टीएनपी डेस्क (TNP DESK)-जैसे ही सीएम नीतीश को विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया का संयोजक बनाने की चर्चा तेज हुई, पटना के राजनीतिक गलियारों में यह खबर तैरने लगी कि सीबीआई और ईडी की एक बड़ी टीम पटना में अपना डेरा डाल चुकी है और वह किसी बड़े शिकार की तैयारी में है, अभी यह खबर चल ही रही थी कि छह वर्षों से फरार चल रहे रजनी प्रिया की गिरफ्तारी की खबर आयी. यह वही रजनी प्रिया हैं जिसके सास मनोरमा देवी और पति अमित कुमार पर सृजन घोटाला का आरोप था और दोनों की मौत हो चुकी है, अब सिर्फ रजनी प्रिया ही उस घोटाले का मुख्य आरोपी है. सारे उस घोटाले के सारे राज उसके सीने में दफन हैं.
हेमंत सरकार को अस्थिर करने के अब तक के सारे कुचक्र असफल
इस बीच ईडी ने कथित जमीन घोटले में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को समन भेज कर अपना इरादा साफ कर दिया. यहां यह भी ध्यान रहे कि इधर झारखंड में भी हेमंत सरकार को अस्थिर करने के अब तक के सारे कुचक्र असफल साबित हो चुके हैं. इसके पहले भी उनसे संताल अवैध खनन के मामले में पूछताछ की गयी थी, लेकिन उस पूछताछ में ईडी को कुछ भी हाथ नहीं लगा था, लेकिन प्रयास जारी रहा, इस बीच प्रेम प्रकाश से लेकर विष्णु अग्रवाल की गिरफ्तारी हो चुकी है, यह वही प्रेम प्रकाश है, जिसकी रघुवर शासन काल में तूती बोलती थी, सीएम रहते हुए रघुवर दास इसी प्रेम प्रकाश के सहयोगी की कार से चलते थें, सीएम पद जाने के बाद भी यह कार उनके गैरेज की शोभा बढ़ाता रहा, लेकिन जैसे ही पूजा सिंघल पर रेड हुआ, यह कार रघुवर दास के गैरेज से गायब हो गया. पूजा सिंघल जिस मनरेगा घोटाला का सामना कर रही है, उसे रघुवर शासन काल में ही अंजाम दिया गया था.
भ्रष्टाचार के सारे तार रघुवर दास के शासनकाल से जुड़ते नजर आते हैं
इस कहानी को बताने का अभिप्राय मात्र इतना है कि जिस-जिस घोटाले की कहानी आज कही जा रही है, उसके सारे तार रघुवर दास के शासनकाल से जुड़ते नजर आते हैं, वह सारे किरदार जो आज ईडी और सीबीआई की चपेट में है, सारे के सारे रघुवर दास के प्रिय थें, तब राजनीतिक गलियारों में उनकी हनक गुंजती थी, लेकिन मजबूरी यह है कि यदि हेमंत को घेरना है, तो उन प्यादों की बलि चढ़ानी ही होगी. यही कारण है कि आज पूजा सिंघल से लेकर प्रेम प्रकाश और अमित अग्रवाल से लेकर विष्णु अग्रवाल तक सभी बिरसा मुंडा की शोभा बढ़ा रहे हैं. बावजूद इसके ईडी के हाथ कुछ ज्यादा खुला नजर नहीं आ रहा है. उसकी कई राजनीतिक बंदिशें और सीमाएं हैं.
ये सारे छापे पीएम मोदी के भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने के संकल्प का हिस्सा नहीं
साफ है कि ये सारे छापे और पूछताछ भ्रष्टाचार मुक्त समाज का बनाने के पीएम मोदी के संकल्प का हिस्सा नहीं है. इसके पीछे राजनीतिक विवशता और षडयंत्र है, जानकार मानते हैं कि जिस प्रकार से सीएम नीतीश और हेमंत ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, भाजपा के लिए झारखंड बिहार की जमीन राजनीतिक रुप से बंजर नजर आने लगी है, यहां वाटलू की वह लड़ाई लड़ी जायेगी, जिस जमीन पर अपने समय का सबसे मजबूत योद्धा नेपोलियन बोनापार्ट ने दम तोड़ दिया था.
यहां ध्यान रहे कि सृजन घोटाले में हजारों करोड़ रुपये का वारा-न्यारा हुआ था, सृजन महिला विकास सहयोग समिति की संचालिका मनोरमा देवी का सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के नेताओं से अति मधुर संबंध रहे थें, निशिकांत दुबे, सुशील मोदी, नित्यानंद राय से लेकर शहनवाज हुसैन के साथ जिसका उठना-बैठना होता था, दावा किया जाता है कि मनोरमा देवी बड़े-बड़े अधिकारियों से लेकर सफेदपोशों को देश विदेश की सैर करवाती थी. अधिकारियों की बीबियों और उनकी मैडमों के लिए सृजन के खाते से जवरों की खरीद के लिए पैसे का भुगतान होता था. मनोरमा देवी के राजनीतिक हनक के सामने अधिकारी मेमने की तरह मिमियाते थें, अब उसी मनोरमा देवी की बहु रजनी प्रिया को सीबीआई ने गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है.
