टीएनपी डेस्क (TNP DESK)-पिछले तीन महीनों से नस्लीय हिंसा की आग में जलते मणिपुर के जमीनी हालात का जायजा लेने और इस बात का विश्वास दिलाने कि इस संकट की घड़ी में भारत की आम जनता मणिपुर के साथ खड़ी है, विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया की ओर से 26 पार्टियों के सांसदों और प्रतिनिधियों की टीम शनिवार को मणिपुर जायेगी.
राहत कैंपों का भी दौरा करेगी यह टीम
यहां बता दें कि पहले विपक्षी दल शासित 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को वहां जाने की खबर थी, लेकिन इन मुख्यमंत्रियों का एक साथ समय निकालना मुश्किल हो रहा था, जिसके बाद सासंदों और प्रतिनिधियों को भेजे जाने का निर्णय लिया गया. यह प्रतिनिधिमंडल पहाड़ी क्षेत्रों के साथ ही घाटी का भी दौरा कर उनका दुख दर्द को समझने की कोशिश करेगी. राहत शिविरों में रहने वाले लोगों से बात कर उनको इस बात का विश्वास दिलाने की कोशिश करेगी कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है. भारत का राजनीतिक वर्ग इस संकट की खड़ी में आपके साथ खड़ा है. खबर के अनुसार विपक्षी दलों की इस टीम में तृणमूल की सुष्मिता देव, एनसीपी की वंदना चव्हाण और झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ मांझी की भी भागीदारी होगी.
मणिपुर हिंसा पर लोकसभा में हमलावर है विपक्ष
यहां ध्यान रहे कि इंडिया की ओर से मानसून सत्र में मणिपुर को लेकर बवाल काटा जा रहा है, विपक्ष सीधे प्रधानमंत्री मोदी से मणिपुर के हालात पर बयान देने की मांग पर अड़ा है, जबकि सत्ता पक्ष की ओर से अमित शाह ने मोर्चा संभाल रखा है, इसको लेकर लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष में तकरार की स्थिति बनी हुई है. दावा किया जाता है कि इसी रणनीति के तहत विपक्ष की ओर से मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को रखा गया है, ताकि इस बार प्रधानमंत्री मोदी को खुद ही सामने आकर मणिपुर के हालत पर अपनी बात को रखने के लिए मजबूर होना पड़े.