Ranchi- हाईकोर्ट भवन के उद्घाटन के अवसर पर सीएम हेमंत सोरेन ने दो बेहद महत्वपूर्ण मुद्दे उठाये हैं, उन्होंने महामहिम द्रोपदी मुर्मू, चीफ जस्टीस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की उपस्थिति में न्यायपालिका में आदिवासी, दलित और दूसरे वंचित तबकों की नगण्य उपस्थिति पर अपनी चिंता प्रकट करते हुए सामाजिक रुप से कमजोर इन वर्गों के लिए न्यायापालिका में आरक्षण की वकालत की है, साथ ही महामहिम की चिंता में अपना सुर मिलाते हुए कहा है कि महामहिम की चिंता वाजिब है, कमोवेश यही हालत झारखंड की भी है, झारखंड में भी छोटो-मोटे अपराधों में विचाराधीन कैदी के रुप में बड़ी संख्या में दलित-आदिवासी वर्षों से जेलों में बंद है.
26 नवंबर, 2022 को संविधान दिवस पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की थी
अपने संबोधन में सीएम हेमंत ने कहा है कि गत वर्ष 26 नवंबर, 2022 को संविधान दिवस के अवसर पर माननीय राष्ट्रपति महोदया द्वारा पूरे देश के जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या पर अपनी चिंता व्यक्त की गई थी. झारखण्ड में भी छोटे-छोटे अपराधों के लिए बड़ी संख्या में गरीब आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक एवं कमजोर वर्ग के लोग जेलों में कैद हैं. यह चिन्ता का विषय है. और इस पर गंभीर मंथन की जरूरत है.
राज्य सरकार की पहल
उन्होंने कहा कि पिछले ही वर्ष हमारी सरकार ने ऐसे मामलों की सूची तैयार करवायी थी, जिनका अनुसंधान पांच वर्षों से अधिक समय से लंबित था, जांच में जानकारी मिली की ऐसे मामलों की संख्या करीबन 3600 के आसपास है, जिसके बाद हमारी सरकार ने एक अभियान चलाकर इसमें से तीन हजार चार सौ से अधिक मामलों का निष्पादन करवाया. इस बार हमने चार वर्ष के अधिक अवधि के लंबित मामलों की सूची तैयार करवायी है, इसकी भी संख्या करीबन 3200 के आसपास है, हमारी सरकार की कोशिश छह माह के अन्दर-अन्दर इन मामलों का निष्पादन करवाने की है. राज्य सरकार लगातार इसकी मौनिटरिंग कर रही है.
107 लोक अभियोजकों की नियुक्ति से होगा रास्ता साफ
उन्होंने कहा कि इतने सारे मामले लंबित रहने का मुख्य कारण सहायक लोक अभियोजकों की कमी थी, यही कारण है कि हमने हाल ही में 107 लोक अभियोजकों की नियुक्ति की है, आशा कि जानी चाहिए कि इसके बाद लंबित मामलों में कमी आयेगी.