छह वर्षों से फरार थी रजनी प्रिया
ध्यान रहे कि रजनी प्रिया पिछले छह वर्षों से फरार थी, सीबीआई उसका पत्ता नहीं खोज पा रही थी, उसको ढूंढ़ने के लिए इश्तेहार चिपकाये जा रहे थें, ढोलक पीट कर मुनादी लगायी जा रही थी, लोगों से उसकी सूचना देने की गुहार लगायी जा रही थी, जानकारी देने वालों के लिए इनाम की राशि घोषित की जा रही थी, वह रजनी प्रिया और कहीं और नहीं सीबीआई मुख्यालय से चंद किलोमीटर की दूरी पर गाजियाबाद में आराम फरमा रही थी.
संयोग या सुनियोजित राजनीतिक प्रयोग
अब इसे संयोग कहा जाये या सुनियोजित राजनीतिक प्रयोग, यहां याद रहे कि 2024 की डुगडुगी पीटी जाने वाली है, और बिहार में मोदी रथ के सामने सुशासन बाबू खड़े हैं, वही सुशासन बाबू जिसे कभी खुद मोदी ने समाजवाद का सच्चा सिपाही कहा था, जिसके दामन पर तीन दशकों की राजनीति के बाद भी कोई दाग नहीं है, जिसके पीछे कॉरपोरेट की ताकत नहीं है, जो अपने देसी बोली और वाक्य विन्यास से मोदी को गंभीर राजनीतिक चुनौती पेश कर रहा है, जिसने उस विपक्ष को एकजुट करने का कारनामा कर दिखाया है, जिसे कल तक मेढ़कों की बारात मानी जाती थी, और उस विपक्ष की ताकत यह है खुद मोदी को अब उसे घमंडिया कहने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
बड़े शिकार की तैयारी में भाजपा
तब क्या यह माना जाय कि रजनी प्रिया की गिरफ्तारी महज एक संयोग नहीं है, रजनी प्रिया फरार नहीं थी, बल्कि फऱार करवायी गयी थी, और रजनी प्रिया को सामने लाकर भाजपा एक बड़े शिकार पर निकल पड़ी है
यहां यह याद रहे कि नीतीश को बेधने के लिए भाजपा अब तक सारे मोहरों को आजमा चुकी है. अब कोई मोहरा बाकी नहीं रहा, आरसीपी सिंह से लेकर उपेन्द्र कुशवाहा तक सारे हथियार भोथरा साबित हुए, इसमें कोई भी नीतीश के सामने गंभीर चुनौती पेश नहीं कर सका, जिस हरिवंश को आगे कर अंतिम कोशिश की गयी, वह भी बेकार गया.
भाजपा के लिए रजनी प्रिया ही अंतिम सहारा
तब क्या माना जाये कि अब भाजपा के लिए रजनी प्रिया ही अंतिम सहारा है, जिसके सहारे वह नीतीश को घेर सकती है, सुशासन बाबू के बेदाग चेहरे को दागदार घोषित कर सकती है.
जैसे जैसे 2024 नजदीक आता जा रहा है, सीएम नीतीश गंभीर चुनौती पेश करते नजर आ रहे हैं
क्योंकि जैसे जैसे 2024 नजदीक आता जा रहा है, वैसे वैसे नीतीश कुमार विपक्षी दलों की ओर से पीएम पद के उम्मीवार के सबकी पसंद बनते जा रहे हैं. और माना जा रहा है कि मुम्बई बैठक में उन्हे इंडिया का संयोजक बनाने की घोषणा की जा सकती है. तब क्या रजनी प्रिया इसी इंडिया की काट है, क्या अब भाजपा रजनी प्रिया को आगे कर नीतीश को डराने का काम करेगी, यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि यदि आप मोदी के सामने चुनौती बनने की सोच रहे हैं तो अब तक का आपका बेदाग चेहरा भी दागदार होने वाला है, भले ही पीएम मोदी आपको समाजवाद का सच्चा सिपाही घोषित कर चुके हों, लेकिन मोदी के दूसरे जुमले की तरह उसे भी राजनीतिक जुमला घोषित किया जा सकता है.
भाजपा को अपने सांसदों और विधायकों की भी बलि चढ़ानी होगी
लेकिन बड़ी मुसीबत यह है कि सीएम नीतीश तक पहुंचने के पहले भाजपा को कम से कम एक दर्जन अपने सांसदों और विधायकों की बलि चढ़ानी होगी. निशिकांत दुबे, सुशील मोदी से लेकर शहनवाज हुसैन भी इसकी चपेट में आयेंगे, तब क्या भाजपा यह जोखिम लेगी, जानकारों का मानना है कि यदि मोदी अमित शाह की जोड़ी को यह लग गया कि अब इसके सिवा कोई विकल्प नहीं है, इन प्यादों की बलि चढ़ाई जा सकती है. झारखंड में अमित अग्रवाल, विष्णु अग्रवाल, प्रेम प्रकाश की बलि चढ़ाई जा चुकी है, यही सब कुछ बिहार में भी दुहराया जा सकता है.
इसलिए आने वाले दिनों में झारखंड बिहार में बड़ा सियासी तूफान खड़ा हो सकता है, बहुत संभव है कि सीएम नीतीश और हेमंत के विरुद्ध आरोपों का बड़ा पिटारा खोला जाय, हालांकि सीएम नीतीश ने जातीय जनगणना, तो सीएम हेमंत ने 1932 का खतियान, सरना धर्म कोड और पिछड़ा आरक्षण में विस्तार की घोषणा कर भाजपा का राजनीतिक जमीन को बंजर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है.