गिरफ्तार कर ईडी हासिल करना क्या चाहती है, राज्य सरकार को पहले ही इस मामले की जांच कर रही थी, उनके द्वारा राज्य सरकार से भी मामले में एसआईटी का गठन कर जांच करवाने की सलाह दी गयी. ताकि मामले की सच्चाई सामने आ सके.
योगेन्द्र तिवारी बाबूलाल का महज एक प्यादा
सुप्रियो ने ईडी से योगेन्द्र तिवारी के सभी खातों की जांच करने की मांग करते हुए इस बात का दावा किया कि योगेन्द्र तिवारी राज्य के पूर्व सीएम बाबूलाल का महज एक प्यादा है. असली खिलाड़ी तो बाबूलाल हैं, जिनके परिजनों की पूंजी योगेन्द्र तिवारी के कारोबार में लगा है, उनके परिजनों के साथ ही बाबूलाल का सलाहकार सुनील तिवारी की पत्नी भी योगेन्द्र तिवारी की कंपनी का हिस्सा है.
सुप्रियो का दावा, भाजपा के सभी शीर्ष नेता इस घोटाले में शामिल
इन्ही तर्कों को आगे बढ़ाते हुए सुप्रियो इस बात का दावा करते हैं कि यदि ईमानदारी से योगेन्द्र तिवारी से जुड़े बही खातों की जांच की जाय को भाजपा का कोई भी शीर्ष नेता इस घोटाले से बच नहीं पायेगा. इसके साथ ही सुप्रियो ने इस बात का भी दावा किया है कि वह 15 दिनों के अन्दर एक बड़ा खुलासा करेंगे, उस खुलासे के बाद झारखंड की सियासत में भूचाल आ जायेगा और भाजपा नेताओं का चेहरा बेपर्दा हो जायेगा.
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मशहूर रही भाजपा नेताओं के साथ योगेन्द्र तिवारी की गलबहियां
ध्यान रहे कि जिस योगेन्द्र तिवारी को आगे कर भाजपा सीएम हेमंत और उनके करीबियों को बेधना चाहती है, उस योगेन्द्र तिवारी का भाजपा नेताओं का साथ की गलबहिंया काफी मशहूर रही है. इसकी एक झलक रघुवर शासन काल में काबिना मंत्री सरयू राय के उस बयान में मिलती है, जिसमें उन्होंने कहा कि काश 2017 में तत्कालीन रघुवर सरकार ने प्रेम प्रकाश को अपना सुरक्षा कवच प्रदान नहीं किया होता, उनके दावों के अनुसार तात्कालीन उत्पाद आयुक्त भोर सिंह यादव करीबन चार घंटों तक रांची के अरगोड़ा थाने में प्रेम प्रकाश के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए बैठे रहें, लेकिन तात्कालीन सीएम रघुवर दास ने प्राथमिकी दर्ज करने पर रोक लगा दी, और इस प्रकार भ्रष्टाचार का पुलिंदा हाथ में लेकर भोर सिंह यादव को बैरंग वापस लौटना पड़ा, दरअसल भोर सिंह यादव के पास इस बात के पुख्ता सबूत थें कि प्रेम प्रकाश ने शराब कारोबार में सरकार को सात करोड़ रुपये का चुना लगाया है.
इस खेल का एक अदना सा प्यादा है योगेन्द्र तिवारी
यहां यह भी बता दें कि जिस योगेन्द्र तिवारी रुपी कमजोर प्यादे को आज शराब व्यापार का किंग पिन माना जाता है, वह दरअसल उसके सिर पर इसी प्रेम प्रकाश की सरपरस्ती हासिल थी, आज योगेन्द्र तिवारी जो कुछ भी है, उसमें एक बड़ी भूमिका प्रेम प्रकाश का भी है. और यह कहानी सिर्फ यहीं नहीं रुकती, योगेन्द्र तिवारी का एक सिरा आज के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल से भी जुड़ता है, दावा किया जाता है कि योगेन्द्र तिवारी की कंपनी में बाबूलाल के परिजनों का ना सिर्फ पैसा लगा हुआ है, बल्कि वह इस कंपनी के बोर्ड ऑफ डायेरक्टर का वे हिस्सा भी रहे हैं, और सिर्फ बाबूलाल ही नहीं, उनका प्रेस सलाहकार सुनील तिवारी की पत्नी भी इस कंपनी का हिस्सा रही है.
योगेन्द्र तिवारी की गिरफ्तारी के बाद हर दिन एक नया पर्दाभाश कर रहा है झामुमो
यही कारण है कि योगेन्द्र तिवारी की गिरफ्तारी के बाद झामुमो इस बात की मांग पर अड़ा है कि इस छोटे से प्यादे की गिरफ्तारी से इस घोटाले का पर्दाभाश नहीं होने वाला है, ईडी को इसके तह तक जाना चाहिए, उसके तमाम खातों और बहियों की जांच कर इस बात का पत्ता लगाना चाहिए कि इसकी कंपनी के निवेशक कौन हैं और उनका धंधा क्या है, उनकी आय का स्त्रोत क्या है.
झामुमो महासचिव सुप्रियो को इस बात का दावा कर रहे हैं कि योगेन्द्र तिवारी के पीछे भाजपा के शीर्ष नेताओं का वरदहस्त प्राप्त है, और यह महज उनकी ओर से इस कंपनी का संचालन करने वाला अदना सा कार्यकर्ता है, बड़े खिलाड़ी तो योगेन्द्र तिवारी को आगे कर झामुमो को घेरने का शोर मचा रहे हैं, सुप्रियो ने इस बात का भी दावा किया है कि 15 दिनों के बाद यानि दीपावली के पटाखों की गूंज समाप्त होते ही वह एक बड़ा धमाका करेंगे, उसके बाद भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार का शोर मचाते इन भाजपा नेताओं का जुबान में ताला लग जायेगा. हालांकि भाजपा नेताओं का दावा है कि यह सब कुछ महज एक कहानी है, जिसको सामने लाकर झामुमो अपने दामन को बचाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन इसी बीच झामुमो ने एक दूसरा फ्रंट भी खोल दिया है.
सियासी चाल और उलटवासियों का चैंपियन सिर्फ भाजपा नहीं
एक तरफ जहां ईडी दस्तावेजी साक्ष्यों और सबूतों को जमा कर अपनी जांच की दिशा को एक खास दिशा में आगे बढ़ती नजर आ रही है, वहीं दूसरी तरफ हेमंत सरकार ने रघुवर शासन काल के पांच मंत्रियों के खिलाफ एसीबी जांच का आदेश देकर यह साफ कर दिया है कि सियासी चाल और उलटवासियों का चैंपियन सिर्फ भाजपा नहीं है, उसकी हर चाल और साजिश का तोड़ झामुमो के थिंक टैंक के पास है. हमले और प्रतिवार का बारुद उसके पास भी मौजूद है.