Patna-पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 26वीं बैठक में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजदूगी में नीतीश कुमार ने एक बार फिर से ओबीसी कार्ड खेला है. नीतीश कुमार ने बेहद चतुराई के साथ अमित शाह के सामने आरक्षण विस्तार के फैसले को संविधान की नौंवी अनुसूची में डालने की मांग करते हुए दावा किया. इस आरक्षण विस्तार के फैसले से बिहार के तमाम वंचित सामाजिक समूहों को उनकी भागीदारी का रास्ता साफ हो जायेगा. इस फैसले से उनकी गरीबी भी खत्म होगी और बिहार सामाजिक समानता की राह पर चल निकलेगा. इसके साथ ही बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग को उठाते हुए सीएम नीतीश ने दावा किया कि बगैर विशेष राज्य का दर्जा प्रदान किये बिहार को इस फटेहाली से बाहर नहीं निकाला जा सकता है. नक्सलवाद एक समस्या जरुर है, लेकिन इसकी मुख्य वजह गरीबी, भूखमरी और सामाजिक असामनता है, हमें नक्सलवाद के मूल कारक कारणों पर प्रहार करना होगा. और इसके लिए बेहद जरुरी है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान किया जाय. जबकि जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बिहार को बाढ़ की विभिषिका से मुक्ति दिलवाने के लिए नेपाल के पास हाई डैम बनाने का प्रस्ताव दिया.
बंगाल, झारखंड और ओडिसा के मुख्यमंत्रियों ने किया किनारा
ध्यान रहे कि इस बैठक में झारखंड, ओडिशा और बंगाल के सीएम को भी शामिल होना था, लेकिन तीनों ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों के द्वारा इससे किनारा कर लिया गया. याद रहे कि एनडीए छोड़ने के बाद यह अमित शाह और सीएम नीतीश के बीच की पहली मुलाकात थी. इसके पहले जी-20 के डिनर पर पीएम मोदी के साथ सीएम नीतीश की मुलाकात हुई थी, और उसी वक्त अमेरीकी राष्ट्रपति बाइडेन के विशेष आग्रह पर पीएम मोदी ने राष्ट्रपति बाइडेन से सीएम नीतीश की मुलाकात करवायी थी, जिसके बाद इस बात की चर्चा चल पड़ी थी कि एक बार फिर से सीएम नीतीश एनडीए के साथ खड़ा नजर आ सकते हैं. हालांकि इसके बाद यह सब कुछ महज सियासी कयासबाजियां साबित हुआ. लेकिन अब पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में एक बार फिर से अमित शाह के साथ सीएम नीतीश की मुलाकात हुई.
कब हुआ था इसका गठन
यहां यह भी ध्यान रहे कि पूर्वी क्षेत्रीय परिषद का गठन वर्ष 1958 में किया गया था, अब तक 1963, 1985 और 2015 बिहार को इसको होस्ट करने का अवसर मिला था, इस प्रकार सात वर्षों के बाद एक बार फिर से बिहार इसका होस्ट बना. स्वाभाविक रुप से होस्ट राज्य होने के नाते सीएम नीतीश के कंधों पर इस बैठक को सफल बनाने की एक बड़ी जिम्मेवारी थी. और यही कारण है कि सीएम नीतीश के द्वारा भी इसकी पूरी तैयारी की गयी थी.