Ranchi- बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और चारा मामला में सजा काट चुके लालू यादव जब भी कुछ बोलते हैं. अखबारों की सुर्खियां बन जाती है. अपने मदमस्त और देशी अंदाज के लिए जाने वाले लालू ने इस बार एक ऐसा बयान दिया है, जिसके बाद पूरी भाजपा लालू यादव पर टूट पड़ी है. लालू यादव पर जेल मेन्युल का उल्लंघन करने गंभीर आरोप लगा रही है, और इसी आधार पर सुशील मोदी से लेकर तमाम भाजपा नेताओं के द्वारा सियासत के इस जादूगर को एक बार फिर से जेल भेजे जाने की मांग की जा रही है.
लेकिन बयान देने की हड़बड़ी में बिहार भाजपा के नेताओं ने इस बात की कल्पना भी नहीं की कि यह सियासी हमला खुद भाजपा के लिए एक बड़ी मुसीबत बनने वाली है. लालू यादव के इस बयान के बाद झारखंड सरकार की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा हो गया है. जिस डबल इंजन की दुहाई देकर मतदाताओं से वोट मांगा गया था, वह दावा अब धूल-धूसरित होता नजर आने लगा है. दावा किया गया था कि केन्द्र में पीएम मोदी और राज्य में रघुवर दास के रहते किसी भी अपराधी को कानून व्यवस्था तोड़ने के पहले सात बार सोचना होगा. डबल इंजन की इस सरकार में अपराधियों के लिए जेल के सिवा कोई स्थान नहीं होगा. लेकिन लालू के इस बयान के बाद झारखंड में जेल की सुरक्षा और कानून व्यवस्था का सवाल विमर्श के केन्द्र में आकर खड़ा हो गया है.
रघुवर दास सरकार में बिरसा मुंडा कारागार में बंद थें लालू यादव
ध्यान रहे कि बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की जयंती के अवसर पर पटना के सदाकत आश्रम में बोलते हुए अपने परंपरागत अंदाज में लालू ने यह दावा कर दिया कि जब वह चारा मामले में रांची जेल में बंद थें, तब अखिलेश प्रसाद सिंह किसी कांग्रेसी कार्यकर्ता को राज्य सभा भेजने के लिए सोनिया गांधी की ओर से उनसे मदद की मांग करने आये थें, लेकिन जब अखिलेश प्रसाद सिंह के द्वारा उनके सामने यह बात रखी गयी तो लालू यादव ने अखिलेश प्रसाद सिंह से कहा कि तूम खुद ही राज्य सभा क्यों नहीं जाते हो? कहा जाता है कि लालू की इस बात पर अखिलेश प्रसाद सिंह अंचभित हो गये, उन्हे कोई जवाब नहीं सूझ रहा था, जिसके बाद उनकी चुप्पी को तोड़ते हुए लालू ने कहा कि तुम मैडम से मेरी बात करवाओ, जिसके बाद उनकी बात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस के कद्दावर नेता अहमद पटेल से करवाई गयी. लालू यादव का कहना है कि उन्होंने सोनिया गांधी से कहा कि राज्य सभा जाने के लिए अखिलेश से ज्यादा योग्य उम्मीवार कोई नहीं है, आप इसके ही नाम पर विचार क्यों नहीं करतें? जिसके बाद सोनिया गांधी ने कहा कि जैसी आपकी इच्छा और इस प्रकार अहमद पटेल को अखिलेश प्रसाद सिंह के नाम को आगे करने का आदेश दे दिया गया.
लालू के इस बयान के बाद कटघरे में रघुवर सरकार
लालू का यह सार्वजनिक बयान आते ही बिहार भाजपा को मानो मनमांगी मुराद मिल गयी और लालू को एक बार फिर से जेल भेजने की मांग की जाने लगी, भाजपा नेताओं के मुर्छाए चेहरे खिलने लगे, लेकिन इस सियासी बेचैनी में वह भूल गयें कि जिस समय लालू यादव सोनिया गांधी से बात कर रहे थें, उस समय वह रांची जेल में बंद थें और राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार नहीं होकर डबल इंजन वाली रघुवर सरकार थी, इसका मतलब साफ है कि रघुवर सरकार में डबल इंजन का दावा महज सियासी नारा था, और राज्य में कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ायी जा रही थी, यह तो उन आरोपों की पुष्टि है, जो आरोप रघुवर सरकार के विरोधी और खासकर हेमंत सोरेन लगाते रहे हैं.
क्या रघुवर सरकार में लालू के जान को था गंभीर खतरा
यहां एक पेंच और है, क्या लालू यादव ने अपने फोन से सोनिया गांधी को फोन लगाया था, या जेल के किसी दूसरे कैदी के फोन का इस्तेमाल किया गया था, या फिर अखिलेश प्रसाद सिंह खुद ही फोन लेकर जेल के अन्दर जाने में कामयाब रहे थें, यदि वाकई अखिलेश प्रसाद सिंह अपने फोन के साथ जेल के अन्दर जाने में कामयाब रहे थें तब तो यह और भी गंभीर मामला है. यदि अखिलेश प्रसाद सिंह जेल की तमाम सुरक्षा व्यवस्था को धत्ता बताते हुए मोबाईल लेकर अन्दर जाने में सफल हो जाते हैं. तब तो लालू यादव की सुरक्षा पर भी बेहद गंभीर सवाल खड़ा होता है. या तो रघुवर सरकरा के द्वारा जानबूझ कर लालू यादव की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था, या फिर उस वक्त जेल की सुरक्षा की यही स्थिति थी, जहां सरेआम अपराधियों का राज चल रहा था.
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यदि लालू यादव के साथ कोई अनहोनी हो जाती तो उसका जिम्मेवार कौन होता
यह सवाल और भी गंभीर तब हो जाता है जब उस जेल के अन्दर बिहार जैसे राज्य के मुख्यमंत्री रहे, एक सियासी दल के सर्वेसर्वा और चारा मामले का अभियुक्त लालू यादव हों. निश्चित रुप से उनकी सुरक्षा को लेकर तात्कालीन राज्य सरकार को बेहद सतर्क रहना चाहिए था, लेकिन लालू के बयान से तो लगता है कि तब झारखंड में जेल अपराधियों का स्वर्ग के रुप में तब्दील हो चुका था, जहां डबल इंजन का रसूख पूरी तरह से गायब था. और इन छंटे अपराधियों के बीच में लालू यादव जैसे राजनेता को रखा गया था, यदि उस समय लालू यादव किसी साजिश का शिकार हो जाते, तब यह जिम्मेवारी किसके सिर पर जाती. तब क्या माना जाय कि कानून व्यवस्था के सवाल पर भाजपा की रघुवर सरकार बिल्कुल फिसड्डी थी. लेकिन भाजपा नेता इस गंभीर सवाल का जवाब देने के बजाय समवेत स्वर में एक बार फिर से लालू को जेल भेजने की मांग करते नजर आ रहे हैं. लेकिन इतना साफ है कि इस मामले को जितना राजनीतिक तूल देने की कोशिश की जायेगी, यह उलट कर भाजपा की मुसीबत बनेगी. और इसके साथ ही हेमंत सरकार के हाथों भाजपा पर हमलावर होने का एक और सुनहरा अवसर होगा.