TNPDESK- कांग्रेसी सांसद धीरज साहू से जुड़े बौद्ध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड (बीडीपीएल), बलदेव साहू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, क्वालिटी बॉटलर्स और किशोर प्रसाद विजय प्रसाद बिवरेज प्राइवेट लिमिटेड से मिले नोटों की गिनती आज भी जारी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक महज 40 बैग नोटों की ही गिनती पूरी हो पायी है, और इसके साथ ही यह आंकड़ा चार सौ करोड़ के पार पहुंच गया है. माना जा रहा है कि पूरी गिनती होने तक यह आंकड़ा पांच सौ करोड़ के पार पहुंच सकता है. यहां बता दें कि शुक्रवार तक अधिकारियों के पास 156 बैग थें, लेकिन शनिवार देर रात को ओडिशा के सुदापाड़ा शराब भट्ठी में काम करने वाले एक कर्मचारी के घर से नोटों से भरा 20 और बैग बरामद हुआ. और इसके साथ ही नोटे से भरे बैगों की संख्या 176 तक पहुंच गया. अब देखना होगा कि 176 बैग की पूरी गिनती होते होते यह आंकड़ा किन उंचाईयों को छूता है.
लॉकरों की जांच के बाद यह आंकड़ा पांच सौ करोड़ के भी पार जा सकता है
इस बीच ओडिशा स्थित बदलदे साहू संस एंड ग्रुप कंपनीज के ठिकानों से जब्त किया गये कंप्यूटर और दूसरे डिजिटल डिवाईस को भी खंगाला जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि इसके बाद बैंक लॉकर और खातों की जांच की जायेगी. यहां बता दें कि आयकर अधिकारियों को सबसे पहले 30 आलमारियों में भरे नोट मिले थें, जिसके बाद इसकी गिनती के लिए निकटवर्ती स्टेट बैंक की शाखा से मशीन को मंगवाया गया, लेकिन नोटों की संख्या इतनी अधिक थी कि मशीनों से धूंआ निकलने लगा, जिसके बाद बड़ी मशीनों को मंगवाया गया, लेकन जब तक बड़ी मशीने आती, नोटों से भरे बैगों की संख्या 176 तक पहुंच गई थी. वैसे अधिकारियों का दावा है कि ये नोट काफी वक्त से यहां रखे गयें थें, इसमें पांच सौ से लेकर 100 रुपये तक के नोट है, अधिकांश नोटो में सिलन लग चुका है, एक नोट दूसरे नोट से सट चुके हैं, उन्हे एक दूसरे से अलग करना भी एक चुनौती है.
जब नोटों को फाड़-फाड़ फेंकने लगे कर्मचारी, हवा में उड़ता नजर आने लगा नोट
बताया जाता है कि बौध डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कर्मचारियों को जैसे ही इस बात की भनक लगी कि आय कर की टीम यहां पहुंचने वाली है, कर्मचारियों ने पांच-पांच सौ के नोटों को भाड़ कर फेंकना शुरु कर दिया. जिसके बाद कंपनी के बाउंड्री के चारो तरफ पांच पांच सौ के फटे नोट उड़ते नजर आने लगें.
कौन हैं धीरज साहू
यहां बता दें कि धीरज साहू मूलत: झारखंड के रहने वाले हैं, इनका पूरा परिवार स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ा हुआ था, आजादी के बाद भी इस परिवार का कांग्रेस पार्टी से जुड़ाव रहा. दावा किया जाता है कि स्वंतत्रता संघर्ष के दौरान यह परिवार बड़े-बड़े नेताओं का शरणस्थली हुआ करता था, जब भी किसी बड़े कांग्रेसी नेता का झारखंड आगवन होता था, तो साहू परिवार ही उसका ठिकाना होता था.
आप से भी पढ़ सकते हैं
कभी म्यामांर का हिस्सा था असम! देखिये कपिल सिब्बल के इस दावे पर हिमंत बिस्वा सरमा का पलटवार
असम सरकार के फैसले से स्वदेशी मुसलमान पर बहस तेज! क्या हेमंत सरकार भी इस दिशा में उठा सकती है कदम
कैश फॉर क्वेश्चन मामले में महुआ मोइत्रा का प