Ranchi-21 जनवरी को सीएम नीतीश का रामगढ़ दौरे को लेकर झारखंड में सियासी सरगर्मी तेज हो चुकी है, जदयू नेताओं के द्वारा इंडिया गठबंधन के तमाम नेताओं को आमंत्रण सौंपा जा रहा है, इसी क्रम में आज जदयू प्रदेश अध्यक्ष खीरु महतो ने सीएम हेमंत से मुलाकात कर आमंत्रण पत्र सौंपा. इस मौके पर सीएम हेमंत ने जदयू नेताओं को झारखंड में सक्रियता तेज करने का आह्वान भी किया, ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले-पहले इंडिया गठबंधन को और भी मजबूती प्रदान किया जा सके. और भाजपा को अपने पुराने प्रर्दशन के दूर रखा जा सके.
21 जनवरी को रामगढ़ के फुटबॉल मैदान में जोहार नीतीश कार्यक्रम
यहां ध्यान रहे कि 21 जनवरी को रामगढ़ के फुटबॉल मैदान में जदयू की तरफ से जोहार नीतीश का कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष के रुप में ताजपोशी के बाद सीएम नीतीश का यह पहला कार्यक्रम है. इस कार्यक्रम को सीएम नीतीश के देश व्यापी चुनावी अभियान से भी जोड़ कर देखा जा रहा है, बतलाया जा रहा है कि भले ही औपचारिक रुप से अभी उन्हे इंडिया गठबंधन का संयोजक या पीएम चेहरा नहीं बनाया गया हो, लेकिन वह अपनी तैयारी पूरी कर चुके हैं. और यह कार्यक्रम उसी की शुरुआत है.
कैसे बदल सकता है झारखंड में सियासत का रंग
यहां याद रहे कि झारखंड में 26 फीसदी आदिवासी आबादी के बाद सबसे अधिक 16 फीसदी आबादी कुर्मी जाति की है, नीतीश कुमार इसी कुर्मी जाति से आते हैं, दावा यह किया जा रहा है कि जदयू की नजर कुर्मी वोटरों के साथ ही राज्य की दूसरी पिछड़ी जातियों पर है, जिस तरीके से नीतीश कुमार ने बिहार में पिछड़ो की पुरानी मांग जातीय जनगणना को सरजमीन पर उतार कर लोकसभा चुनाव के पहले अपने ट्रम्प कार्ड खेला है, नीतीश कुमार उस उपलब्धी को पिछड़ी जातियों के बीच प्रचारित प्रसासित कर सकते हैं, साथ ही यह विश्वास दिलाने की कोशिश भी करेंगे कि यदि इंडिया एलाइंस की सरकार बनती है तो पूरे देश में जातीय जनगणना करवा कर समाज के हर तबको उसकी आबादी के अनुपात में सामाजिक और सियासी हिस्सेदारी का रास्ता साफ किया जायेगा.
हेमंत को मिल सकती है सियासी ताकत
यहां यह भी ध्यान रखने की जरुरत है कि जिस प्रकार सीएम हेमंत का जादू आदिवासी मतदाताओं के बीच बोलता है, उनकी वह लोकप्रियता पिछड़ी जातियों के बीच नहीं देखी जाती, खासकर कुर्मी जाति का एक बड़ा हिस्सा आजसू के साथ खड़ा नजर आता है, जिसके कारण भाजपा को झारखंड की सियासत में पैर पसारने में मदद मिलती है. लेकिन यदि सीएम नीतीश अपने चेहरे को सामने कर कुर्मी जाति के मतदाताओं को अपने पाले में खड़ा कर लेते हैं. तो इसका लाभ सीएम हेमंत को भी मिलना तय है.
कुर्मी जाति के बीच सदियों से पलता रहा एक सपना
यहां बता दें कि देश की आजादी के बाद जब पंडित नेहरु को देश का पहला पीएम बनाया गया था, उस वक्त भी कुर्मी जाति के बीच सरदार पटेल को पीएम बनाने का सपना पल रहा था, बाद में भाजपा के द्वारा इस बात को बार बार उछाला गया कि यदि नेहरु में सत्ता का लोभ नहीं होता, गांधी के द्वारा सरदार पटेल को अपना फैसला बदलने का निर्देश नहीं मिलता, तो सरदार पटेल देश के पहले पीएम होते. हालांकि इन दावों में तर्क कितना और सच्चाई कितनी है, वह एक अलग मुद्दा है, लेकिन पूरे देश में कुर्मी जाति के बीच यह सपना जरुर पलता रहा है कि काश! कोई कुर्मी भी इस कुर्सी तक पहुंच पाता. दावा किया जाता है कि इंडिया गठबंधन की ओर से सीएम नीतीश को पीएम फेस बनाने की खबर से पूरे देश में कुर्मी जाति के बीच एक उत्साह की लहर है, वैसे सच्चाई यह भी है कि आज की तारीख मे देश में कई कुर्मी चेहरे हैं, लेकिन उनकी लोकप्रियता का एक सीमित दायरा है, जबकि नीतीश कुमार की एक राष्ट्रीय पहचान है, वह देश के रेलवे मिनिस्टर से लेकर अनवरत 18 सालों तक बिहार जैसे राज्य के सीएम रहे हैं। कुर्मी पॉलिटिक्स को एक नई धार इस हालत में यदि झारखंड में सीएम नीतीश की इंट्री होती है, तब 16 फीसदी कुर्मी मतदाताओं के बीच एक सियासी विकल्प सामने होगा और कुर्मी जाति का एक जमात के बतौर इंडिया गठबंधन के साथ खड़ा होने की संभावना तेज हो जाएगी. और यदि ऐसा होता है तो यह भाजपा के लिए झारखंड में एक बड़ा सिर दर्द साबित होगा।