पटना(PATNA)- विश्व वैशाली फेस्टिवल और डेमोक्रेसी के कार्यक्रम में शामिल होने पटना पहुंचे असाम के सीएम हेमंत विश्वा शर्मा ने शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चन्द्रशेखर को किसी दूसरे धर्म के बारे में भी सनातन धर्म के समान ही बयान देने की चुनौती दी है. विश्वा शर्मा ने कहा है कि यदि प्रोफेसर चन्द्रशेखर में हिम्मत है तो दूसरे धर्म के बारे में भी इसी प्रकार का बयान देकर दिखायें, उनका इशारा साफ तौर पर मुस्लिम धर्म की ओर था. उन्होंने कहा कि सनातन के बारे में प्रोफेसर चन्द्रशेखर काफी बयान देते रहते हैं, लेकिन जब बात दूसरे धर्म की आती है, चुप्पी साध जाते हैं. क्योंकि दूसरे धर्म के बारे में बोलते ही देश में बवाल खड़ा हो जायेगा. इन राजनीति पार्टियों के कारण ही आज देश में सनातन का अस्तित्व खतरे में है. इसी दौरान एक बड़ा बयान देते हुए विश्व शर्मा ने यह भी दावा कि पिछले पांच हजार साल में सनातन धर्म में काफी बदलाव आया है, साफ है कि उनका इशारा पिछले पांच हजार वर्षों के दौरान सनातन के स्वरुप में आये बदलाव को लेकर था.
शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर के साथ ही हेमंत विश्व शर्मा ने इंडिया गठबंधन को भी निशाने पर लेते हुए चांद पर भेजने का एलान कर दिया. इंडिया गठबंधन के नेताओं को चांद पर भेजने की बात सामने आते ही हेमंत विश्व शर्मा विपक्ष के निशाने पर आ गयें और चौतरफा हमले की शुरुआत हो गयी.
हेमंत विश्व शर्मा के बयान को खास तवज्जो देने से इंकार
जदयू प्रवक्ता ने तो हेमंत विश्व शर्मा के बयान को कोई खास तवज्जो देने से इंकार करते हुए कहा कि वह इसी प्रकार के उटपटांग बयान देने के आदि है, इसमें कुछ भी नया नहीं है. लेकिन कांग्रेस ने जवाबी हमला करते हुए कहा कि पिछले नौ वर्षो में भाजपा सरकार एक सुई की फैक्ट्री भी स्थापित नहीं कर सकी, और हालत यह है कि उन्हे इंडिया गठबंधन के नेताओं को चांद पर भेजने के लिए भी उस इशरो से गुहार लगानी पड़ रही है, जिसे इस देश के दूरदर्शी और भविष्य दृष्टा नेता नेहरु ने बनवाया था. लेकिन आज उसी नेहरु को गाली दे देकर भाजपा अपना समय काट रही है.
इंडिया गठबंधन को तेज होते देख बढ़ती नजर आ रह है भाजपा की बेचैनी
ध्यान रहे कि जैसे जैसे इंडिया गठबंधन की गतिविधियां तेज होती जा रही है, भाजपा की बेचैनी उतनी ही तेजी से बढ़ती नजर आ रही है, बेचैनी का आलम यह है कि गठबंधन का एलान होते ही इंडिया शब्द मात्र से दूरी बनाने की कवायद शुरु हो गयी और भारत के इतिहास में पहली बार ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ की शब्दावली सामने आयी. राजनीतिक खीझ में इंडिया शब्द को मिटाने के दावे किये जाने लगे.
चांद पर भेजने की बात राजनीतिक हताशा का नतीजा
लेकिन अब बात उससे भी आगे निकलती नजर आने लगी है. इसे राजनीतिक हताशा या बेचैनी कहें कि भाजपा नेता और आसाम के मुख्यमंत्री हिमन्त बिश्व शर्मा ने इस बात का दावा कर दिया कि इंडिया जैसा कोई शब्द नहीं होता, और तो और वह इंडिया गठबंधन के नेताओं को चांद पर भेजने की बात कर रहे हैं, और इसके लिए इसरो का मदद लेने की बात कही जा रही है. हिमन्त बिश्व शर्मा ने कहा कि वह इसरो से एक ऐसा संयत्र बनाने का आग्रह करेंगे, जिसमें बैठाकर इंडिया गठबंधन के नेताओं को चांद पर भेजा जा सकें, ताकि इस धरती को भार से मुक्त किया जा सके.
वैशाली की धरती से विरोधियों को चांद पर भेजने की सीख
मजे की बात यह है कि हेमंत विश्व शर्मा विश्व वैशाली फेस्टिवल और डेमोक्रेसी के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बिहार पहुंचे थें. यह वैशाली और बिहार की ही धरती है जिसने पहली बार पूरी दुनिया को प्रजातंत्र का फलसफा दिया था, इसी वैशाली की धरती से प्रजातंत्र का बीजारोपण हुआ था, इसी वैशाली की धरती पर हेमंत विश्व शर्मा प्रजातंत्र का फलसफा सीखने पहुंचे थें, लेकिन इस विश्व वैशाली फेस्टिवल और प्रजातंत्र हेमंत विश्व शर्मा के क्या सीख हासिल किया वह उनके इस बयान के समझा जा सकता है, वैशाली की धरती से अपने विरोधियों को चांद पर भेजने का एलान कर हेमंत विश्व शर्मा ने साफ कर दिया कि अभी देश का मिजाज लोकतंत्र के अनुकूल नहीं है.