Ranchi-भले ही चाचा रामराम सोरेन के श्राद्धकर्म के दौरान कल्पना सोरेन और हेमंत सोरेन के बीच की मुलाकात महज चंद पल की हो, लेकिन इस चंद पलों की मुलाकात के बाद कल्पना सोरेन पूरी तरह बदली नजर आ रही है. भाषणों में आक्रमकता तो पहले भी थी, लेकिन अब हमला और भी धारदार होता दिख रहा है, जिस तरह राहुल गांधी की उपस्थिति में जमशेदुपर में कल्पना सोरेन ने मोर्चा संभाला, जोबा मांझी को दीदी, भाभी और बेटी बताते हुए जीत दिलवाने की अपील की, हेमंत की बदली छवि को भी सियासी हथियार बनाया, कल्पना सोरेन के इस बदले अंदाज और बढ़ते आत्मविश्वास को समझा जा सकता है.
सोशल मीडिया बेहद आक्रमक है कल्पना का अंदाज
अब वह कल्पना नहीं रही जो सार्वजनिक मंचों पर अपने आंसुओं के साथ सभा को संबोधित करती थी, अब भाषणों में तल्खी और घातक प्रहार की झलक दिखलायी देने लगी है और इसकी झलक सोशल मीडिया हैंडल पर पर भी देखी जा रही है. हर दिन वह एक नये स्लोगन के साथ सामने आती है, कभी “संकट के क्षण हम रास्ता नहीं बदलते, किसी के डर से तकाज़ा नहीं बदलते” तो कभी ‘जहाँ तलक न लक्ष्य पूर्ण हो समर करेंगे हम’ का अंदाज होता है, तो कभी ‘शेरदिल सोरेन जनता के मन में बसता है. उनके किए कार्य हर झारखंडी के दिलों में घर कर गया है- आख़िर दिलों से कैसे निकाल पाओगे तानाशाह’ का वार होता है, तो कभी ‘झारखण्डी वह बीज है, जिसे जितना मिट्टी में दबाओगे, वह उतना विशाल वृक्ष बन कर उभरेगा’ का प्रहार होता है.
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