रांची(RANCHI)- 23 जून को विपक्षी दलों की पटना में आयोजित बैठक में इस बात पर करीबन-करीबन सहमति बन चुकी है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में सारे विपक्षी दल संयुक्त रुप से पीएम मोदी के चुनावी रथ को रोकने का काम करेंगे, हालांकि इसकी रणनीति क्या होगी, और कौन किस राज्य में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा, अभी इस मामले में कुछ साफ नहीं है, माना जा रहा है कि इन सारे मुद्दों पर शिमला बैठक में चर्चा होगी और उसके बाद स्थिति एकदम साफ हो जायेगी. यही कारण है कि पटना बैठक के बाद अब सबकी निगाहें शिमला की ओर लगी हुई है, जहां संभावित रुप से 11 जुलाई को विपक्षी दलों की एक और बैठक होनी है.
शिमला बैठक के पहले कांग्रेस को मिल सकता झटका
लेकिन लगता है कि झामुमो शिमला बैठक के पहले ही यह साफ कर देना चाहता है कि वह झारखंड में कांग्रेस के लिए कितनी सीटें छोड़ने जा रही है और खुद कितनी सीटों पर सीधा भाजपा से मुकाबला करने का मन बना रही है. इसी रणनीति के तहत झामुमो ने चार जुलाई को ही अपने केंद्रीय समिति की बैठक का एलान कर दिया है, सोहराय भवन में पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक के बाद झामुमो यह साफ कर देगी कि राजद और कांग्रेस के हिस्से कितनी सीटें आने वाली है.
दरअसल झामुमो की परेशानी कांग्रेसी नेताओं का वह बयान है,जिसमें उनके द्वारा 9 सीटों पर अपनी दावेदारी की जा रही है और राजद और झामुमो के हिस्से महज पांच सीटों को छोड़ा जा रहा है, जबकि झामुमो का दावा है कि झारखंड में झामुमो के जनाधार में हर दिन विस्तार हो रहा है, और वह इस बार कम से कम 9 सीट पर चुनाव लड़ेगी.
अपनी जमीन से समझौता करने के मूड में नहीं झामुमो
झामुमो सूत्रों का तो दावा है कि पार्टी ने राज्य की सभी 14 सीटों पर पार्टी कार्यकर्ताओं को एक्टिव रहने का फरमान सुना दिया है, हमारे कार्यकर्ता जी-जान से जुटे हुए है, साफ है कि झामुमो शिमला बैठक में जाने के पहले अपनी दावेदारी को मजबूत करना चाह रही है, जिससे कि विपक्षी एकता की इस कवायद में उसे झारखंड में अपनी जमीन से समझौता नहीं करना पडे. ध्यान रहे कि फिलहाल झारखंड में झामुमो के 30 विधायक है, जबकि कांग्रेस के पास 18 विधायक है, इस स्थिति में कांग्रेस के द्वारा पुराने समीकरण के आधार पर 9 सीटों की मांग करना कई सवाल खड़े कर रहा है. कांग्रेस की इस दावेदारी से झामुमो एलर्ट मोड में है.