Patna- वन नेशन वन इलेक्शन की कोशिश को जिस प्रकार से विपक्ष के द्वारा भाजपा का हताशा बताया गया, और इस बात का दावा किया गया कि इंडिया गठबंधन के बढ़ते कदम से भाजपा के अन्दर बेचैनी है,यही कारण है कि उसकी कोशिश पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव के साथ ही इस बार लोकसभा चुनाव भी सम्पन्न करवा लेने की है, ताकि इंडिया गठबंधन को अपनी तैयारियों के लिए वक्त नहीं मिले, जिस प्रकार से इंडिया गठबंधन की तीन बैठकों का आयोजन होते होते भाजपा और इंडिया के बीच वोटों का अन्तर महज दो फीसदी मतों तक सिमट गया, उसके साफ है कि पांचवी-छठी बैठक आते आते इंडिया गठबंधन एनडीए को वोट प्रतिशत में भी मात देने की स्थिति में आ जायेगा. वन नेशन वन इल्केशन बस इस बौखलाहट का नतीजा है. लोकसभा चुनाव में हार से बचने का जुगाड़ है.
सम्राट चौधरी का बयान, चोरी की सरकार
विपक्ष के इसी आरोप पर पलटवार करते हुए भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने इस बात का दावा किया था कि भाजपा चुनाव के मैदान से भागने वाली पार्टी नहीं है, हालात उनकी पतली है जो वन नेशन वन इलक्शेन से पिंड छुड़ाने की कोशिश कर रहे हैं, भाजपा तो एक साथ चुनाव में जान का दम रखती है. जो लोग चोरी की सरकार बनाये हैं, हार का डर उनको खाये जा रहा है.
2015 की सरकार भूल गयी भाजपा, जदयू ने दिखाया आईना
जैसे ही सम्राट चौधरी का यह बयान आया, जदयू की ओर से नीरज कुमार ने मोर्चा संभाल लिया, नीरज कुमार ने सम्राट चौधरी पर तंज कसते हुए कहा कि हमने चोरी की सरकार नहीं, बल्कि सीबीआई और ईडी की छाती पर चढ़कर महागठंधन की सरकार बनायी है. आज भाजपा को चोरी की याद आ रही है, जब हमने 2015 में राजद के साथ चुनाव लड़कर बाद में भाजपा के साथ सरकार बनाया था, तब भाजपा को चोरी की याद नहीं आयी थी, उस चोरी की सरकार में वह शामिल क्यों हुई थी, उसे तो सरकार को दूर से सलाम कर हट जाना चाहिए था, भाजपा के साथ सरकार बनायी तो राम राज्य और राजद के साथ बनायी तो चोरी की सरकार, सम्राट चौधरी को अपने बयान पर शर्म आनी चाहिए.
वन नेशन वन इलेक्शन नहीं वन नेशन वन एजुकेशन की बात करे भाजपा
इसके साथ ही नीरज कुमार ने सम्राट चौधरी से वन नेशन वन इलेक्शन के बदले वन नेशन वन एजुकेशन की बात करने को कहा. नीरज कुमार ने कहा कि इलेक्शन के आगे भाजपा को कुछ दिखलाई ही नहीं देती, उसे आम लोगों की गरीबी, अशिक्षा और भूखमरी से कुछ लेना देना नहीं है, जिस निजीकरण की राह पर भाजपा चल पड़ी है, उसकी परिणति यह है कि आज गरीब वर्ग के लिए अपने बच्चों पढ़ाई करवाना एक जंग लड़ने के समान हो गया, वह रोटी की व्यवस्था करे या बच्चों की पढ़ाई, उसकी समझ में नहीं आ रहा.