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कांग्रेस की जीत सीएम नीतीश के लिए बड़ा सदमा! बढ़ सकती है उलझनों का दौर

कांग्रेस की जीत सीएम नीतीश के लिए बड़ा सदमा! बढ़ सकती है उलझनों का दौर

Patna-कर्नाटक में कांग्रेस की शानदार जीत विपक्षी एकता की मुहिम पर निकले सीएम नीतीश के लिए एक बड़ा सदमा हो सकता है, अब तक जिस तेजी से सीएम नीतीश राज्य दर राज्य का दौरा कर विपक्ष गोलबंद करने की रणनीति पर काम कर रहे थें और जिस प्रकार से कांग्रेस की ओर से उन्ही खुली छुट्ट दी जाती रही थी, लेकिन कर्नाटक के फैसले के बाद कांग्रेस की इस रणनीति में अब बड़ा बदलाव आ सकता है, इस जीत से गदगद कांग्रेस की कोशिश अब अपने राजनीतिक फलक के विस्तार की हो सकती है. जिसका सीधा असर नीतीश कुमार की राजनीतिक महात्वाकांक्षा पर भी पड़ेगा.

समाजवाद के प्रति अटूट नहीं रही है सीएम नीतीश की निष्ठा

हालांकि यह सत्य है कि नीतीश कुमार बार बार यह दुहराते रहे हैं कि उनकी कोई राजनीतिक महात्वाकांक्षा नहीं है, और कहीं से भी पीएम पद की रेस में नहीं है, लेकिन राजनीति में इन घोषणाओं का कोई ज्यादा महत्व नहीं होता है, यह सब कुछ महज मार्केटिंग का हिस्सा और एक राजनीतिक स्ट्रैटजी से ज्यादा नहीं होती. खासकरजब सामने नीतीश कुमार जैसा शख्स हो, जिसकी राजनीतिक महात्वाकांक्षा और सत्ता प्रेम की कई मिसालें सामने है.

आरएसएस मुक्त भारत और भाजपा मुक्त हिन्दुस्तान महज राजनीतिक बयानबाजी

ध्यान रहे कि सीएम नीतीश भले ही अपने को समाजवादी होने का दावा करें, लेकिन भाजपा की राजनीति और उसूलों से उन्हे कभी भी परहेज नहीं रहा है, इसी भाजपा की सवारी कर पिछले कई दशक से वह बिहार की राजनीति को अपने हिसाब से हांकते रहे हैं. आरएसएस मुक्त भारत और भाजपा मुक्त हिन्दुस्तान भी महज उनके लिए बदलती राजनीति की मजबूरियां है. इसका एक उदाहरण तो आनन्द मोहन की रिहाई ही है.

कभी लालू के पिछड़ों की राजनीति के खिलाफ भाजपा का औजार भर थें नीतीश कुमार

याद रहे कि कभी बिहार के कथित जंगलराज के मुकाबले खुद भाजपा खेमे के  द्वारा उन्हे सुशासन का चेहरा बताया जाता था, आज भले ही सुशासन का यह कथित चेहरा भाजपा की आंखों की किरकिरी हो, लेकिन कभी लालू के राजनीतिक करिश्में के बरक्स यही चहेरा उसका औजार था.

संघ और भाजपा की राजनीति से नीतीश कुमार को कभी भी विरक्ती नहीं रही है

साफ है कि संघ की विचारधार और भाजपा की राजनीति से नीतीश को कल भी कोई विरक्ती नहीं थी और आज भी नहीं है, सवाल बस राजनीतिक महात्वाकांक्षा है, और कर्नाटक के फैसले के बाद नीतीश कुमार की इसी राजनीतिक महात्वाकांक्षा को गहरा धक्का लगा है, यदी कांग्रेस इसी रफ्तार से विजय हासिल करती चली गई और आने वाले दिनों में वह राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी वापसी कर लेती है और मध्यप्रदेश को एक बार फिर से भाजपा से छीनने में सफल हो जाती है, तब का राजनीतिक परिदृश्य क्या होगा, इसका आकलन करना बहुत मुश्किल नहीं है.

कांग्रेस में चेहरों की कोई कमी नहीं हैं, प्रियंका और मल्लिकार्जुन खड़गे पर लगाया जा सकता दाव

क्योंकि राहुल का गांधी की सदस्यता भले ही चली गयी, हालांकि अभी इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है, लेकिन यह माना भी लिया जाय की राहुल गांधी की सदस्यता वापस नहीं होती है, और उनकी अयोग्यता बरकरार रहती है, उस हालत में ही कांग्रेस के पास प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसा दो बड़ा चेहरा होगा, खास कर मल्लिकार्जुन खड़गे को सामने करते ही एक बड़े वोट बैंक को भी साधा जा सकता है, जिसका असर दक्षिण से लेकर उतर भारत की राजनीति पर पड़ेगा.

अब बिहार में कांग्रेस की उपेक्षा करना भी नहीं हो आसान

इस हालत में कहा जा सकता है कि नीतीश कुमार की राजनीतिक मुश्किलें बढने वाली है, और इसका सामना उन्हे बिहार की राजनीति में करना पड़ेगा, अब तक जिस प्रकार उनके द्वारा बिहार में कांग्रेस की उपेक्षा की जाती रही थी, बहुत  संभव है कि वह दौर अब खत्म हो.

Published at:14 May 2023 11:40 AM (IST)
Tags:Congress's victory is a big shock for CM Nitishसीएम नीतीश कांग्रेस की जीत प्रियंका और मल्लिकार्जुन खड़गे National poltics bihar poltics lalu yadav
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