TNP DESK-झारखंड में भले ही सीएम का चेहरा बदल गया हो और विधायकों के बीच “कौन होगा मंत्री” की दौड़ लगी हो, राजधानी रांची से लेकर दिल्ली तक भागमभाग हो रही हो, अपने-अपने आलाकमान को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की जा रही हो, कि यदि उनके हाथ एक बार यह मंत्री का तोहफा हाथ आता है तो अमूक सामाजिक समूह की नाराजगी को कितना कम किया जा सकता है, और उनके चेहरे का लाभ आने वाले लोकसभा और विधान सभा के कितने सीटों पर मिल सकता है.
सत्ता के गलियारे में पसरती बेचैनी
लेकिन इस सियासी उठापटक के बीच सत्ता के गलियारे में एक अजीब सी बेचैनी पसरती नजर आ रही है और यह बेचैनी सिर्फ राजनेताओं के बीच ही नहीं है, बल्कि सत्ता के इर्द गिर्द भटकते, उमड़ते रहे उन तमाम कथित पॉवर ब्रोकरों के बीच भी है, जिनकी कभी तूती बोलती थी, बेचैनी तो आईएएस से लेकर आईपीएस अधिकारियों तक में हैं. आज जो सत्ता के जितने उंचे मुकाम पर है, उसके अंदर की बेचैनी उतनी ही गहरी है. डर उतना ही गहरा है. और यह डर राज्य में हुए चेहरे परिवर्तन को लेकर नहीं है, इन चेहरों पर नये सीएम के साथ तालमेल बिठाने की असमंजस भी नहीं है. डर, खौफ और बेचैनी तो उसी ईडी को लेकर है, जिसकी गिरफ्त में आज पूर्व सीएम हेमंत खुद है. डर इस बात की है कि पत्ता नहीं कब ईडी का बुलावा आ जाय और कब उनके सामने सवालों की एक लम्बी फेहरिस्त थमा दी जाय. आज यह डर हर चेहरे पर देखा जा रहा है.
आज हो सकता है सबसे बड़ा खुलासा
यहां बता दें कि आज ईडी ने साहिबगंज डीसी रामनिवास यादव, विनोद सिंह और पूर्व सीएम हेमंत के प्रेस सलाहकार रहे अभिषेक प्रसाद पिंटू को पूछताछ के लिए बुलाया है, विनोद सिंह और अभिषेक प्रसाद के साथ कल भी लम्बी पूछताछ हुई थी, जिसके बाद आज फिर से उन दोनों को तलब किया गया है, जबकि रामनिवास यादव को आज बुलाया गया है. जिसके बाद माना जा रहा है कि और इसके बाद इस बात की आशंका बदलती हो गयी है कि आज झारखंड में एक साथ कई खुलासे हो सकते हैं.
रामनिवास यादव से सवाल
यहां याद रहे कि रामनिवास यादव काफी दिनों से ईडी के राडार पर हैं, दावा किया जाता है कि खनन घोटाले के कई राज उनके सीने में दफन है, अभी हालिया दिनों में जब उनके आवास पर छापेमारी हुई थी, कई चौंकाने वाली जानकारियां भी ईडी को हाथ लगी थी. दावा तो यह भी किया जाता है कि रामनिवास यादव ने पिछले कई सालों से अपनी सैलरी को हाथ नहीं लगाया है, उनकी सैलरी नियमित रुप से अकाउंट में आती तो जरुर है, लेकिन जिस मंहगाई का रोना पूरे देश में रोया जाता है, उसका कोई असर रामनिवास यादव पर नहीं पड़ता. बगैर सैलरी की निकासी के ही उनका पूरा परिवार समृद्धि और सम्पन्नता के साथ जीवन यापन कर रहा है, इसके साथ ही रामनिवास यादव के कार्यालय के एक फाईल से ईडी को सात लाख रुपये भी मिले थें. इस हालत में आज ईडी यह सवाल कर सकता है कि वह रुपये किसके थें, और यदि रुपया उनका था, वह कार्यालय के फाइलों में क्यों दबा था?
कहां गया जहाज का पत्थर
इसके साथ ही रामनिवास यादव से उस जहाज के डूबने की कहानी भी पूछी जा सकती है, जो पत्थरों से भरा हुआ था. लेकिन रामनिवास यादव को अपनी जांच में सिर्फ खाली जहाज मिला था, उसके पर दले सारे पत्थर समुंद्र की धार में बह चुके थें? दरअसल दावा किया जाता है कि खनन घोटाले की पड़ताल करते करते ईडी के हाथ पंकज मिश्रा और दाहू यादव के खिलाफ कई साक्ष्य हाथ लग गये थें, जिसके बाद रामनिवास यादव को दाहू यादव के खनन व्यवसाय पर नजर रखने को कहा गय़ा था, इस बीच ईडी को इस बात की जानकारी मिली की दाहू का एक पत्थर भरा जहाज नदी में डूब चुका है, जिसके बाद पूरे मामले की जांच का जिम्मा रामनिवास यादव को सौंपा गया. लेकिन श्चर्जनक रुप से रामनिवास यादव ने अपनी जांच रिपोर्ट में दावा किया कि जहाज को खाली थी.
क्या था पूर्व सीएम हेमंत के साथ रिश्ता
जबकि विनोद सिंह से इस बात का जवाब मांगा जा सकता है कि पूर्व सीएम हेमंत के साथ उनका रिश्ता क्या था. आखिर वह अपने वाट्सएप में अधिकारियों को तबादले से लेकर पदस्थापन तक मुंह मांगी रकम देने का ऑफर क्यों दे रहे थें, और क्या वह ऑफर दूसरी ओर से स्वीकार भी किया जा रहा था, और क्या जिन जिन अधिकारियों के पदस्थापन का प्रस्ताव भेजा गया था. उनके पदस्थापन के बाद ऑफर की राशि पहुंचायी गयी थी. और इसके साथ ही जेएसएससी की परिक्षार्थियों का एडमिट कार्ड उनके द्वारा क्यों भेजा गया था, और यदि भेजा गया था, तो इसका आशय क्या था, यह उनके हाथ कहां से आया था, क्या इसमें भी कोई बड़ा खेल था. जबकि पूर्व सीएम हेमंत के प्रेस सलाहकार रहे अभिषेक प्रसाद पिंटू से यह सवाल दागा जा सकता है कि जिस भुंइहरी जमीन पर हेमंत सोरेन के द्वारा कब्जे की बात कही जा रही है, वहां का सारा निर्माण कार्य उनकी ही देखरेख में किया जा रहा था. और साथ ही सेना जमीन घोटाले में उनकी भूमिका क्या थी, क्या बड़गाय अंचल निरीक्षक भानू प्रताप का दावा सच है कि साहेब की ओर से आपके ही द्वारा अधिकारियों को आदेश दिया जा रहा था, इस प्रकार आज का दिन झारखंड की सियासत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, आज के खुलासे के साथ ही झारखंड की भावी सियासत भविष्य तय होने वाला है.
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