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1932 के बाद पेसा कानून की तैयारी में हेमंत सरकार! विधान सभा के अगले सत्र में आ सकता है बिल

1932 के बाद पेसा कानून की तैयारी में हेमंत सरकार! विधान सभा के अगले सत्र में आ सकता है बिल

Ranchi- हेमंत सरकार जल्द ही पेसा कानून को लाने की तैयारी में है. बहुत संभव है कि विधान सभा के अगले सत्र में इस संबंध में बिल को पेश कर दिया जाय, आज झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने इस बाबत संकेत देते हुए इस बात का दावा किया कि जैसे ही हेमंत सरकार पेसा कानून को लेकर सक्रिय हुई, भाजपा खेमे में खलबली मच गई, विलाप शुरु हो चुका है, यह डर सताने लगा है कि किस मुंह से अपने कॉरपोरेट मित्रों का सामना करेंगे. पेसा कानून के बाद आदिवासी-मूलवासियों की जमीन कैसे छिनी जायेगी?

आदिवासी मूलवासियों की जमीनों पर कब्जा होगा मुश्किल

क्योंकि पेसा कानून पारित होने के बाद कॉरपोरेट घरानों के लिए आदिवासी-मूलवासियों की जमीनों पर कब्जा करना मुश्किल होने वाला है, तब सब कुछ ग्राम पंचायत के हाथों में होगा, ग्राम पंचायत की मर्जी के बिना एक पत्ता नहीं हिलेगा. ग्राम पंचायत यानि गांव की सरकार. उसकी सहमति के बिना जमीन का एक पूर्जा आगे नहीं बढ़ेगा, और यह खबर जैसे ही दिल्ली पहुंची है, दिल्ली की नजर हेमंत सरकार पर टिकी हुई है, हेमंत के इस कदम से दिल्ली में दहशत है, लेकिन झारखंडियों के हित में यह डर अच्छा है. यही डर बना रहे तो लोकतंत्र चलता है, और लोकलाज बना रहता है, जिसका आज भाजपा में बेहद अभाव है, नहीं तो भला आज तक किसी ने भरी संसद में किसी अल्पसंख्यक सांसद के प्रति इस तरह की अभद्र टिप्पणी की थी. संसद में भाजपा सांसद की रमेश बिधूड़ी की भाषा देखिये, उनका अहंकार देखिये. लगता ही नहीं कि हम किसी लोकतांत्रिक समाज में रह रहे हैं. यही है भाजपा का चाल चलन और चरित्र. लेकिन यह सब कुछ स्थायी नहीं है, इनकी विदाई होने वाली है, विदाई की इसी हड़बड़ाहट में ये  अजीब अजीब फैसले ले रहे हैं, जिस महिला आरक्षण को लेकर यह ढिंढोरा पीट रहे हैं, वह लागू कब होगा किसी को कुछ पत्ता नहीं.

Published at:26 Sep 2023 06:39 PM (IST)
Tags:Hemant governmentPESA law next session of the Legislative Assemblyमहासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य land of tribals and indigenous people
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