पटना(PATNA)- इंडिया गठबंधन के भविष्य को लेकर भाजपा और पीएम मोदी की तमाम आशंकाओं और दुष्प्रचार के बावजूद तीसरी बैठक आते आते इंडिया भाजपा का सिर दर्द साबित होता नजर आने लगा है, जैसे-जैसे इंडिया गठबंधन की अंगड़ाई तेज हो रही है, भाजपा का संकट गहराता नजर जा रहा है. हालत यह है कि अब इस दर्द की अभिव्यक्ति के लिए प्यार, धोखा और वे के अफसाने लिखे जा रहे हैं. तूमने मेरा दिल तोड़ा, सपनों को तार-तार, बीच मंझधार में छोड़ किसी और का दामन थाम लिया से मिलते-जुलते पोस्टरों से राजधानी पटना के चौक चौराहों को पाटा जा रहा है.
कभी भाजपा के लिए सुशासन बाबू थें नीतीश कुमार
मजे की बात यह है कि इसी एक पोस्टर में ‘दिया न शिक्षा न रोजगार पलटू कुमार को कबतक सहेगा बिहार’ जैसे पोस्टर भी लगाये गयें है, हालांकि इस पोस्टर के साथ ही यह सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि यदि नीतीश कुमार प्रशासनिक रूप से इतना ही बदतर थें, और पिछले 17 सालों में बिहार का विकास अवरुद्ध रहा, तो इस नीतीश कुमार के भाजपा ने सुशासन बाबू का तमगा क्यों दिया था, पीएम मेटेरियल क्यों बताया था? यदि भाजपा के शब्दों में नीतीश कुमार विनाश का ही देवता है, तब उस विनाशक पुरुष के नेतृत्व में सुशील मोदी ने लगातार तीन-तीन बार डिप्टी सीएम बनना कबूल क्यों किया. आखिर भाजपा ने किसी स्वार्थ के कारण बिहार की छाती पर नीतीश कुमार से मूंग दलवाया. इस पोस्टर में इसका कोई जवाब नहीं है, सिर्फ और सिर्फ अपने साथ हुए बेबफाई के दर्द का इजहार किया गया है.
सिर्फ जुमला और झूठा प्रचार, बेवफा है मोदी सरकार’
हालांकि जदयू की ओर से इसका कोई जबाव नहीं आया, लेकिन राजद ने जबावी पोस्टर जारी करते हुए ‘सिर्फ जुमला और झूठा प्रचार, बेवफा है मोदी सरकार’ के साथ मोर्चा खोल दिया. हालांकि खबर यह भी है कि जिस प्रकार से जदयू और राजद के द्वारा लगातार अपने अपने विधायकों के पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक की जा रही है, उसके कारण भाजपा के अन्दर बेचैनी पसरी है. क्योंकि कुछ नेताओं के द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि जल्द ही कई एनडीए के सांसद राजद और जदयू का दामन थामने की तैयारी में है, उनका मुख्य इशारा चिराग के चाचा पशुपति पारस को लेकर है, जबकि अब तक इंडिया और एनडीए से अलग रहकर राजनीति कर रहे मुकेश सहनी का भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनने की खबर है और यह खबरें जितनी तेजी से फैल रही है, भाजपा की बेचैनी उतनी ही बढ़ती नजर आ रही है.