रांची(RANCHI): मॉनसून सत्र में भाजपा के हो हंगामें पर चुस्की लेते हुए झामुमो ने कहा है कि तथाकथित रुप से विश्व की सबसे बड़ी पार्टी को झारखंड में एक अदद विधेयक दल का नेता चुनने लिए दिल्ली से पंडित बुलाना पड़ रहा है, बावजूद इसके वह अपना एक नेता नहीं चुन पा रही है, यह हालत है भाजपा की और वह दिन रात सिर्फ हेमंत सरकार को उखाड़ फेंकने का सपना देखती रहती है, सारे दावे हवा-हवाई किये जा रहे हैं. जमीन पर भाजपा कहीं दिखलाई ही नहीं पड़ती, यहां एक भाजपा के अन्दर दर्जन भर भाजपा काम कर रहा है, हर खेमा एक दूसरे को मिटाने की तिकड़म लगा रहा है. सिर फुटौवल की स्थिति को निपटाने लिए दिल्ली दरबार से पंडित बुलाना पड़ रहा है, लेकिन वह पंडित भी थक हार कर वापस चला जाता है.
कौन है भाजपा का राहु केतु
झाममो की ओर से यह मोर्चा उसके महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने खोला है. उन्होंने कहा कि जो पार्टी अपने अन्दर के राहु केतु की वजह से विधायक दल का नेता नहीं चुन सकता, वह पार्टी हमसे झारखंड प्रतियोगिता परीक्षा-2023 पर सवाल पूछ रही है. वह भूल जाती है कि भ्रष्टाचार ही भाजपा का शिष्टाचार है. पूरे देश में भ्रष्टाचारियों का शरण स्थली भाजपा ही है. इस भ्रष्ट्राचार के दलदल में डुबकी लगाने वाली भाजपा के मुंह से झारखंड प्रतियोगिता परीक्षा-2023 पर सवाल खड़ा करना हजम नहीं होता.
बाबूलाल के माध्यम से भाजपा तक पहुंचता पेपर लीक का पैसा
झारखंड की जनता को यह मालूम है कि पेपर लीक का यह पूरा खेल कहां रचा जाता है, और कैसे रघुवर शासन काल में JPSC का पेपर लीक किया गया था. पेपर लीक का यही पैसा बाबूलाल से होते हुए भाजपा कार्यालय तक पहुंचता है. यही कारण है कि भाजपा के पेट में तेज दर्द हो रहा है और इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने की नाकामयाब कोशिश की जा रही है. क्योंकि वह जानती है कि इस कानून बनती ही भाजपा की दुकान बंद होने वाली है.
किसी छात्र को आत्म हत्या नहीं करना पड़े, इसीलिए पेपर लीक पर लगाम जरुरी
सुप्रियो भट्टाचार्य ने इस बात का दावा किया कि हेमंत सरकार की कोशिश पेपर लीक पर लगाम लगाने की है, ताकि किसी भी छात्र को पेपर लीक की वजह से आत्म हत्या नहीं करना पड़ें. हमारे छात्र बेहद गरीबी और वंचना के बीच अपनी तैयारी करते हैं, पेपर लीक से भाजपा की दुकान तो चल जाती है, लेकिन उन छात्रों का क्या होगा, क्या हम उन्हे आत्म हत्या के लिए छोड़ दें, जबकि खुद कई भाजपा शासित राज्यों में, जिसमें भाजपा का गुजरात मॉडल भी शामिल है, पेपर लीक करने पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना और दस साल की सजा का प्रावधान है.