टीएनपी डेस्क(TNP DESK)- अदिति त्यागी, अमन चोपड़ा, अमीश देवगन, आनंद नरसिम्हन, अर्नब गोस्वामी, अशोक श्रीवास्तव, चित्रा त्रिपाठी, गौरव सावंत, नविका कुमार, प्राची पाराशर, रुबिका लियाकत, शिव अरूर, सुधीर चौधरी और सुशांत सिन्हा जैसे एंकरों का इंडिया गठबंधन के द्वारा बहिष्कार की घोषणा के बाद सियासी घमसान की शुरुआत होती नजर आने लगी है.
एकपक्षीय रिपोर्टिंग का आरोप
जहां इंडिया गठबंधन इन एंकरों को प्रेस की आजादी और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक गंभीर खतरा बतला रहा है, और इस बात का दावा कर रहा है कि इनका तथ्यों से कोई वास्ता नहीं है, ये महज अपनी एकपक्षीय रिपोर्टिंग कर सत्ता की चरण वंदना में मस्त है. जानबूझ कर हर मुद्दे को हिन्दू मुसलमान का एंगल देने की साजिश रचते हैं, ताकि सत्ता पक्ष को इस सामाजिक विभाजन का लाभ मिल सके, हिन्दू मुसलमान के सवाल पर बंटा यह समाज मंहगाई, बेरोजगारी, अशिक्षा पर कोई बड़ा सवाल खड़ा नहीं कर सकें. भूख, गरीबी और सामाजिक उत्पीड़न को धर्म की चासनी से ढक दिया जा सके. दलित, पिछडों और अल्पसंख्यकों के वास्तविक मुद्दों को राष्ट्रीय मीडिया से गायब किया जा सके, और दिन रात एक चेहरा को महिमामंडित कर समाज को गर्त में ढकेला जा सके.
आपातकाल की मानसिकता
वहीं दूसरी ओर इन कथित गोदी मीडिया के एंकरों के पक्ष में मोर्चा खोलते हुए भाजपा ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर गंभीर कुठाराघात बतलाया है. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को इस बहिष्कार में आपातकाल की मानसिकता की झलक दिखने लगी है, उन्होंने कहा है कि इंडिया गठबंधन को मीडिया को धमकाने की कोशिश बंद कर अपना ध्यान जमीनी मुद्दों पर केन्द्रीत करना चाहिए.
दोनों ही पक्षों के द्वारा जमीनी मुद्दों के दावे, लेकिन मुद्दे अलग-अलग
मजेदार बात यह है कि दोनों पक्षों के द्वारा जमीनी मुद्दों पर ध्यान केन्द्रीत करने की बात कही जा रही है, लेकिन यह जमीनी मुद्दा क्या है, विवाद यहीं से शुरु होता है, जहां इंडिया गठबंधन मंहगाई, बेरोजगारी, अशिक्षा और सामाजिक सद्भाव को जमीनी मुद्दा मानती है, सत्ता संरचना में दलित पिछडों और अल्पसंख्यकों की भागीदारी की को अहम सवाल बताती है, आदिवासी मुद्दों को तरजीह देने की बात करती है. वहीं भाजपा की नजर में सनातन धर्म पर कथित हमला आज का सबसे बड़ा जमीनी मुद्दा है और सच्चाई यह भी है कि ब्लैकलिस्टेड एंकरों के द्वारा मंहगाई, बेरोजगारी, अशिक्षा, स्वास्थ्य को दरकिनार कर इसी सनातन की रक्षा को आज का सबसे बड़ा सवाल बनाया जा रहा था.