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कॉमन सिविल कोड हमारी सामूहिक मिल्कियत की परंपरा पर सीधा हमला- आदिवासी समन्वय समिति

कॉमन सिविल कोड हमारी सामूहिक मिल्कियत की परंपरा पर सीधा हमला- आदिवासी समन्वय समिति

रांची(RANCHI)- आदिवासी समन्वय समिति के बैनर तले करीबन तीस आदिवासी संगठनों ने कॉमन सिविल के नाम पर एकरुपता की राजनीति को आदिवासी समाज की बहुलतावादी सोच और सामूहिक मिल्कियत की परंपरा पर हमला करार दिया है.

रांची से दूर सूदूरवर्ती जिला खूंटी में इन संगठनों ने ‘मोदी का यूसीसी के नाम झारखंड की जनजातियों का संदेश’ नामक अपने संकल्प में इस बात को दुहराया है कि आदिवासी समाज का जन्म से मृत्यु तक अपनी अलग और विशिष्ट सामाजिक और सांस्कृतिक परंपरा है, पीएम मोदी के द्वारा संचालित एकरुपता की इस नयी राजनीति से हमारी सामूहिक मिल्कियत, सामूहिक सोच की वर्षों पुरानी परंपरा पर संकट खड़ा हो गया है. और इस नयी सोच से आदिवासी दुनिया में हलचल तेज है. इसके विरोध में अब तक करीबन एक सौ प्रदर्शनों का आयोजन किया गया है. राज्य भाजपा मुख्यालय के बाहर भी विरोध प्रदर्शन कर आदिवासी समाज ने अपनी भावनाओं को सामने रखने का काम किया है, लेकिन बावजूद इसके भाजपा के द्वारा इस बारे में कुछ भी प्रमाणित जानकारी उपलब्ध नहीं करवायी जा रही है. हमारी चिंता का मुख्य विषय जल जंगल और जमीन पर हमारी सामूहिक मिल्कियत की परंपरा है. पहले भी हमारी जमीनों को विजातीय समाज के द्वारा हड़पा गया है, जिसका प्रतिकार हमारे पूर्वजों के द्वारा किया गया, बिरसा मुंडा से लेकर चांद भैरव को अपनी जान गंवानी पड़ी, अब फिर से एक बार वही परिस्थिति सामने आ खड़ी हुई है. कॉमन सिविल कोड की बात करने के पहले मोदी सरकार को यह भी सोचना होगा कि विवाह, विरासत से लेकर बच्चे को गोद लेने की हमारी स्वदेशी सांस्कृतिक प्रथाएँ हैं. हम किसी भी कीमत पर एकरुपता के नाम पर इन प्रथाओं में छेड़ छाड़ की अनुमति नहीं दे सकतें.. “हम बिरसा के वंशज हैं. हमें अपने अधिकारों की रक्षा के लिए किसी दूसरे से सीखने की जरुरत नहीं है. और यह आवाज सिर्फ झारखंड से नहीं उठ रही है, छत्तीसगढ़, नागालैंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान से भी आदिवासी समाज ने अपना विरोध दर्ज करवाया है.

यूसीसी पर संकट में वनवासी कल्याण आश्रम   

आदिवासी समाज के इस विरोध के बीच आरएसएस की सहयोगी संस्था वनवासी कल्याण आश्रम के सामने चुनौती खड़ी हो गयी है. उनके पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं है. यूसीसी के कारण उन्हे आदिवासी समाज के बीच जाना मुश्किल होने लगा है. उनकी चुनौतियां बढ़ती जा रही है. यही कारण है कि वनवासी कल्याण आश्रम के उपाध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह ने कहा कि आयोग को किसी भी जल्दबाजी में अपनी रिपोर्ट नहीं देनी चाहिए. उन्हे आदिवासी समाज की परंपराएँ और भावनाओं का सम्मान करना चाहिए. साथ ही विधि आयोग को आदिवासी क्षेत्रों का दौरा कर वस्तुस्थिति की जानकारी हासिल करनी चाहिए.

इन तमाम आशंकाओं के बीच मौजूद प्रतिनिधियों के द्वारा यूसीसी से रक्षा के लिए सिंगबोंगा से प्रार्थना की गयी, ताली बजाया जाता है, शरीर को हिलाया गया,  बालों को उछाला गया ताकि परिवर्तन की ये हवायें उनसे दूर चली जायें.

 

 

Published at:31 Jul 2023 03:33 PM (IST)
Tags:Common Civil Codedirect attack on our tradition of collective ownershipTribal Coordination CommitteeKHUNTI khunti ucc tribal against ucc Ranchi
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