Ranchi-बाबूलाल मरांडी के रुप में आदिवासी चेहरे को आगे करने के बाद जेपी पेटल को विधायक दल का नेता बना पिछड़ा कार्ड खेलने की तैयारियों में जुटी भाजपा को बड़ा झटका लगा है, सूत्रों की माने तो जेपी पटेल के नाम पर पार्टी में बगावत की स्थिति बनती जा रही है. पार्टी के पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं का मानना है कि जिस प्रकार से प्रमुख पदों पर दूसरे दलों से आये नेताओं को बैठाया जा रहा है, उससे पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं में निराशा तैरने लगी है. उनका राजनीतिक भविष्य दांव पर नजर आने लगा है. और कार्यकर्ताओं के बीच यह निराशा पार्टी को संकट में खड़ा कर सकती है. इस अवसाद और निराशा के साथ कार्यकर्ता 2024 के मुकाबले में कैसे खड़ा होने की स्थिति में नहीं होंगे.
कुतुबमीनार वाले मरांडी के बाद अब झामुमो से उधार पर एतराज
सबसे पहले तो झारखंड विकास पार्टी से बाबूलाल मरांडी को लाया गया, वह वही मरांडी हैं, जिनके द्वारा पीएम मोदी पर ना जाने कितने हमले किये गये थें, मोदी की राजनीति को समाज और देश के लिए खतरा बताया गया था. उन्हे एक तानाशाह और देश की दुर्दशा का कारण बताया गया था. बाबूलाल ने इस बात की हुंकार भरी थी कि भाजपा में जाने के बजाय वह कुतुबमीनार से कूदना पसंद करेंगे. और अब एक बार फिर से झामुमो से आये नेता को विधायक दल का नेता बनाने की तैयारी चल रही है.
जेपी पटेल के नाम पर पार्टी में विरोध
यहां बता दें कि पहले यह दावा किया गया था कि जेपी पटेल के नाम पर सर्वसम्मति बन चुकी है, बाबूलाल ने यह दावा भी कर दिया था कि विधायक दल का नेता का नाम विधानसभा अध्यक्ष दे दिया गया है. हालांकि बाबूलाल का इशारा अपने नाम की ओर था. दरअसल वह मामले को टालना चाहते थें, लेकिन सूत्रों का दावा है कि नेता प्रतिपक्ष का चेहरा पार्टी में महत्वपूर्ण होता है, और उस चेहरे को भावी सीएम के रुप में देखा जाता है, ऐसे में जेपी पटेल चेहरे पर इतना बड़ा दांव लगाना जोखिमपूर्ण हो सकता है.
जेपी पटेल नहीं तो फिर कौन ?
बीजेपी के प्रदेश प्रभारी डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने विधायकों को भरोसा दिलाया है कि , उनकी भावना के मुताबिक ही कोई भी फैसला लिया जाएगा. विपक्ष के नेता के तौर पर जेपी पटेल सबसे रेस में आगे चल रहे थे. लिहाजा यह माना जाने लगा था कि मांडू विधायक के नाम पर ही सर्वसम्मति बनेगी. लेकिन, वह छंटते नजर आ रहें है. पटेल के अलावा वरिष्ठ नेता सीपी सिंह, विरिंची नारायण औऱ अनंत ओझा भी भाजपा विधायक दल का नेता बनने की दौड़ में हैं. इन सभी के नाम भी सुझाए गये थे. अब देखना है कि झारखंड भाजपा के इस उलझन कैसे सुलझाती है औऱ आने वाले वक्त में कौन विधायक दल का नेता बनेगा. लेकिन इतना साफ है कि पिछड़ा कार्ड खेलने की भाजपा की हसरतों को गहरा धक्का लगा है.