Patna- बिहार एनडीए के लिए चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस का सत्ता संघर्ष गले की हड्डी बनता नजर आने लगा है. जहां भाजपा की कोशिश इन दोनों को अपने पाले में रख कर पांच फीसदी पासवान मतदाताओं को अपने पाले में बांधे रखने की है, वहीं हाजीपुर संसदीय सीट को लेकर चाचा भतीजा का यह जंग एनडीए में टूट का कारण बनता नजर आने लगा है. और जैसे जैसे 2024 का जंग नजदीक आ रहा है यह जंग और भी परवान चढ़ता दिख रहा है.
ताजा विवाद की वजह चिराग पासवान का वह एलान है जिसमें उनके द्वारा हाजीपुर सीट से अपनी मां को उतारने की घोषणा की गयी है. चिराग ने कहा है कि हाजीपुर सीट से वह अपनी मांग को मैदान में उतार कर खुद जमुई सीट से चुनावी समर में उतरेंगे. इसके साथ चिराग ने यह दावा भी किया था कि समय आने पर चाचा पशुपति कुमार पारस मान जायेंगे और वह अपने लिए किसी अन्य ससंदीय सीट की तलाश कर लेंगे.
एनडीए का स्थायी पार्टनर पशुपति, चिराग का एक पैर हमेशा से राजद में रहता है
लेकिन भतीजे चिराग के इस दावे को सिरे से नकारते हुए पशुपति कुमार पारस ने कहा कि दर्जनों बार इस बात को साफ कर चुका हूं कि एनडीए का स्थायी पार्टनर मैं हूं, जबकि चिराग के बारे में पता नहीं कि कल पर किस नाव की सवारी कर बैठे. उसका एक पैर हमेशा से राजद तो दूसरा पैर एनडीए में रहता है. इस हालत में उसके सियासी पैंतरों पर विश्वास कौन करेगा. यदि चिराग को एनडीए में रहना है तो उसे एनडीए का निर्णय भी स्वीकार करना होगा. यदि उसके द्वारा हाजीपुर सीट पर अपनी मां को उतारा जाता है तो इस हालत में हम भी चिराग के खिलाफ जमुई से उसकी बहन को मैदान में उतारने पर विवश हो जायेंगे.
बिहार की सभी 40 सीटों पर उम्मीदवार उतार कर अपनी ताकत को देख ले चिराग
चिराग को ललकारते हुए पशुपति कुमार पारस ने कहा कि यदि चिराग को अपनी सियासी ताकत पर इतना ही गुरुर है तो वह बिहार की सभी 40 संसदीय सीटों पर उम्मीवारों की घोषणा कर दे, उसके बाद उसकी सियासी ताकत का पर्दाभाश हो जायेगा, चिराग से पास आज के दिन कोई सियासी ताकत नहीं बची है, लेकिन वह एनडीए को चकमें में रख कर अपनी सीट निकालने का जुगत बिठा रहा है, लेकिन एनडीए की नजर उसकी हर सियासी चाल पर बनी हुई है, और किसी भी हालत में चकमा देने में सफल नहीं होने जा रहा है, हमारे लिए हाजीपुर की सीट छोड़ने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है.