Ranchi “अब की बार चार सौ पार” के पीएम मोदी के दावे और वापसी के आत्मविश्वास पर तंज कसते हुए प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने दावा किया है कि खुद भाजपा के इंटरनल सर्वे में ही इनकी गाड़ी दो सौ के नीचे फंसती बतायी गयी है. जबसे यह रिपोर्ट आयी है, ईडी सीबीआई और आईटी की छापेमारी और भी रफ्तार पकड़ चुकी है. और जब तक लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं हो जाती. यह सब कुछ चलता रहेगा. लेकिन चाहे जितना भी दम लगा लें, उनकी आंतरिक रिपोर्ट की हकीकत बदलने वाली नहीं है. क्योंकि यही देश की सच्चाई है, और इसी डर की वजह से भाजपा इस बार अपने सांसदों का टिकट भी काटने की हिम्मत नहीं कर पा रही. लोकसभा चुनाव में विपक्ष के मुद्दे की बात करते हुए मीर ने कहा कि इस बार बेरोजगारी, महिलाओं पर अत्याचार, दलित-पिछड़ी जातियों की सियासी-सामाजिक हकमारी सबसे बड़ा मुद्दा बनने वाला है. कांग्रेस और इंडिया गठबंधन इस बात का भरोसा दिलाती है कि जैसे ही इस सरकार की विदाई होगी, जातीय जनगणना का एलान कर दिया जायेगा. नौजवानों के साथ ही, सियासी भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस बड़ी संख्या में दलित-पिछड़ी जातियों को टिकट देने जा रही है. इसकी झलक पहली सूची में देखी जा सकती है.
हर वर्ग को समूचित प्रतिनिधित्व का दावा
झारखंड में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों पर बड़ा खुलासा करते हुए गुलाम अहमद मीर ने दावा कि एक से दो दिनों में इसकी घोषणा कर दी जायेगी. औ इस लिस्ट में हर सामाजिक समूह को प्रतिनिधित्व होगा, समाज को कोई भी तबका प्रतिनिधित्व से वंचित नहीं रहेगा. और यही कारण है कि हर लोकसभा क्षेत्र में समन्वय समिति की बैठक कर सबसे योग्य उम्मीदवारों की सूची तैयार की गयी है. हमारी कोशिश आसमान से प्रत्याशियों को उतराने के बजाय जमीनी कार्यकर्ताओं को उपर उठाने की है. इस बार पुराने अनुभव के साथ ही युवा पीढ़ी को भी पर्याप्त अवसर मिलेना जा रहा है, ताकि आगे की पीढ़ी को तैयार किया जा सके.
प्रत्याशियों के एलान के मामले में बाजी मार चुकी है भाजपा
यहां ध्यान रहे कि भाजपा अब तक झारखंड की 14 में 11 प्रत्याशियों का एलान कर चुकी है, जिसके बाद इस बात की उत्सुकता बढ़ गयी है कि इन सीटों पर इंडिया गठबंधन किसे मैदान में उतारता है, लेकिन कांग्रेस अपने प्रत्याशियों के एलान के बजाय अभी प्रत्याशियों को लेकर सर्वे की करती नजर आ रही है, और यही इंडिया गठबंधन की कमजोरी का कारण बताया जा रहा है. सियासी विश्लेषकों का मानना है कि प्रत्याशियों के एलान के साथ ही भाजपा ने एक बढ़त लेने की कोशिश जरुर की है, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि इस बार भाजपा ने कई ऐसे प्रत्याशियों को भी मैदान में उतारा है, जिनका पिछला पांच साल का कार्यकाल बहुत उल्लेखनीय नहीं रहा है, और इसकी खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है, लेकिन यह तभी संभव है जब इंडिया गठबंधन किसी मजबूत सियासी पहलवान को मैदान में उतारे. यदि उसी पुराने चेहरों के सहारे इस भाजपा को रोकने की कोशिश की गयी, और प्रत्याशियों के एलान में देरी किया गया, तो इंडिया गठबंधन और कांग्रेस भाजपा की इस कमजोरी का लाभ उठाने की स्थिति में नहीं होगी.
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