Patna- मुसहर समाज के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए अपने जीवन को समपर्ति पद्मश्री सुधा वर्गीज को प्रतिष्ठित जमनालाल बजाज फाउंडेशन पुरस्कार दिये जाने की घोषणा हुई है. आठ दिसम्बर को मुबंई में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के हाथों यह पुरस्कार प्रदान किया जायेगा. जमनालाल बजाज फाउंडेशन पुरस्कार प्रदान किये जाने के साथ ही उनका एक बयान सुर्खियां बटोर रहा है, जिसमें सुधा वर्गीज ने शराबबंदी को मुसहर समाज की आजीविका पर कुठाराधात बताया है, उन्होंने कहा कि सरकार को शराबबंदी लागू करने के पहले मुसहर समाज के लिए वैकल्पिक आजीविका उपलब्ध करवाना चाहिए था, क्योंकि सदियों से यह समाज शराब का निर्माण कर ही अपनी आजीविका चलाता रहा है, लेकिन सरकार के एक फैसले से इनकी आजीविका पर संकट खड़ हो गया है.
शराबबंदी के फैसले से चली गयी मुसहर समाज की आजीविका
सुधा वर्गीज ने कहा कि यह एक सच्चाई है कि इस समाज को मुश्किल से दो या तीन माह खेतों में काम मिलता है, बाकी के दिन यह शराब का निर्माण कर अपनी आजीविका चलाते हैं, लेकिन शराबबंदी के फैसले से इनकी आजीविका समाप्त हो चुकी है, शराबबंदी को लेकर जितने भी मामले दर्ज किये गये हैं, उसमें आधा से अधिक मामले में इसी समाज से आते हैं, आज यह समाज अपनी खून की कमाई को कोर्ट में बर्बाद कर रहा है, इस हालत में यह जरुरी है कि सरकार इस समाज के लिए वैकल्पिक आजीविका की तलाश करे.
मुसहर समाज की बेटियों के लिए दो होस्टल का संचालन
ध्यान रहे कि मुसहर समाज और दूसरे वंचित जातियों के बीच उनके काम को लेकर ही उन्हे पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. अब एक बार उन्हे जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गयी है, इसके साथ ही सुधा वर्गीज को 20 लाख रुपये देने की भी घोषणा हुई है, सुधा वर्गीज ने कहा कि इस राशि को वह मुसहर समाज के उत्थान के लिए खर्च करेंगे. सुधा वर्गीज पहले से ही मुसहर समाज के लिए स्कूलों और होस्टल संचालन करती रही हैं. इसमें से दो होस्टल मुसहर समाज की बेटियों के लिए है. जिसका संचालन बोधगया और दानापुर में किया जा रहा है.