टीएनपी डेस्क(TNP DESK): बिहार में शराब बंदी लागू है,लेकिन इसके बावजूद जहरीली शराब पीने से हर साल सैकड़ों लोग जान गवा रहे है.शराब बंदी वाले बिहार में धड़ल्ले से शराब तस्कर नकली शराब बना रहे है. इस शराब के सेवन से पिछले एक सप्ताह में 82 से अधिक लोगों की मौत हो गई है.नकली शराब से मौत का मामला वैसे कोई नया नहीं है.लेकिन जिस तरह से लोगों की जान जा रही है.इसपर बड़ा सवाल सरकार और प्रशासन पर उठ रहा है.आखिर लोगों तक शराब कैसे पहुंच रही है.ग्रामीण इलाकों में किसके सह पर शराब माफिया जहरीली शराब बना रहे है.
शराब माफिया के साथ स्थानीय पुलिस की साठ गांठ से इनकार नहीं कर सकते है.बिहार सरकार ने भले ही शराब बंद कर दिया हो.लेकिन शराब बंद होने के बाद माफिया स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर धड़ल्ले से शराब बना कर बेच रहे है.देशी तो छोड़िए बिहार में आराम से किसी भी ब्रांड की विदेशी शराब भी आसानी से मिल जाती है.अब आप अंदाजा लगा सकते है.जिस बिहार में शराब पूरी तरह से प्रतिबंधित है.वहां दूसरे राज्य से शराब कैसे पहुंच रही है.कैसे खुलेआम बिहार में शराब की बिक्री होती है.रसूख रखने वाले तो महंगी ब्रांडेड शराब खरीद लेते है.लेकिन गरीब मजदूर विदेशी शराब नहीं खरीद पाते क्योंकि वह बिहार में काफी महंगी मिलती है.आखिर कार शराब के आदि मजदूर देशी शराब खरीदने पहुंच जाते है.शराब का सेवन करते समय शायद उन्हें मालूम नहीं होगा कि वह जी पी रहे है वह जहर है.
अब समझिए कैसे दूसरे राज्य से शराब बिहार पहुंच रही है.साथ ही गांव में देशी शराब का निर्माण किया जा रहा है.पहले आपको बताते है.बिहार में विदेशी शराब कहा से आती है.बिहार से सटे राज्य यूपी-झारखंड से सबसे अधिक शराब बिहार में लाई जाती है.आपके मन में सवाल उठ रहा होगा की किसी भी राज्य के सीमा पर पुलिस चौकी होती है.चेकिंग होती रहती है,तो भारी मात्रा में कैसे पहुंच रही है.जिस राज्य से शराब बिहार लाया जाता है वहां से लेकर बिहार के जिस जिले तक शराब पहुचाई जाती है.वहां पहले शराब माफिया थाना को सेट करते है.रास्ते में पड़ने वाले सभी थाना का महीना बांधा जाता है.जिससे आसानी से दूसरे राज्य से शराब बिहार पहुंच जाती है.
देशी शराब जहर में कैसे तब्दील हो रही है
देशी शराब बनाने की फैक्ट्री बिहार के सभी गांव में चल रही है.शराब को नशीली बनाने के चक्कर में माफिया उसे कब जहर बना देते है यह खुद उन्हें पता नहीं रहता.देशी शराब बनाने में यूरिया, ऑक्सीटॉक्सिन, बेसरमबेल की पत्ती का इस्तेमाल करते है.जिससे शराब मेथिल अल्कोहल में तब्दील हो जाता है.और यही लोगों के जान का दुश्मन बन जाता है.मेथिल अल्कोहल जैसे ही शरीर में प्रवेश करता है वह जहर का काम करने लगता है.मेथिल अल्कोहल का इस्तेमाल वार्निश,किसी दवा का घोल,पोलिस या इत्र बनाने में इस्तेमाल किया जाता है.
पिछेल एक सप्ताह में बिहार में सारण और छपरा में 82 से अधिक लोगों की जान चली गयी.दोनों जिलों में चीख पुकार मची हुई है.इसका जिम्मेवार कोई है तो वह है सरकार और पुलिस.मौत के बाद जिस तरह से सरकार और पुलिस एक्शन में दिख रही है.इतना ही एक्शन पहले भी होता तो शायद 80 लोगों की जान ना जाती.
वर्ष 2022 की बात करें तो अब तक बिहार के 13 जिलों में 158 से अधिक लोगों की जान जहरीली शराब पीने से गयी है.सबसे अधिक आंकड़ा छपरा जिले का है यहां 52 लोगों की अबतक जान जा चुकी है.यह आखडा वह है जो पुलिस के पास दर्ज है अगर ग्राउंड जीरो पर हकीकत की तलाश करें तो यह आखडा भी कम पड़ जायेगा. 2016 से अबतक पुलिस रिकॉर्ड की बात करें तो पुलिस ने छह वर्षों में 2,09,78,787 लीटर शराब को जब्त किया है