TNPDESK- वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले जब कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में 163 साल पुराने राजद्रोह कानून को खत्म करने का वादा किया था, तब कांग्रेस के इस चुनावी घोषणा पत्र को भाजपा ने देश के साथ गद्दारी के बतौर पेश किया था, तात्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा था कि इस वादे के साथ ही कांग्रेस टुकड़े-टुकड़े गैंग में शामिल हो गयी है. राजद्रोह कानून को खत्म करना देश को तोड़ने के समान है.ट
चार वर्षो में घूम गया वक्त का पहिया
लेकिन मात्र चार वर्षो में वक्त का यह पहिया घूमता नजर आने लगा है. जिस राजद्रोह कानून को खत्म करने को भाजपा राष्ट्रद्रोह बता रही थी, इसे राजद्रोह कानून को देशभक्ति से जोड़ कर देख रही थी, अब वही भाजपा इस कानून को खत्म करने जा रही है. भाजपा का स्टैंड अब इस मुददे पर 180 डिग्री घूम चुका है, लोकसभा में इसकी जानकारी देते हुए गृह मंत्री अमित शह ने कहा है कि हम इस कानून को पूरी तरह से खत्म करने जा रहे हैं.
कब बना था राजद्रोह कानून
यहां बता दें कि इस राजद्रोह कानून का जिक्र आईपीसी की धारा 124 में है, जिसका निर्माण अंग्रेजों ने अपने सुविधा के लिए वर्ष 1860 में किया था, इस कानून के मुताबिक सरकार की मुखालफत या अवमानना को राजद्रोह माना गया है, और उसके लिए तीन साल या आजीवन कारावास की सजा निर्धारित की गयी थी. अब कोई भी समझ सकता है कि सरकार का मुखालफत राष्ट्र का मुखालफत नहीं होता, सरकार और राज्य अलग-अलग चीज है, जब हम सरकार का विरोध करते हैं तो राष्ट्र का विरोध नहीं करते, हमारा गुस्सा सरकार के खिलाफ होता है, उसकी नीतियों के खिलाफ होता है, लेकिन अंग्रेजों को अपनी सरकार के खिलाफ कोई आवाज सुनना पसंद नहीं था, इसीलिए इस प्रकार के काले कानूनों का निर्माण किया गया था
यही कारण है कि कांग्रेस इस कानून को खत्म करने की समर्थक रही है
और यही कारण था कि कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में इसको खत्म करना का वादा किया था और इसे चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा बताया था, लेकिन भाजपा को तब इस कानून को खत्म करना टुकड़े टुकड़े गैंग में शामिल होने नजर आता था, हालांकि अब वह भाजपा इस काले कानून को खत्म करने के लिए नया कानून ला रही है, जिसमें सरकार की मुखालफत की जगह देश की अखंडता और संप्रभुतता के खिलाफ बोलने और उस प्रकार की गतिविधियों को संचालन को अपराध माना जायेगा.